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Vivek kashyap
नींद न आना तो एक बहाना सा था ईरादा तो तेरे संग रात बिताने की थी। तुम पलकें ओढ़े सो रही थी मै रात भर नींद को भगाता रहा। तेरी बेवफाई जो थी उस रात उस नींद की खातिर। ओ नींद मेरे पास भी आईं थी तुझसे जुदा करने मुझे। मै उस नींद को वफ़ा की पाठ पढ़ाता रहा। बड़ी खामोश थी ओ रात जब तुम सो रही थी। देखो न, मै तुम्हारा हो रहा था और तुम नींद की हो रही थी। कुछ देर बाद मै भी सो गया तुम्हारा होते होते। सब कुछ खो गया देखो न, सोते सोते । #कश्यप
✍It'skashyap
प्रिय डायरी अजीब हैं मेरा अकेला पन न खुश हूँ न उदास हूँ बस खाली हूँ और खामोश हूँ। ✍जीतू #कश्यप Sahani Baleshwar Roman Yaduvanshi Ganesh Barupal Neha rukmadi Vishu Shukla
Aps
उलझा रहता हूँ #आपके ख्यालों में इस कदर मानों कि #जिंदगी की आखिरी ख्वाहिश #तुम ही हो #अरुण #कश्यप .✍✍.....#R||.......
it's Jitendra
कैसे करें हम खुद को तेरी प्यार के काबिल, जब हम आदतें बदलते हैं तो तुम शर्तें बदल देते हो ✍️ जीतू #कश्यप The_Ram सुहानी🤭 Sahil Singh Rajput ashish raghuwanshi Syed Mohsin Raza
Rajesh Kumar
🏹🏹🏹🏹🏹🏹कभी सोचा है की प्रभु 🏹🏹श्री राम के परिवार उत्पत्ति के बारे की जानकारी जानिये- 1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए, 2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए, 3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे, 4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था, 5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की | 6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए, 7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था, 8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए, 9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए, 10- अनरण्य से पृथु हुए, 11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ, 12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए, 13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था, 14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए, 15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ, 16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित, 17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए, 18- भरत के पुत्र असित हुए, 19- असित के पुत्र सगर हुए, 20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था, 21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए, 22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए, 23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे | 24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है | 25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए, 26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे, 27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए, 28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था, 29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए, 30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए, 31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे, 32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए, 33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था, 34- नहुष के पुत्र ययाति हुए, 35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए, 36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था, 37- अज के पुत्र दशरथ हुए, 38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए | इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने.. 🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹 1:~मानस में राम शब्द = 1443 बार आया है। 2:~मानस में सीता शब्द = 147 बार आया है। 3:~मानस में जानकी शब्द = 69 बार आया है। 4:~मानस में बैदेही शब्द = 51 बार आया है। 5:~मानस में बड़भागी शब्द = 58 बार आया है। 6:~मानस में कोटि शब्द = 125 बार आया है। 7:~मानस में एक बार शब्द = 18 बार आया है। 8:~मानस में मन्दिर शब्द = 35 बार आया है। 9:~मानस में मरम शब्द = 40 बार आया है। 10:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे। 11:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं। 12:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है। 13:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है। 14:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है। 15:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है। 16:~मानस में छन्द संख्या = 86 है। 17:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का। 18:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में। 19:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी। 20:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी। 21:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला। 22:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला। 23:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ। 24:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं। 25:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं। 26:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए। 27:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में। 28:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर। यह जानकारी परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । जय श्री राम🙏🙏☘🌹🌺🙏🙏🙏🌷🌺🌹
Anjali Bhanushali
ईश्वर कि अद्भभुत रचना "किन्नर" 🙏🌹ईश्वर की अद्भभुत रचना "किन्नर"🌹🙏 ************************************ ईश्वर ने स्त्री को रचा, कोमलता, सुघड़ता, प्रेम, कला के रंग भरे पर कुछ था जो छूट सा गया... फ़िर ईश्वर ने पुरुष को रचा, कठोरता, जटिलता, पौरुष भरते हुए कठोर से रंग भरे पर अब नृत्य, संगीत जैसे आयाम पीछे छूट गए.बड़ा परेशान था सृजनहार, इन विपरीतगामी रंगों को कैसे संग संग लाए... हाथों में सृजन तूलिका लिए बैठा परेशान था, कि मां अरिष्टा और कश्यप ऋषि ने ब्रह्म के पैर के अंगूठे की छाया में कुछ नवीन रचा.जिसमें पुरुषत्व के गहरे रंग तो
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