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Best प्रफुल्लित Shayari, Status, Quotes, Stories

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SohrabAlam

है #प्रफुल्लित करने वाली युक्तिबच्चों जैसी मासूमियतशुद्ध देवी🤣😂🤣😂 Love #laughing #zonoto #viral #Shorts #hansi priyanshu Sharma NTHAKOR #कॉमेडी

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kumaarkikalamse

खिड़की प्यारी खिड़की मेरी प्यारी खिड़की..! ॥ #Kumaarsthought #खिड़की #window #समुद्र #प्रफुल्ल #प्रफुल्लित

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अन्दर बाहर का चेहरा दिखाए
गर्मी  में  थोड़ी  निजात दिलाए
वातायनं  'संस्कृत' में बोले सब
'हिन्दी' में  'खिड़की'  कहलाए।

दीवारों  की  शान  है होती इससे
बिन इसके सब अँधेरा ही  अँधेरा
समुद्र  किनारे  ऊपर के कमरे  से
बाहर देख मन प्रफुल्लित हो जाए!  खिड़की प्यारी खिड़की
मेरी प्यारी खिड़की..! ॥

#kumaarsthought #खिड़की #window #समुद्र #प्रफुल्ल #प्रफुल्लित

Anamika

चाय, खबरें और साथ में बातें,
इतवार के दिन रोज कहां आते.. #इतवार और तेरे हाथ की चाय,
 #प्रफुल्लित मन भला कैसे न होय..
#चाय_और_तुम
#पातीइश्क़
#तूलिकाप्रवीणगर्ग
#इश्क़केक़िस्से
#तूलिका

Sudeep Keshri✍️✍️

मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर, फूले न समाता #प्रकृति में समा कर, ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है, हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है, #नदी, #झील, #झरना या #पहाड़ सब है #बेमिसाल, फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात, पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु, वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते, #poem #kavita #कविता #nojotohindi #संसार #प्राणवायु #बुझाता

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पर्वतों को पार कर, मन प्रफुल्लित हो जाता इन वादियों में आकर,
फूले न समाता प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे सुंदर कुछ ना दिखा है,
नदी, झील, झरना, पहाड़ सब है बेमिसाल,
फूलों का रंग ,फलों का स्वाद कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,
पानी प्यास बुझाता, हवा प्राणवायु दे जाता,
न कोई किसी से कम है, न कोई किसी से ज्यादा, 
कुदरत ने क्या संसार बनाया,
मेरा तो मन फूले नहीं समाता,
जब मैं खुद को इन सब के बीच पाता,
लेकिन इन सब में ईश्वर की सबसे अच्छी कृति
मैं ही तो हूं, जो इन वादियों के बारे में आपको बताता। मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर,
फूले न समाता #प्रकृति में समा कर,
ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है,
हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है,
#नदी, #झील, #झरना या #पहाड़ सब है #बेमिसाल,
फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात,
पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु,
वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

दोस्तों,,,कला विहिन पुरुष पशु के समान होता है,,,,,कला ही एक ऐसा आभुषण है जो किसी व्यक्ति को उसे भीड से हटकर बनाती है,,जीवन मे सब कुछ है लेकिन खुशीयाँ नही वह जिदंगी किस काम की,,,,, संगीत जीवन का अमोघ अंग है अत आप उसे अपनाये ,,, संगीत आवाज निकालने की वह सुँदर से सुँदर विधा है,,जो कर्ण प्रिय हो,,,,,यह सीधे कहे तो "वह ध्वनि जो सबको प्रफुल्लित कर दे संगीत कहलाता है,,,,,,जो लम्हे हमे प्रफुल्लित कर दे उसी को जिदंगी कहते है,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड

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 दोस्तों,,,कला विहिन पुरुष पशु के समान होता है,,,,,कला ही एक ऐसा आभुषण है जो किसी व्यक्ति को उसे भीड से हटकर बनाती है,,जीवन मे सब कुछ है लेकिन खुशीयाँ नही वह जिदंगी किस काम की,,,,, संगीत जीवन का अमोघ अंग है अत आप उसे अपनाये ,,, संगीत आवाज निकालने की वह सुँदर से सुँदर विधा है,,जो कर्ण प्रिय हो,,,,,यह सीधे कहे तो "वह ध्वनि जो सबको प्रफुल्लित कर दे संगीत कहलाता है,,,,,,जो लम्हे हमे प्रफुल्लित कर दे उसी को जिदंगी कहते है,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड

"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)

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*कुसुम किसलय कुञ्ज कोकिल,*
*कूकते है फ़ाग में।*
*तन और मन भीगे हुए हैं,*
*प्रेम और अनुराग में।।*
*तन प्रफुल्लित मन प्रफुल्लित,*
*नित नए उत्सर्ग में।*
*ईश् अनुकम्पा बिखेरे,*
*होलिका के पर्व में।।*


-आदरणीय श्री जयशंकर "प्रसाद"

*आप को सपरिवार रंगपर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।* #NojotoQuote

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 44 - नित्य मिलन श्याम आज बहुत प्रसन्न है। यह आनन्दकन्द - इसके समीप पहुँचते ही दुसरों का विषाद-खिन्न मुख खिल उठता है। जहाँ जाता है, हर्ष-आह्लाद की वर्षा करता चलता है; किन्तु आज तो लगता है जैसे पूर्णिमा के दिन महासमुद्र में ज्वार उठ रहा हो। मैया ने शृंगार कर दिया है। सिर पर तैल-स्निग्ध घुंघराली काली सघन मृदुल अलकें थोड़ी समेट कर उनमें मोतियों की माला लपेट दी है और तीन मयूरपिच्छ लगा दिये हैं। भालपर गोरोचन की खोर के मध्य कुंकुम का तिलक है। कुटिल धनुषाकार सघन भौंहों के नीचे अंजन-रंजि

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।।श्री हरिः।।
44 - नित्य मिलन

श्याम आज बहुत प्रसन्न है। यह आनन्दकन्द - इसके समीप पहुँचते ही दुसरों का विषाद-खिन्न मुख खिल उठता है। जहाँ जाता है, हर्ष-आह्लाद की वर्षा करता चलता है; किन्तु आज तो लगता है जैसे पूर्णिमा के दिन महासमुद्र में ज्वार उठ रहा हो।

मैया ने शृंगार कर दिया है। सिर पर तैल-स्निग्ध घुंघराली काली सघन मृदुल अलकें थोड़ी समेट कर उनमें मोतियों की माला लपेट दी है और तीन मयूरपिच्छ लगा दिये हैं।

भालपर गोरोचन की खोर के मध्य कुंकुम का तिलक है। कुटिल धनुषाकार सघन भौंहों के नीचे अंजन-रंजि

Raj Mahato

जब उसे देख मन प्रफुल्लित हो जाए  उसकी एक नजर से शरीर में झनक  सी पड़ जाए  उसके मोरनी जैसी चाल से दिल की धड़कन बढ़ जाए  पायल की झंकार कंगन की  खनकार लिए जब वह मंद मंद मुस्कुराए

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जब उसे देख मन प्रफुल्लित हो जाए

 उसकी एक नजर से शरीर में झनक  सी पड़ जाए

 उसके मोरनी जैसी चाल से दिल की धड़कन बढ़ जाए

 पायल की झंकार कंगन की  खनकार लिए जब वह मंद मंद मुस्कुराए


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