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kavi manish mann
बहारों ने मेरा चमन लूट कर, खिजाँ को ये इल्जाम क्यूंँ दे दिया। किसी ने चलो दुश्मनी की मगर, इसी दोस्ती नाम क्यूंँ दे दिया। बहारों ने मेरा चमन लूट कर.......! तूने समझा नहीं है मेरे हमनशी, सजा ये मिली है मुझे किसलिए। के साकी ने लब से मेरे छीन कर, किसी और को जाम क्यों दे दिया। बहारों ने मेरा चमन लूट कर.......! मुझे क्या पता था कभी इश्क में, रकीबों को कासिब बनाते नहीं। खता हो गई मुझसे कासिब मेरे, तेरे हाथ पैगाम क्यूंँ दे दिया। बहारों ने मेरा चमन लूट कर.......! #मौर्यवंशी_मनीष_मन #मनीष_मन #गीत_मन #
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अब अधर्मी धर्म की बातें करेंगे देख लेना। भेड़िए भेड़ों को आकर फिर छलेंगे देख लेना। आस्था के नाम पर बकरे बलि चढ़ते रहेंगे। मजहबों के आड़ में फिर घर जलेंगे देख लेना। #मनीष_मन #मुक्तक_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #हिंदी Best YQ Hindi Quotes Rest Zone
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सुप्त थी सारी धरा बस, एक केवल मैं जगा था। मन में अगणित प्रश्न उठ,प्रति क्षण कोलाहल कर रहे थे। नीर नयनों से निकल कर बाँह को मेरे भिगोते। मन व्यथित था निज व्यथा पर फिर भला कैसे न रोते। पूर्व से आती हवाएं, थपकियाँ दे दे सुलातीं। किंतु वो भी अश्रुओं को, कब भला है रोक पातीं। लोग बस दर्शक बने थे पंख मेरे जल रहे थे। सांत्वना के शब्द मुझको,बारी बारी छल रहे थे। मन में अगणित प्रश्न उठ,प्रति क्षण कोलाहल कर रहे थे। है निरर्थक ध्यान पूजा , जाप क्या मैं मान लूंँ अब। साधना का फल मिलेगा, श्राप क्या मैं मान लूंँ अब। क्या अधर्मी ही करेंगे राज इस पावन धरा पर। अब नहीं आयेंगे राघव, आप क्या मैं मान लूंँ अब। हम विचारों के नगर में,अनवरत यूंँ चल रहे थे। मन में अगणित प्रश्न उठ,प्रति क्षण कोलाहल कर रहे थे। #मनीष_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन
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साहब हमारे वास्ते अब कुछ न कीजिए। हमको हमारे हाल पर बस छोड़ दीजिए। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #मनीष_मन
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शरारती राहुल एक गांँव में राहुल और आकाश नाम के दो लड़के थे। दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों एक ही स्कूल में जाते थे।उनके गांँव से स्कूल एक किलोमीटर की दूरी पर था इसलिए दोनो पैदल ही जाते थे। रास्ते में आम,अमरूद संतरे की अलग अलग बगिया मिलती थी।राहुल शरारती था। वो रोज बगिया में चोरी से घुस जाता और फल तोड़कर भाग आता।पेड़ से कूदने पर कई बार राहुल के पैर में चोट भी आ चुकी थी।लेकिन वो बहुत जिद्दी था आकाश के बहुत मना करने पर भी नहीं मानता। बागवान दयालु था। छोटे बच्चों से बहुत प्रेम करता था इसलिए वह डांट कर रह जात
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जगाकर वो स्वयं ही सो रहा है। दिया है दाग कोई धो रहा है। नई पीढ़ी के चलते देश मेरा, हमारी संस्कृति को खो रहा है। प्रभू इस बार बादल भेज देना, कृषक उम्मीद करके बो रहा है। स्वयं के रक्त से सींचा जिसे थे, वही अब अजनबी सा हो रहा है। बहुत उलझा हुआ है एक लड़का, नयन भर नीर कब से कर रो रहा है। #गीतिका_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #मनीष_मन
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हो जाते हैं लोग किसी पत्थर के जैसे, टूटे रिश्ते मौत को दावत देते हैं।— % & #मनीष_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #broken #brokenheart #शेर_मन
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♦️आधुनिक आनंद ♦️ ♦आधुनिक आनंद♦ देखो भैया, आनंद का कोई मापदंड नहीं है और न ही कोई स्थान निर्धारित है कि ये यहांँ मिलेगा यहांँ नहीं मिलेगा। ये तो अनुभव करने की बात है। किसी को किसी पार्टी समुदाय व्यक्ति की निंदा सुनने या करने पर प्राप्त होती है तो किसी को प्रशंसा करने या सुनने पर प्राप्त होती है। कोई भिन्न भिन्न प्रकार की फर्जी आईडी बनाकर फेसबुक, इंस्ट्राग्राम या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसी सैनिक की भांति सारा दिन सक्रिय रहकर किसी धर्म,पार्टी या व्यक्ति को गाली देकर तो कोई प्रचार और प्रशंसा
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इक बार चले आओ सरकार जरूरत है। हर ओर उदासी है हर ओर मुसीबत है। पैगाम मेरा ऊधौ कह देना किशन से तुम, फुर्कत में ये गोकुल की बेजान सी सूरत है। इक साल गया फिर से जीवन के तिजोरी से, है शुक्र की जिंदा हैं मोहन की इनायत है। संताप मिले मुझको पर साथ मिले तेरा, हे!कृष्ण तेरी हूंँ मैं तू मेरी मुहब्बत है। इस साल खुशी देना संसार को हे!मोहन, उस साल से सबको तो बेहद ही शिकायत है। बदनाम सियायत पर अब शोर शराबा क्यूंँ, जो ताज दिया तुमने उसकी ही अजीयत है। २२१ १२२२ २२१ १२२२ (गागाल लगागागा)×२ #मौर्यवंशी_मनीष_मन #ग़ज़ल_मन #नववर्ष #newyear #मनीष_मन
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कान झुमका सजा माथ बिंदिया सजी। हाथ कंगन सजा और मेंहदी लगी। लाल चुनरी पहन चांँद को देखने, मांँग सिंदूर भर इक सुहागिन चली। #करवाचौथ #karvachauth #मौर्यवंशी_मनीष_मन #मनीष_मन