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सागर पाल
शोर का स्वर सब बन सकते हैं, सरगम होना मुश्किल है। फूल की झुलसी पंखुड़ियों पर शबनम होना मुश्किल है। छोटी छोटी बातों पर क्यूँ उठ जाते हैं, कदम बड़े, खंजर होना बहुत सरल है मरहम होना मुश्किल है । ©सागर पाल #शोर का #स्वर सब बन सकते हैं, #सरगम होना मुश्किल है। #फूल की झुलसी #पंखुड़ियों पर #शबनम होना मुश्किल है। छोटी छोटी बातों पर क्यूँ उठ जाते हैं, #कदम बड़े, #खंजर होना बहुत सरल है #मरहम होना मुश्किल है । @सागर_पाल Kapil Nayyar
सागर पाल
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OMG INDIA WORLD
● #पंखुड़ियों से भी #नाजुक है तुम्हारे #होठों की #सुर्खियां.... कुछ #बोले तो #गुलाब कुछ ना #बोले तो ठहरी हुई #शराब.. ©OMG INDIA WORLD ● #पंखुड़ियों से भी #नाजुक है तुम्हारे #होठों की #सुर्खियां.... कुछ #बोले तो #गुलाब कुछ ना #बोले तो ठहरी हुई #शराब.. #OMGINDIAWORLD
Nagendranh9
नित्य सुबह पूरब में आकर सूरज एक उगाता कौन। आसमान में इतना सारा लाल रंग बिखराता कौन। किरणों से छू-छू फ़ूलों की,पंखुड़ियों को देता खोल, पंखुड़ियों की मुस्कानों से भौंरों को ललचाता कौन। उगता सूरज ढलना ही है, इसकी याद दिलाता कौन..! #NH✍️ #poem
Falguni Shah©
तेरी बांसुरी सुनते ही संमोहन की पंखुड़ियों पे पंखुड़ियों बंद होने लगती है और फिर तु जो आकर्षण का पुष्प रचाता है ना वो मुझे मुग्धता में घेरे रखता है , तेरे पुनः आने तक .....!! #NojotoHindi #मीरां #कान्हा जी #quotes #hindipoetry #english #diary #love
कवि मनीष
डाली बहार की थी मुस्कुरा रही, जब हमारी निगाहें थीं मिल रही, शबनम पंखुड़ियों पे थी बिखर रही, डाली बहार की थी मुस्कुरा रही, सरगम छेड़ रही थी राग बहार, नदि चाहत की थी बेकरार, साँसें साँसों में थी घुल रही, डाली बहार की थी मुस्कुरा रही, ग़ुलाबी-ग़ुलाबी थी फ़िज़ा सारी, महक रही थी चाहत की फुलवारी, फ़िज़ा में थी खुशबू बिख़र रही, डाली बहार की थी मुस्कुरा रही, डाली बहार की थी मुस्कुरा रही, जब हमारी निगाहें थीं मिल रहीं, शबनम पंखुड़ियों पे थी बिखर रही, डाली बहार की थी मुस्कुरा रही #कविमनीष #NojotoQuote #कविमनीष
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