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Anuradha T Gautam 6280
आखिर क्यों👇 चाहे हजारों स्त्री से उसके संबंध हो, चाहे कई नाजायज़ अनुबंध हो, लेकिन पुरुष कभी #वेश्या नहीं कहलाते..🖊️ चाहे वह कितने ही प्रपंच कर ले. और इससे कितने ही प्राण हर ले, लेकिन पुरुष कभी #डायन नही कहलाते..🖊️ अपनी खानदानी अस्मत कोठों पर बेच आता है नज़रे पराई स्त्री पर चाहे लगाता है, लेकिन पुरुष कभी #कुल्टा नहीं कहलाते..🖊️ चाहे ये कितने ही क्रूर स्वभाव के हों, चाहे कितने ही घृणित बर्ताव के हों लेकिन पुरुष कभी #चुड़ैल नहीं कहलाते..🖊️ यहां तक की दो पुरूषों के झगडे में घर से लेकर सड़क तक के रगड़े में स्त्रियों के नाम पर ही गालियां दी जाती हैं, और फिर शान से ये मर्द कहलाते हैं..🖊️ क्यों डायन, कुल्टा, चुड़ैल, वेश्या, बद्दलन केवल नारी ही कहलाए क्या इन शब्दों के पुर्लिंग शब्द, पितृसत्तात्मक समाज ने नहीं बनाए..🖊️ क्या यहाँ कोई ऐसा पुरुष है जिसे सड़क पर चलते हुए ये भय लगता हो कि अकस्मात ही पीछे से तेज़ रफ़्तार में एक स्कॉर्पियो आएगी और उसमें बैठी चार महिलाएँ जबरन उसे गाड़ी में उठा कर ले जायेंगी उसका बलात्कार करेंगी और किसी सुनसान जगह पर अधमरी हालत में एक बड़े पत्थर से उसका सिर कुचल देंगी..🖊️ ©Riddhi Anuradha Gautam
Neha Mishra
दोस्त मेरी दोस्ते जब simple होती है तो, मुझे cute लगती है। और जब Makeup करती है तो सच्च बताऊ, डायन लगती है डायन। #nojoto #nojotofriedship #shayri #nojotohindi
Dimika2sister
गांव में रहने वाली विमला अपने पिता से हँसते हुए कहती है, बाबा देखना एक दिन इस गाँव के लोग सब मुझसे डरेंगे में आपका नाम रोशन करूँगी। बाबा -हा हा ठीक है अब मौसी के जा आ कुछ काम करवा दे, उसका बच्चा छोटा है। ठीक है बाबा विमला 16 साल की एक लड़की है रंग काला ओर बचपन मे एक दुर्घटना में अपनी एक आँख खो बैठी हैं। विमला की मासी का बच्चा कुछ खा रहा था तो विमला ने कहा मुझे भी दो बच्चे ने नही दिया तो विमला ने मजाक मे कहा मर जा, मौसी हंस दी उसकी बात सुन। अगले दिन बच्चे को खून की उल्टियां हुई ओर बच्चा मर गया । मौसी ने इसका जिम्मेदार विमला को ठहरा दिया और सबसे कहा उसके ऐसा बोलने से बच्चा मार गया। पूरा गांव विमला को घृणा की नजर से देखने लगा कोई उसे घर मे आने तक नही देता , विमला जहां से गुजरती लोग एक ही बात कहते, डायन है ये आते ही माँ को खा गए अब उस छोटे बच्चे को कहा गए देखने में भी कितनी भयानक लगती है, विमला ये सब सुन रोने लगती उसके पिता से भी लोगो ने बात करना बंद कर दिया एक दिन विमला गुजर रहीथी कि एक बच्चा रो रहा था उसके पैर में काटा चुभ गया था और खून निकले जा रहे थे।वो उसके पास गई गोद मे बिठाया ओर काटा निकाला तो बच्चा तेज चिल्लाया ,लोग वहाँ आये और सोचा ये डायन इस बच्चे को खाने आयी है । ओर उसे मारने लगे वो ऐसा न करे इसलिए उसके सारे बाल काट दिए उसके एक एक नाखून को निकाल दिया। उसे मार न दे इस डर से विमला जंगल की तरफ भाग गई। जंगल मे भूख और दर्द से विमला चिल्लाती रोती ओर एक दिन भूख प्यास से तड़प कर विमला ने अपनी जान दे दी उसके शव को जंगली जानवर खा गए। आज भी उस जंगल मे विमला के दर्द से करहाने की आवाजें आती है ओर लोग कहते है डायन बोल रही हैं। story #bolteshabddimika
Sanjay Jangid
खूबसूरत डायन निराली आंखे, रेशमी बाल, देख के तेरे डायन, ठुमक-ठुमक के चलना तेरा, हमको कर दे घायल । गोरा-गोरा रंग है तेरा, चाँद सा सुंदर चहेरा, नाक तो जैसे गालो पे दे रहा हो पहेरा । काली आंखे, काजल काली, चश्मे काले काले, चुम के तेरे होठो को, जैसे मुँह में पड़ गए छाले । छोटे – छोटे, प्यारे – प्यारे, होठ जो देखे तेरे, हाय रे फूटी किसमत उसकी, जिससे होंगे फेरे । - संजू जांगिड़ Khubsurat Dayan
Deependra Singh
कठिन हुआ है जीवन जीना, स्वपन हुए बेकार कोई तो बतादो अच्छे दिन ,कब आएंगे सरकार राशन महंगा सब्जी महंगी ,पेट्रोल चौराशी पार कोई तो बतादो अच्छे दिन ,कब आएंगे सरकार पढ़ लिखकर क्या करे नोजवां ,डिग्री बनी जंजाल रोजगार की आस में भटकत, युवा हुआ बेहाल रिश्वतखोरी सुरसा बनकर ,खड़ी हमे है खाने ऊपर से नीचे तक ,अब तो सब लगे हमे सताने कैसे हम एक सुखद भविष्य का, सपना आंखों में पालें महंगाई डायन बनगई, इससे अब कोई हमे बचाले अच्छे दिन आने वाले है, सुना था हमने नारा चार बरस तो बीत गए ,अब तक न लगा किनारा ये कैसे अच्छे दिन है भैया ,कोई तो हमे समझादो न चाहूँ अच्छे दिन, मुझे मेरे बुरे दिन फिर लौटादो वो बुरा वक्त ही सही था ,जिसमे जीवन तो जी लेते थे रूखी सूखी ही खाकर के ,दो पल तो चैन के जीते थे सौ रुपया की सब्जी में ,पूरा थैला तो भर जाता था महगाई रूपी डायन का, भय ज्यादा नही सताता था अब तो सौ रुपया में केवल ,आलू ही हम ला पाते हैं गर सब्जी बनी हो भोजन में, तो दाल नही बनाते हैं घर का राशन ही लाने में, पूरा पैसा लग जाता है मेहमान को घर आ देखें तो ,तन मन थर्रा सा जाता है पैसा सोडियम से हल्का हुआ ,झट आया और उड़ जाता है क्या खाएं और बचाये क्या ,ये समझ हमे न आता है महंगाई मारने होगा क्या, भगवान का अब अवतार मेरे अच्छे दिन कब आएंगे ,जागो मेरी सरकार| #अच्छेदिन#सपना#महंगाई
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