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★सनातनी क्षत्राणियो★ अगर लड़ न सको लक्ष्मी बाई और दुर्गावती बनकर तो पद्मावती बनकर जौहर कर लेना मगर कभी किसी लव_जिहाद का शिकार मत होना। —@सनातनी #सनातनी_क्षत्राणिय अगर लड़ न सको #लक्ष्मी_बाई और #दुर्गावती बनकर तो #पद्मावती बनकर #जौहर कर लेना मगर कभी किसी #लव_जिहाद का शिकार मत होना। —@सनातनी #yqdidi #yqsnatni
DR. SANJU TRIPATHI
आंखों में देखकर दिल चुराने का जौहर बखूबी मालूम है उन्हें। काश! दिल की बात आखों से पढ़ने का भी जौहर आता उन्हें। 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव से 2लाईनों में लिखें .. (2 लाईन couplet / मिसरा उर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
Shankki Sharma
जौहर लाजवाब है उसका इश्क़ करने का, उसे हर एक पैंतरा जो आता है इश्क़ करने का। 💐नमस्कार ..मैं GulnaaR Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करती हूँ ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाये। 💐अपने भाव से 2लाईनों में लिखें .. (2 लाईन couplet / मिसरा उर्दू शायरी) 💐 Font size छोटा रखें ताकी wall paper खराब न हो ।
हरिसिंह राठौड़
घर-घर #सतिया मिले, घर-घर जुंझाता मिले #जुंझार ! गढ़ गढ़ #जौहर री ज्वाला, गढ़ गढ़ शाखा की #हुंकार !! आज ही के दिन 4 सितंबर 1987 को सती हुवे क्षत्राणी #रूप_कंवर_दिवराला को बारंबार नमन 🙏 https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=702504800344080&id=204352153492683
Veer Keh Raha
Aditya Gupta
अंतिम सफ़र ना भूल ये दीन धरम और #फज़र की बातें। बहुत बरक्कत देतीं हैं हमें #जौहर की बातें। राहे वफ़ा है रास्ता ख़ुदा की नेमत का रास्ता, कौन सोचे क्या है #अंतिम सफ़र की बातें। कौन भला कौन बुरा कौन दोस्त कौन दुश्मन, कब होती हैं किसी पत्थर पर #असर की बातें। सुबह के भूले थे# मग़रिब तक घर लौट आये, उधर ही छोड़कर आए कोर कसर की बातें। आया जो वक़्त# ईशा की नमाज़ का"आदित्य" दिन भर याद करते रहा मैं ज़ेरो ज़बर की बातें। *********************************** (इस ग़ज़ल में पाँच वक़्त की नमाज़-- फज़र,जौहर,असर,मग़रिब,और ईशा का उल्लेख है)
Aditya Gupta
अंतिम सफ़र ना भूल ये दीन धरम और #फज़र की बातें। बहुत बरक्कत देतीं हैं हमें #जौहर की बातें। राहे वफ़ा है रास्ता ख़ुदा की नेमत का रास्ता, कौन सोचे क्या है #अंतिम सफ़र की बातें। कौन भला कौन बुरा कौन दोस्त कौन दुश्मन, कब होती हैं किसी पत्थर पर #असर की बातें। सुबह के भूले थे #मग़रिब तक घर लौट आये, उधर ही छोड़कर आए कोर कसर की बातें। आया जो वक़्त #ईशा की नमाज़ का"आदित्य" दिन भर याद करते रहा मैं ज़ेरो ज़बर की बातें। *********************************** (इस ग़ज़ल में पाँच वक़्त की नमाज़-- फज़र,जौहर,असर,मग़रिब,और ईशा का उल्लेख है)
Mohd Akhtar Razaa
अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...। ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो अहले इमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो..? तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो बादे अख़लाक तुम्ही लोग निशाने पे हो...। सारे ग़म सारे गिले शिकवे भुला के उट्ठो दुश्मनी जो भी है आपस में भुला के उट्ठो...। अब अगर एक न हो पाए तो मिट जाओगे ख़ुश्क पत्त्तों की तरह तुम भी बिखर जाओगे...। खुद को पहचानो की तुम लोग वफ़ा वाले हो मुस्तफ़ा वाले हो मोमिन हो खुदा वाले हो...। कुफ्र दम तोड़ दे टूटी हुई शमशीर के साथ तुम निकल आओ अगर नारे तकबीर के साथ...। अपने इस्लाम की तारीख उलट कर देखो अपना गुज़रा हुआ हर दौर पलट कर देखो...। तुम पहाड़ों का जिगर चाक किया करते थे तुम तो दरयाओं का रूख मोड़ दिया करते थे...। तुमने खैबर को उखाड़ा था तुम्हें याद नहीं तुमने बातिल को पिछाड़ा था तुम्हें याद नहीं..? फिरते रहते थे शबो रोज़ बियाबानो में ज़िन्दगी काट दिया करते थे मैदानों में...। रह के महलों में हर आयते हक़ भूल गए ऐशो इशरत में पयंबर का सबक़ भूल गए..? अमने आलम के अमीं ज़ुल्म की बदली छाई ख़्वाब से जागो ये दादरी से अवाज़ आई...। ठन्डे कमरे हंसी महलों से निकल कर आओ फिर से तपते हुए सहराओं में चल कर आओ...। लेके इस्लाम के लश्कर की हर एक खूबी उठो अपने सीने में लिए जज़्बाए ज़ुमी उठो...। राहे हक़ में बढ़ो सामान सफ़र का बांधो ताज़ ठोकर पे रखो सर पे अमामा बांधो...। तुम जो चाहो तो जमाने को हिला सकते हो फ़तह की एक नयी तारीख़ बना सकते हो...। खुद को पहचानों तो सब अब भी संवर सकता है दुश्मने दीं का शीराज़ा बिखर सकता है...। हक़ परस्तों के फ़साने में कहीं मात नहीं तुमसे टकराए "जौहर!" ज़माने की ये औक़ात नहीं...। जौहर कानपुरी साहब अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...। ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो अहले इमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो..? तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो बादे अख़लाक तुम्ही लोग निशाने पे हो...।
हरिसिंह राठौड़
#तलवार उगी रण खेतां में.......#इतिहास मंड्योडा रेता में , #जौहर की जागी #आग अठे.......रण मिल ग्या राग #विराग अठे ।।