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Best मेघों Shayari, Status, Quotes, Stories

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Nishank Pandey

हे! उमड़ते हुए #मेघों.. तुम्हारा अंदाज़ इस #मौसम में ही क्यूँ बदलता है??

जरा थाम लो इन बूँदों को #हिन्दुस्तान का पेट इन्हीं #फसलों से पलता है।।

©Nishank Pandey #rain

प्रिन्शु लोकेश तिवारी

*_______कविता______* *देखो सखी मधुवर्षण हो रही।* *(प्रिन्शु लोकेश)* अंबर में मेघों को देखो लिए हाथ में प्याले हैं। रवि,शशि दोनों दिखते छिपते सब पी कर मतवाले हैं।

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Mumbai Rains *_______कविता______*
*देखो सखी मधुवर्षण हो रही।*
                                   *(प्रिन्शु लोकेश)*
अंबर में मेघों को देखो
लिए हाथ में प्याले हैं।
रवि,शशि दोनों दिखते छिपते 
सब पी कर मतवाले हैं।

सभी देव पीकर लड़खाते 
देखो कैसी गर्जन हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

अंबर में ज्यों लुढ़का प्याला
तरु पतिका से मदिरा टपके।
वर्षों से आश लगाऐ बैठा
प्यासा चातक रस को झपके।

रवि के ताप से तपती वसुधा
हिमरस पाते प्रमुदित हो गई।
तिमिर गेह में पडीं जो बीजें
मधुरस पाते हर्षित हो गई।

पी कर खड़े हुए नवतरु
नशे में डाली चरमर हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

हुआ आगमन निज प्रियतम का
एक बूंद अधरों में पड़ गई।
कौन प्रियतमा किसकी प्रियतम
नशे में जाने क्या-क्या कह गई।

नशे में नैन हुए अंगूरी
काम में वो तो शंकर हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

रूप अप्सरा चली गई फिर
पूर्ण रूप से गलगल हो कर।
वसुधा का आंचल फिर देखा
दादुर बोले गदगद हो कर।

किसी का प्याला चटका नभ पर
देखो कैसी लपकन हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

इन मेघों में न जाने
कितना मदिरा भरा हुआ है।
हिमशिखरों से हिम भी लाते
जो मदिरा में पड़ा हुआ है।

देहगुहा में भर लो रसना
अबकी अद्भुत वर्षण हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

निशा निशा में पीती ही थी
आज उषा में आई है।
तिमिर उषा में मानों ऐसे
निशा निशा ही छाई है।

निशा उषा सब साथ मे पीते
जाने कैसे दर्शन हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।
*_प्रिन्शु लोकेश* *_______कविता______*
*देखो सखी मधुवर्षण हो रही।*
                                   *(प्रिन्शु लोकेश)*
अंबर में मेघों को देखो
लिए हाथ में प्याले हैं।
रवि,शशि दोनों दिखते छिपते 
सब पी कर मतवाले हैं।

Mohit Jagetiya

मेघों को मेरा निमंत्रण #कविता

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मेघों को मेरा निमंत्रण है
मेघों को कोयल,पपिया,मोर,
 झरने,नदियों का निमंत्रण।।

आ जाहो तुम उमड़,घुमड़ कर
काले घनघोर मेघ तुम बरस जाहो
प्यास मिठा कर अमृत बरसा दो
मोर ,पपिया तुम्हारा गान कर रहें।।

बैठी वो नायिका तुम्हारे इंतजार में
तुम आहोगें तो उसका साजन घर आएगा।
वो विरद विदेना में तड़प रही
उसकी प्यास मिठाने मेघ तुम आजोहा।

जब बिजलिया चमकेगी तो
काले बादल छाएंगे तो,ये मन बेचन 
होगा,जब तुम्हारे आने की आस बड़ेगी
मेघ तुम्हारे बरसने से मन की प्यार बुझेगी।।

ये आँखे अब बरसने लगी है
मेघ तुम आ जाहो भू धरा तरसने लगी है
मेघ तुमको मेरा निमंत्रण है।। मेघों को मेरा निमंत्रण

Jangid Damodar

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!!बहुत दिनों से !!

मैं बहुत दिनों से बहुत दिनों से
बहुत-बहुत सी बातें तुमसे चाह रहा था कहना
और कि साथ यों साथ-साथ
फिर बहना बहना बहना
मेघों की आवाज़ों से
कुहरे की भाषाओं से
रंगों के उद्भासों से ज्यों नभ का कोना-कोना
है बोल रहा धरती से
जी खोल रहा धरती से
त्यों चाह रहा कहना
उपमा संकेतों से
रूपक से, मौन प्रतीकों से

मैं बहुत दिनों से बहुत-बहुत-सी बातें
तुमसे चाह रहा था कहना!
जैसे मैदानों को आसमान,
कुहरे की मेघों की भाषा त्याग
बिचारा आसमान कुछ
रूप बदलकर रंग बदलकर कहे। #NojotoQuote

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 18 - वर्षा में श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है। प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे

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।।श्री हरिः।।
18 - वर्षा में

श्याम को जल से सहज प्रेम है और वर्षा हो रही हो, तब तो पूछना ही क्या? सभी बालक प्राय: वर्षा में भीगकर स्नान करने के व्यसनी होते हैं। कन्हाई को कोई रोकनेवाला न हो तो यह तो शरत्कालिन वर्षा में भी भीग-भीगकर स्नान करता, उछलता-कूदता फिरे। यह तो पावस की वर्षा है। इसमें तो पशु भी नीचे छिपने नहीं जाते। उन्हें भी भीगने में आनन्द आता है।

प्रातःकाल बालक गोचारण के लिए चलते थे, तब आकाश में थोड़े ही मेघ थे; किन्तु पावस में घटा घिरते देर कितनी लगती है। आकाश प्रथम प्रहर बीतते ही मे


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