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Best राघव Shayari, Status, Quotes, Stories

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Raghav

नशे में भक्ति नही,
भक्ति में नशा होना चाहिये।
                #राघव.... #Shiva

shailendra Patidar

जन्मदिन की हार्दिक
 शुभकामनायें 
#राघव
#केशव

Raghav

#धड़कनों  में बसते  हैं आप #सब_लोग,
#ज़ुबान  पे नाम लाना  जरूरी नहीं होता #मेरे_दोस्तों ।।
              #राघव...

Raghav

#अक्सर  गिरे हुए लोग  #हमारी_ज़िन्दगी  में आकर हमें #महँगे सबक  दे #जाते_हैं ।।
                 #राघव..

Raghav

#राघव

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न सोना न चांदी
न कोई हाथी की पालकी चाहिए मेरे भाई
बस मुझसे मिलने आओ मेरे भाई
मेरे हाथों से बना पकवान खाओ मेरे भाई
भाई दूज की शुभकामनाएं
                            #राघव......

Raghav

#एक दिल ही तो था जो सिर्फ हमारा था, बातों बातों में तुमने इसे भी चुरा लिया Rupam kumari रोहित तिवारी । Nilam Kumari Priyanka Gupta Kavita Rani #राघव

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एक दिल ही तो था जो सिर्फ हमारा था,
बातों बातों में तुमने इसे भी चुरा लिया !
                                       #राघव..... #एक दिल ही तो था जो सिर्फ हमारा था,
बातों बातों में तुमने इसे भी चुरा लिया  Rupam kumari रोहित तिवारी । Nilam Kumari Priyanka Gupta Kavita Rani

laxman swami

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तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी
जीवन भर का खुद को मै तो संताप नहीं दे पाऊंगी
हे राजदुलारे राज तिलक देखो कितना  निकट अभी
कुछ ही पल में हो जाएगा फिर समय यहां भी विकट अभी
इस भारत वंश को सुनो राम अभिशाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

तुम ज्येष्ठ पुत्र हो योग्य बड़े  जाओ तुम ही युवराज बनो
इस अवध प्रांत के जनता की दुख सुख में तुम आवाज बनो
मै वर मांगु इस क्षण मुझसे ये पाप नहीं हो पाएगा 
ये कुटिल भयंकर कड़वा मुझसे जाप नहीं हो पाएगा
वन के पीड़ा की प्रिय पुत्र मै ताप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मैं शाप नहीं दे पाऊंगी

मुझको  है ये  मालूम  अकेले  तुम  वन को ना जाओगे
तुम संग में अपने मात पिता की भी खुशियां ले जाओगे
राहे वन की दुष्कर होंगी और  नही कोई अपना होगा 
राजभवन का  सारा  सुख वन में केवल सपना होगा
कांटो के पथ पर सीता  पग की छाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

आने वाला भविष्य में मां से ऐसा काम नहीं होगा 
सब नाम रखा जाएगा पर कैकैयी नाम नहीं होगा 
कल भोर नहीं होगी कोशल में तम का पहरा छाएगा
सब कुछ पहले जैसा होगा बस केवल राम नहीं होगा
जिस स्वर को सुन वन जाओ आलाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

जो जिम्मेदारी तुमको दी माना है बहुत कठिन माता
सर्वस्व  समर्पित  कर दे जो इतिहास उन्हीं के गुण गाता
जग निंदा कुछ क्षण की है उन बातो को फिर धड़ना क्या
जब राम तुम्हारे साथ खड़ा तुमको इस जग डरना क्या
मै तुम्हे भेज कर वन में भरत को राज नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

राघव_रमण (R.J)..

कबसे खड़ा हूँ तेरे द्वार अब तो नजर भी मां डाल आंसु नदीयां बनी मेरी उम्मीदें टली अब तो दरस दिखा एकबार फूल की डाली हाथ में लेकर ऊंचें पर्वत से मैं होकर

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विपदा बहुत आई जीवन मे 
लोभ लालच है अब मन में
कैसे छोरू मोह इस जग की
असली सुख है तेरे चरण में
शीश आगे झुकी
कदम द्वारे रूकी
राघव का कर उद्धार
कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार।। कबसे खड़ा हूँ तेरे द्वार
अब तो नजर भी मां डाल
आंसु नदीयां बनी 
मेरी उम्मीदें टली 
अब तो दरस दिखा एकबार 

फूल की डाली हाथ में लेकर
ऊंचें पर्वत से मैं होकर

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

वो विचारो के झंझावात मे खोया हुआ कब निंद के आगोश मे खो गया,उसे पता हीं नही चला! दुर कही वादलो के विशाल झुंड मे वो सफर कर रहा था, उसे आज जिन्दगी का सफर काफी सुहावना लग रहा था!सफेद वादलो के झुंड आकर उससे टकरा रहे थे,जैसे मानो उसे अपने बांहो मे भङ लेना चाहते हो,उसे दुलारना चाहते हो,वो भी उन्मुक्त होकर वादलो से अट्टखेलियां कर रहा था!आज वो प्रसन्न चित था!सारी चिंतायें,सारी दुविधायें मानो उससे दुर हो गई थी! तभी वादलो के पार से आवाज आई! राघव!वो राघव! वो चौंका,विचलीत हुआ और पागलो की तरह वादलो केे झुं

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वो विचारो के झंझावात मे खोया हुआ कब निंद के आगोश मे खो गया,उसे पता हीं नही चला!

दुर कही वादलो के विशाल झुंड मे वो सफर कर रहा था, उसे आज जिन्दगी का सफर काफी सुहावना लग रहा था!सफेद वादलो के झुंड आकर उससे टकरा रहे थे,जैसे मानो उसे अपने बांहो मे भङ लेना चाहते हो,उसे दुलारना चाहते हो,वो भी उन्मुक्त होकर वादलो से अट्टखेलियां कर रहा था!आज वो प्रसन्न चित था!सारी चिंतायें,सारी दुविधायें मानो उससे दुर हो गई थी! तभी वादलो के पार से आवाज आई!

राघव!वो राघव!

वो चौंका,विचलीत हुआ और पागलो की तरह वादलो केे झुं

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 8 - असुर उपासक 'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
8 - असुर उपासक

'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह
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