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Ashutosh Mishra
Ashutosh Mishra
समय फिसलता हाथ से , जैसे हो हाथों में रेत। खेल-खेल में गंवा न देना मेरे भाई,,, परख समझ कर ,,उपयोग करो इसका। गया**समय**न फिर आएगा, चाहे कर लो लाख जतन। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #“समय” "अब्र" 2.0 chandni RAVINANDAN Tiwari Satyajeet Roy Asha...#anu SHAYAR (RK) ARVIND YADAV 1717 Yogendra Nath Yogi POOJA UDESHI Anshu writer Sethi Ji ALOK MISHRA "DEEPAK" MK Madhav rasmi उमेश
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“4/3/2022”*📚 🖋️ *“शुक्रवार* 🌟 *“हर व्यक्ति” में छिपी हुई कोई “प्रतिभा” होती है* *जिसे “निखारने” का उचित “समय” हमारे पास होता है,* *किंतु कुछ “लोग” उस “प्रतिभा” का निर्माण करने के स्थान पर वो “समय” नष्ट करते है* *किसी ओर की “भांति” बनने में, किसी की “नकल” करने में,* *ये मत किजिए...* *“समय” का उपयोग किजिए, “स्वयं” के “अस्तित्व” का निर्माण करने के लिए,* *क्योंकि किसी ओर की “परछाई” बनने से अच्छा है कि आप किसी के लिए “प्रेरणा” बने* और किसी के “प्रेरणा” बनना एक अच्छी बात है क्योंकि “समाज के सामने” आपने अपना एक अलग “प्रमाण” प्रस्तुत किया है, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“4/3/2022”*📚 🖋️ *“शुक्रवार* 🌟 #“प्रतिभा” #“समय”
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“4/3/2022”*📚 🖋️ *“शुक्रवार* 🌟 #“प्रतिभा” #“समय” #Thoughts #“प्रेरणा” #“अस्तित्व” #“नकल” #“परछाई”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📓*“1/2/2022”*📚 🖋️*“मंगलवार”* 🌟 इस “जीवन” में कभी “प्रेम का उपयोग” अपने “स्वार्थ” के लिए नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर ये “प्रेम“ “मन में” है,“दिल” में है,“विचारों” में भी है तो यह “शुभ” भी है, यदि इस “प्रेम का उपयोग” किसी की “बुराई” में या किसी को “हानि” पहुंचाने में हो तो यह कदापि सही नहीं है, तो उस “प्रेम” का कोई “अस्तित्व” ही नहीं रहेगा, “प्रेम” में तो सिर्फ होता है “अपनापन”,“सम्मान”,“परवाह” और “थोड़ा सा समय” जो हमारे अपने हम से चाहते है और हम हमारे अपनो से चाहते है, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“1/2/2022”*📚 🖋️ *“मंगलवार”* 🌟 *#“प्रेम”* *#“मन”*
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“10/1/2022”*📚 🖋️*“सोमवार”* 🌟 देखिए हर “स्त्री” को “स्वर्ण आभूषण” नहीं चाहिए,“महंगे वस्त्र” नहीं चाहिए,उसे चाहिए आपसे “सम्मान” सबके सामने भी और “एकांत” में भी,उसे चाहिए आपका “समय”, आपका “समर्पण” और थोड़ा सा “प्रयास” कि आप उन्हें जता पाए कि आपके “जीवन” में उनका “स्थान” है और “बराबरी का भाव” है, और एक बात ये कि “संबंध” में दोनों ओर से “प्रेम” होना भी आवश्यक है, तभी आप कह पाएंगे “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता”... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“10/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 🌟 *#“स्त्री”* *#“स्वर्ण आभूषण”*
Atul Sharma
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 👫🏻 *“6/11/2021”*📝 🎊 *“शनिवार”*✨ क्या “प्रेम” “नायक” और “नायिका” के “आकर्षण का बंधन” है ? “प्रेम” तो “परिवार” से हो सकता है, “माता-पिता”,“भाई-बहन”, “सखा-मित्रों” से हो सकता है “देश” और “जन्मभूमि” के लिए हो सकता है, “मानवता” के लिए हो सकता है,किसी “कला” के लिए हो सकता है,पर “प्रेम” कभी उस “पन्ने” पर लिखा ही नहीं जा सकता जिसपर पहले ही बहुत कुछ “लिखा” हो, जैसे एक “भरी मटकी” में और “पानी” नहीं आ सकता है, यदि “प्रेम” को पाना है तो “मन” को “खाली” करना होगा, अपनी “इच्छाएं”,अपना “सुख” सब “त्यागकर” “समर्पण” करना होगा, अपने “मन से व्यापार” हटाकर तभी “प्रेम” मिलेगा, और प्रेम में तो समर्पण,सहयोग,समानता, अपनापन और एहसास ये सब होता है, *अतुल शर्मा🖋️📝* *आप सभी को भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और अटूट रिश्ते को समर्पित भाईदूज के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।👫🏻🎉🎊🌟✨💫🙏🏻* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 👫🏻 *“6/11/2021”*📝 🎊 *“शनिवार”*✨ *#“प्रेम”* *#“आकर्षण का बंधन”*
Atul Sharma
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“19/10/2021”*📝 ✨*“मंगलवार”*🌟 इस “संसार” में हर “वस्तु” के, हर “परिस्थिति” के,हर “भाव” के दो “पहलू” होते है, इसमें “बदलाव” आता है केवल “दृष्टिकोण” द्वारा, अब यदि कोई “व्यक्ति” है जो “पर्वत” पर खड़ा है तो उसे ये ही लगेगा कि जो ये “जल की धारा” है वो “समुद्र की ओर” बह रही है, दूसरा “व्यक्ति” जो “समुद्र” के पास खड़ा है उसे लगेगा कि ये धारा “समुद्र की ओर” आ रही है, बात यहा है “दृष्टिकोण” की, अब यहीं “समय के साथ” भी होता है कई बार “मनुष्य” जो है वो “चिंतित” रहता है,कि उसके पास समय बहुत कम है,उसमें वो कुछ कर नहीं सकता, “थोड़ा और समय” होता तो अच्छा होता, वो ऐसे भी सोच सकता है कि “कुछ ही सही" समय “श्रेष्ठ” तो है, अर्थात जो “बचा” है उसे “बचाया” भी जा सकता है, इसमें “जीवन” बसाया भी जा सकता है तो ये निर्भर करता है आप पर, तो “दृष्टिकोण” शुभ रखिए, *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“19/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“संसार” #“वस्तु”
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“19/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“संसार” #“वस्तु” #“जीवन” #“श्रेष्ठ” #“दृष्टिकोण” #“समय” #“परिस्थिति” #“बदलाव”
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*📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“29/8/2021”*🖋️ 📘 *“ रविवार”*✨ इस “संसार” के सबसे “महत्वपूर्ण तत्व” कौनसे है ? पहला है “समय” जन्म से लेकर मृत्यु तक का ये पहलू यही तो “जीवन” है दूसरा है जीवन जिसमें हम “समय का उपयोग” करते है, “श्रेष्ठ से श्रेष्ठ कार्य” करने का प्रयास करते है, वर्षो से चलती आ रही ये “परम्परा”,ये “संस्कृति” इसे आप आगे ले जाने का “प्रयास” करते है, इस संसार में एक “योगदान” देने का प्रयास करते है, तीसरा तत्व है “धन” ... ये “धन” जो हर एक व्यक्ति अर्जित करने का प्रयास करता है अब इन तीनों तत्वों में “समानता” है, चाहे “धन” हो,“समय” हो या हो “जीवन”, और वो समानता ये है कि आप यदि इसकी “गणना” करने लगोगे तो ये “कम” होने लगता है, यदि आप इसका “उपयोग” करोगे तो ये बढ़ने लगता है, इसे “संगृहीत” करके रखने का प्रयास करोगे तो ये हाथ से निकल जाता है, किंतु आप इसे “संभालना” सीख जाओगे, यदि ऐसा कार्य करोगे जिसमें संसार के साथ साथ आने वाली “पीढ़ी” का भी “लाभ” हो, यदि कुछ सीखना है तो “संभालना” सीखिए, “गणना” करना या “संग्रहित” करना ही क्यों? _*अतुल शर्मा🖋️📝*_ ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“29/8/2021”*🖋️ 📘 *“ रविवार”*✨ #“संसार” #“महत्वपूर्ण तत्व”
*📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“29/8/2021”*🖋️ 📘 *“ रविवार”*✨ #“संसार” #“महत्वपूर्ण तत्व” #“जीवन” #“प्रयास” #“धन” #“समय” #“परम्परा” #“अर्जित” #“संभालना”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 🌫️*“1/8/2021”*🌫️ 🌧️*“रविवार”*🌧️ आपके “जीवन” में आपका “सच्चा मित्र” कौन है ? आपका सबसे “श्रेष्ठ मित्र” कौन है ? वो जो समय आने पर आपकी “सहायता” करता है या वो जो समय आने पर आपको “धन” देता है, देखिए हम मनुष्य है हमारे जीवन में लेन देन चलता रहता है ये हमारे जीवन का “अभिन्न भाग” है कई बार ऐसा होता है कि हम उसे ही “सच्चा मित्र” मान लेते है जो हमे “बहुमूल्य भेंट” देता है अब आपके जीवन में वो “बहुमूल्य भेंट” क्या है ? वो “बहुमूल्य मित्र” कौन है ? ये निर्णय आपका है यदि आप मुझसे पूछे कि “स्वर्ण”,“हीरे”, “मोती” एंव “धन” ये बहुमूल्य नहीं है “बहुमूल्य” है “साथ” जब आप अकेले हो, “समय” जब आपको उसकी आवश्यकता है, जो “कठिन समय” में आपका “साथ” अवश्य देता है जब आपको आवश्यकता हो तो आपको “समय” अवश्य देता है आपके लिए वो पूर्ण रूप से “समर्पित” है वहीं आपका “प्रबल मित्र” है वहीं आपका “सच्चा मित्र” है क्योंकि सच कहें तो “मित्रता का अर्थ” ही है अपने आपको “पूर्ण रूप से अर्पित” करना... *“अतुल शर्मा 🖋️📝* *✍🏻“सुविचार"*📝 🌫️*“1/8/2021”*🌫️ 🌧️ *“रविवार”*🌧️ #“जीवन” #“बहुमूल्य मित्र”
*✍🏻“सुविचार"*📝 🌫️*“1/8/2021”*🌫️ 🌧️ *“रविवार”*🌧️ #“जीवन” #“बहुमूल्य मित्र” #FriendshipDay #“विश्वास” #“समय” #“साथ” #“समर्पण” #“सच्चा #“पूर्ण
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