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Best अब्बू Shayari, Status, Quotes, Stories

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शायर अली

"पिता के बिना जीना भी कोई जीना है
हर पल दुनिया का जहर पीना है
पिता के बिना सब कुछ सूना है
मां मक्का है तो पिता मदीना है"
                              शायर अली #पिता #Papa #अब्बू #dad

JUNAID RAZA QADRI

मस्कन_(घर).. वालिदैन_(माँ-बाप).. बरकत_(वृद्धि)..बला_(आफत/मुसीबत).. फरमाबरदार_(आज्ञाकारी/आज्ञा का पालन करने वाला).. आज मेरे अब्बू का जन्‍मदिन है.. ये खास poem मेरे अम्मी अब्बू के लिए.. ❤ Imran pratapgadi की शायरी के अशआर के जरिए इस Poem लिखा गया है 👍 #जश्न #yourquote #BirthDay #माँपापा #duaa #urdu Girdavri Devi Ridhima Rai

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जश्न  मेरे मस्कन मेरी जन्नत को सलामत रखना..
मेरे मौला मेरे वालिदैन को सलामत रखना.!!

जो हर ख्वाहिश हमारी एक पल मे पूरा करें..
अपने गम को छुपाकर हमे खुश करें..
हमारी खुशी को जो अपनी खुशी माना करें..
इनकी अज़मतों इज़्ज़त को सलामत रखना..
मेरे मौला मेरे वालिदैन को सलामत रखना.!!

उम्र मे तू इनकी बरकत अता कर दे..
इनका दामन खुशियों से तू भर दे.. 
मुझको इनका फरमाबरदार बना दे..
हर एक बला से इनकी तू हिफाज़त करना..
मेरे मौला मेरे वालिदैन को सलामत रखना..!! मस्कन_(घर).. वालिदैन_(माँ-बाप)..
बरकत_(वृद्धि)..बला_(आफत/मुसीबत)..
फरमाबरदार_(आज्ञाकारी/आज्ञा का पालन करने वाला)..

आज मेरे अब्बू का जन्‍मदिन है.. ये खास poem मेरे अम्मी अब्बू के लिए.. ❤ 
Imran pratapgadi की शायरी के अशआर के जरिए इस Poem लिखा गया है 👍

#जश्न #yourquote #birthday #माँपापा #Duaa #urdu  Girdavri Devi Ridhima Rai

Abhishek Singh

https://youtu.be/cwkfeiLFh74 #पिता #पा #father #अब्बू #कविता

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https://youtu.be/cwkfeiLFh74
#पिता #पा #father #अब्बू #कविता

Prakash

 पिता
#Happyfathersday #हैप्पी_फादर्स_डे #पिता #पापा #अब्बू #बाबूजी #दादा #पिता_शायरी #prakashquotes #prakashhindipoetry #prakashhindiquotes #prakashshayari #hindishayari #fathersquote #prakash_dil_se #prakashpoetry #nojotoquotes #nojoto #prakashnojoto

Danish Khan

नसीब वाले हैं जिनके सर पर अब्बू का हाथ होता हैं
ज़िद पूरी हो जाती हैं सब गर अब्बू का साथ होता हैं...


#दानिश खान #Fathers_Day

Amir Hamja

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ऐ ईद क्यों तुम आ जाती हो(कविता)

ऐ ईद ऐ ईद क्यों तुम हर साल आ जाती हो
तड़पाती हो रुलाती हो मायूस कर के जाती हो
             ना तन पर नया कपड़ा है
           बस कहने को सब अपना है
मां बहलाती है फुसलाती है
खुद रोती है हमें भी रुलाती है
            मां ने कहा था तीस रोज़े रखोगे
            तो नया कपड़ा खुदा से पाओगे
मां कल तो चाँद रात है
ना कपड़ा मिला ना अब्बू मेरे साथ हैं
शहीद हो गए थे आतंकियों से लड़ते लड़ते
थक गया हूँ सरकार का आश्वासन सुनते सुनते
लोग बस मोमबत्तियां जलाते हैं फोटो लगाते हैं
किस हालात में गुजर रही जिंदगी पूछने नहीं आते हैं
इस साल ईद के मौके पर मेरे अब्बू नहीं आएंगे
हर साल की तरह अम्मी के लिए साड़ी चूड़ी नहीं लाएंगे
इसलिए ऐ ईद क्यों तुम हर साल आ जाती हो
तड़पाती हो रुलाती हो मायूस कर जाती हो
        अमीर हमज़ा

आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"

#कविता_संग्रह #व्यंग्यबाण 

ये सीमा-पार के लोग नहीं, ये अंदर के गद्दार है।
जिन्हे देश की नहीं सूझती, स्वार्थी बने वो बैठे है।
चीनी माल चाप रहे है, न जाने क्यों ऐंठे है।।
ऐसे लोगों में मुझको बस दिखता इक गद्दार है।
जिनको हिजड़े से ज्यादा कुछ कहना ही बेकार है।।
जिनको हिजड़े से ज्यादा कुछ कहना ही बेकार है।।

इन लोगों ने देश को न जाने क्या-क्या दुख दे डाला।
छीन लिया है इन लोगों ने गरीबों का निवाला।।
अब मुझको लगता है बस इन्हें राष्ट्र-नर्क में जाना है।
क्योंकी इनकी देशभक्ति कुछ और नहीं बहाना है।।
क्योंकी इनकी देशभक्ति कुछ और नहीं बहाना है।।

किसी को अल्लाह प्यारे है और किसी को राम ही न्यारा है।
अब इकलौता पड़ा बेचारा हिन्दुस्तान हमारा है।।
उन पंडों, उन मुल्लों से कह दो कि गर हम न होते।
तो फिर उनके अब्बू-अम्मा तलवे चाट रहे होते।।
तो फिर उनके अब्बू-अम्मा तलवे चाट रहे होते।।

गद्दारों के अंदर कोई देश-प्रेम का भाव नहीं।
देश के प्रति चिंतन करने का उनमें कोई चाव नहीं।।
शायद उनको देशभक्ति का मलहम अभी है लगा नहीं।
शायद उनको देशद्रोह का अंतिम क्या है पता नहीं।।
शायद उनको देशद्रोह का अंतिम क्या है पता नहीं।।

काट-काट इन चंडालों का सिर, लहू अधर पर धारेंगें।
हम हिन्द के रक्षक हिन्द-शत्रु के अधम का बोझ उतारेंगें।।
जो भी देशद्रोही देशद्रोह को, भारत में पधारेंगें।
कान खोलकर सुन लो हम दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगें।।
कान खोलकर सुन लो हम दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगें।।

ये हिन्द की धमकी नहीं, आशुतोष "हिन्दुस्तानी" की ललकारे हैं।
हम उन वीरों के वंशज, जिसने लाख शत्रु-दल मारे हैं।।
गुंजन में अब बस शेष बचे, "जय जय हिन्द" के नारे हैं।।
क्या कहू् और उनको मै जिनको, मनुष्यता भी धिक्कारे है।
यह कविता भी है ऐसी, जिसको हर पाठक स्वीकारे है।
बस यहीं कहूंगा "जय हिन्द", जो सवा अरब को तारे है।।
बस यहीं कहूंगा "जय हिन्द", जो सवा अरब को तारे हैं।।
       
                                   :- आशुतोष "हिन्दुस्तानी" #कविता_संग्रह #व्यंग्यबाण

Mukabbir Ahmad

हम आपको अपने अम्मी अब्बू से ज़्यादा चाहेगे
गर आप हमारी अम्मी अब्बू को
अपने अम्मी अब्बू से ज़्यादा मोहब्बत दे❤ #NojotoQuote #PromiseDay
#NojotoHindi #Poerty #Quotes #Kalakaksh #Shayari #Thought #TST #Promise

Haleema Ali

#we must respct our prntzzz #v #lv #Uh #अम्मी-#अब्बू

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Hai Himmat Aayega हलीमा✍
बता,,,,,
बुढापे में वालिदेन की खिदमत करेगा??
 #NojotoQuote #We must respct our prntzzz
#v #lv #uh #अम्मी-#अब्बू

Mohit Mudita Dwivedi

शहीद औरंगज़ेब की ओर से ख़त माँ सुनो मुझे छुट्टी मिल गयी ! रमज़ान ख़त्म होते ही मैं घर आ रहा हूँ । मैं ईद पर घर आ रहा हूँ माँ । बहन से कहना हम ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद अब्बू के संग घूमने चलेंगे उसने वो सलवार कुर्ता बहुत पसंद हैं ना वो लेकर आऊंगा । औऱ चूड़ियां भी, मुझे पता है अभी भी वो ही पहन रही होगी जो पिछले साल अब्बू ने दिलाई थीं । और अब्बू के लिए यहाँ से टोपी ला रहा हूँ माँ महीन कढ़ाई है इसमें अब्बू को पसन्द है ना । पता है माँ इस बार शुक्ला सर मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे वो कह रहे थे मैं बहुत ज़बाज़ #themodernpoets #nojotodelhi #mohit

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  शहीद औरंगज़ेब की ओर से ख़त  माँ
सुनो मुझे छुट्टी मिल गयी ! 
रमज़ान ख़त्म होते ही मैं घर आ रहा हूँ । मैं ईद पर घर आ रहा हूँ माँ ।
बहन से कहना हम ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद अब्बू के संग घूमने चलेंगे उसने वो सलवार कुर्ता  बहुत पसंद हैं ना वो लेकर आऊंगा ।
औऱ चूड़ियां भी, मुझे पता है अभी भी वो ही पहन रही होगी जो पिछले साल अब्बू ने दिलाई थीं । 
और अब्बू के लिए यहाँ से टोपी ला रहा हूँ माँ महीन कढ़ाई है इसमें अब्बू को पसन्द है ना ।

पता है माँ इस बार शुक्ला सर मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे वो कह रहे थे मैं बहुत ज़बाज़
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