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Best पैदाइश Shayari, Status, Quotes, Stories

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Juhi Grover

क्या कहें पैदा होती बच्ची को,
वो पैदा न हो या फिर कोख में ही मर जाए,
खत्म पैदाइश जब उसकी हो,
तब दुनिया का ही चक्र कैंसे चल पाए।

आखिर क्या गलती थी उसकी,
जो हर बार अपमानित ही हो जाए,
पैदा होकर क्या गुनाह किया,
उसका दर्द भी दिलों से फनाह हो जाए।

अपराधी अपराध करके भी,
सिर ऊँचा करके बस हमेशा चलता जाए,
और वो अपराधी न हो कर भी,
सूली पर बेवजह ही यों चढ़ती जाए।

हे भगवान् ! अब आप ही न्याय करो,
ये दर्द अब और सहा न जाए,
इस कलयुग में कुछ तो उपकार करो,
बस ये अन्याय अब खत्म हो जाए।

सुना है तेरे घर में देर है, अन्धेर नहीं,
बस यहीं बात कुकर्मियों को समझ आ जाए,
आसमान पे जा बैठे अपराध करके भी,
सिर से पैर काँपे, अपनी कोख को न लज्जित कर पाए।

क्या कहें पैदा होती बच्ची को,
वो पैदा न हो या फिर कोख में ही मर जाए,
खत्म पैदाइश जब उसकी हो,
तब दुनिया का ही चक्र कैंसे चल पाए। #पैदाइश 
#अपमानित 
#कलयुग 
#अन्याय 
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Juhi Grover

Thanks for poking me sis Ek paheli तुझ पे हमदर्दी दिखाई मैंने, तूने मुझे कसूरवार ठहराया, मैंने ज़रा तुझे अपनापन दिखाया, तुम ने मुझे चरित्रहीन बताया। वाह रे पुरुष तेरी कैसी माया, #yqdidi #yqhindi #yqquotes #लांछन #पैदाइश #bestyqhindiquotes

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तुझ पे हमदर्दी दिखाई मैंने,
तूने मुझे कसूरवार ठहराया,
मैंने ज़रा तुझे अपनापन दिखाया,
तुम ने मुझे चरित्रहीन बताया।

वाह रे पुरुष तेरी कैसी माया,
स्त्री के लिए न धूप, न छाया,
बस अपना राग अलापते रहो,
न माने तो हर बार इल्ज़ाम लगाया।

पैरों की जूती समझते आये हो,
बस मनमर्ज़ी करते आये हो,
बेइज्ज़त कर दिया स्त्री सम्मान को,
आँख का पानी किसे दिखाये वो।

ज़्यादा हितैषी तुम बने फिरते हो,
बताओ तुमने सब सही ही किया हो,
क्या तुम भगवान् से भी ऊपर हो,
कि हर बार प्रमाण की ही जरूरत हो।

पछतावा भी हो गया हो तो क्या,
आज नहीं तो कल फिर दोहराओगे,
आदत है जो तुम्हारी पैदाइश से,
तो क्या माफी माँगने से छूट जाओगे।

ज़िन्दगी का हर पल ज़रूरी है जैसे,
स्त्री पुरुष का साथ ज़रूरी है वैसे,
जब तक लांछन लगाओगे एक दूसरे पर,
क्या ज़िन्दगी काट पाओगे उम्र भर।

आयु कितनी भी हो जाये,
जीवन चक्र तो चलते ही जाना है,
क्यों न फिर हँसी खुशी जीवन बितायें,
आखिर साथ तो ताउम्र निभाना है।  Thanks for poking me sis Ek paheli

तुझ पे हमदर्दी दिखाई मैंने,
तूने मुझे कसूरवार ठहराया,
मैंने ज़रा तुझे अपनापन दिखाया,
तुम ने मुझे चरित्रहीन बताया।

वाह रे पुरुष तेरी कैसी माया,

Juhi Grover

शिकायत है मुझे तुम से, एे पुरुष, हिफाज़त नहीं कर सकते हो, न ही हिफाज़त करना सिखा पाते हो, तो पैदाइश पे भी पहरे लगा दिए, कि तुम्हारी इज्ज़त पे कोई धब्बा न लगे। क्या कभी उन नज़रों को समझाया, जो कपड़ों के नीचे तक जाती है, #yqdidi #yqhindi #yqquotes #हैवानियत #bestyqhindiquotes

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शिकायत है मुझे तुम से, एे पुरुष,
हिफाज़त नहीं कर सकते हो,
न ही हिफाज़त करना सिखा पाते हो,
तो पैदाइश पे भी पहरे लगा दिए,
कि तुम्हारी इज्ज़त पे कोई धब्बा न लगे।

क्या कभी उन नज़रों को समझाया,
जो कपड़ों के नीचे तक जाती है,
और तुम कभी छोटे कपड़ों की दुहाई देते हो,
तो कभी कोई और बहाना खोजते हो,
खुद के अपराधों को छुपाने के लिए,
कभी मोहब्बत का नाम देकर जिस्म को टटोलते हो,
तो फिर स्त्री को ही चरित्रहीन कह देते हो,
कभी वेश्यालयों तक पहुँचा देते हो,
पता नहीं, उसके पैदा होते ही क्या दिख जाता है,
और 80 साल की स्त्री भी माँ जैसी नहीं दिखती,
कैसी ये हैवानियत है जो सोचने समझने की ताकत छीन लेती है।

क्या तुमने कभी अपने ही वंश की नहीं सोची,
और ऐसी लड़की का तो घर ही खत्म हो जाता है,
गलती जो हर बार लड़की की मानी जाती है,
वो चाहे अभी पैदा हुई या फिर मरने के करीब हो,
जब ऐसे में भाई भी साथ छोड़ जाते हों,
पिता भी मुँह फेर लेते हों,
पति पहचानने से इन्कार कर दे,
बेटे तो परम्परावश बिन बात के ही साथ छोड़ जाते हों,
हर बार प्रमाण की अावश्यकता ही क्यों हो,
अपनी हो कर भी कभी अपनी नहीं हो पाती,
जो सबकी होते हुए भी हर बार परायी कर दी जाती है।

शिकायत है मुझे तुम से, एे पुरुष,
हिफाज़त नहीं कर सकते हो,
न ही हिफाज़त करना सिखा पाते हो,
तो पैदाइश पे भी पहरे लगा दिए,
कि तुम्हारी इज्ज़त पे कोई धब्बा न लगे। शिकायत है मुझे तुम से, एे पुरुष,
हिफाज़त नहीं कर सकते हो,
न ही हिफाज़त करना सिखा पाते हो,
तो पैदाइश पे भी पहरे लगा दिए,
कि तुम्हारी इज्ज़त पे कोई धब्बा न लगे।

क्या कभी उन नज़रों को समझाया,
जो कपड़ों के नीचे तक जाती है,

Dipti Singh Diya

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Tr. Anand Kumar

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Gokul Tapadiya

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यूरोप में डिलीवरी के समय उस औरत का पति उसके पास होता है और 
कमरे में एक या दो नर्सें होती हैं किसी तरह की दवा नहीं दी जाती...

औरत दर्द की वजह से चीखती-चिल्लाती है मगर नर्स उसे सब्र करने को कहती है 
और 99% डिलीवरी नार्मल की जाती है ना डिलीवरी से पहले दवा दी जाती है और ना बाद में
 किसी किस्म का टीका भी नहीं लगाया जाता औरत को हौसला होता है कि उसका पति उसके 
पास खड़ा हुआ है, उसका हाथ पकड़े हुए है। डिलीवरी के बाद बच्चे की नाल कैंची से उस औरत का पति ही काटता है और बच्चे को औरत के जिस्म से डायरेक्ट बगैर कपड़े के 
लगाया जाता है ताकि बच्चा टेंपरेचर मेंटेन कर ले। बच्चे को सिर्फ मां का दूध पिलाने को 
कहा जाता है और जच्चा- बच्चा दोनों को किसी किस्म की दवाई नहीं दी जाती । 
बस एक सुरक्षा टीका जो पैदाइश के फौरन बाद बच्चे को लगाया जाता है। 

पहले दिन से बच्चे की पैदाइश तक सब फ्री होता है और डिलीवरी के फौरन बाद बच्चे 
की परवरिश के पैसे मिलने शुरू हो जाते हैं लेकिन सभी देशों में ऐसा नहीं है । भारत में 
लेडी डॉक्टरडिलीवरी के लिए आती हैं और औरत के घरवालों से पहले ही कह देती हैं 
कि आपकी बेटी बहन या पत्नी की पहली प्रेगनेंसी है उसका काफी केस खराब है, 
जान जाने का खतरा है। ऑपरेशन से डिलीवरी करनी पड़ेगी ।

 99 परसेंट डॉक्टर की कोशिश होती है कि बच्चे ऑपरेशन से ही पैदा हो और
 जानबूझकर नॉर्मल डिलीवरी को भी ऑपरेशन का रूप बना देते हैं।
डिलीवरी से पहले और बाद में झोली भर-भर कर दवाईयां दी जाती हैं। डिलीवरी के वक्त
 औरत का पति तो दूर की बात है, औरत के माँ या बहन को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं होती 

एक नई पहल एक शुरुआत

Beyond The Poetry

लो गुजर गई तारीख़-ए-पैदाइश ये भी, लो गुजर गई तारीख़-ए-पैदाइश ये भी, और फिर वही नामुमकिन सा ख़्वाब आया वो भूल गए या फिर तजाहुल बरती उन्होंने मौला जाने उन्हें ये कैसा रुबाब आया मुबारकें दी ज़माने भर ने....मुबारकें दी ज़माने भर ने.... #Gif

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लो गुजर गई तारीख़-ए-पैदाइश ये भी,
लो गुजर गई तारीख़-ए-पैदाइश ये भी,
और फिर वही नामुमकिन सा ख़्वाब आया

वो भूल गए या फिर तजाहुल बरती उन्होंने
मौला जाने उन्हें ये कैसा रुबाब आया

मुबारकें दी ज़माने भर ने....मुबारकें दी ज़माने भर ने....
पर इन्तजार था इस सालगिरह भी जिस शख़्स का
ना तो मुबारक़बाद ना ही उनका कोई जवाब आया  #gif लो गुजर गई तारीख़-ए-पैदाइश ये भी,
लो गुजर गई तारीख़-ए-पैदाइश ये भी,
और फिर वही नामुमकिन सा ख़्वाब आया

वो भूल गए या फिर तजाहुल बरती उन्होंने
मौला जाने उन्हें ये कैसा रुबाब आया

मुबारकें दी ज़माने भर ने....मुबारकें दी ज़माने भर ने....


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