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SHIVA KANT(Shayar)
White दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे, बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..! वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर, इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..! एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर, प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..! मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब, ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..! क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे, काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..! वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ, उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..! जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर, उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..! बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम, कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..! ©SHIVA KANT(Shayar) #sad_dp #Izhaar–e–mohabbat
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read moreSanu Writes
Bohot khubsurat hai aankhe tumhare Inhe bana do kismat hamari Hamein nahi chahiye zamane ki khushiya Agar mil jaye hume Mohabbat tumhari ©Sanu Writes #Couple #mohabbat #Izhaar–e–mohabbat
Krīshñā Thākūr
Teri ankhen batati hain Tujhe mujhse mohabbat hai Magar Dil ki tasalli ko Jara izhaar ho jaye.... ©Krishna Tomar #Izhaar–e–mohabbat
Izhaar–e–mohabbat
read moreSharza
#Ussdin Izhaar–e–mohabbat #izhaareishq #inkaar_bhi_nhi #ektarfapyaar #onesidedlover #onesidedfeelings #mylove #izhaarnaama
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तूं करता है जब बातें दिल की शर्मा जाती हूं तेरी ऐसी बातों पर , इज़हार नहीं करना तो मत कर बस जताते रहना तेरे दिल में भी कुछ है मगर ©Sharza #Flower #Izhaar–e–mohabbat #izhaareishq #izhaaremohabbat #ishq_gumm_hai #Jjbaat #jajbaat
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कुछ सुनने के लिए कुछ बोलना भी चाहिए बोलना हो कुछ तो सोचना नहीं चाहिए , आप आवाज तो दें हम सुनेंगे जरूर बुला कर तो देखें कुछ कहेंगे जरूर ... । ©Sharza #Diwali #izhaar #Izhaar–e–mohabbat #youandme #withyou #bolnatha #shayaari #poem #shayar_ka_dill
SHIVA KANT(Shayar)
मोहब्बत की गलियों में बाग़बाँ की कलियों में, चलियों न अकेले यूँ दुश्वार होगा जीना..! भोले और सती की तरह न झेलें विरह, पड़े न हमें यूँ अकेलेपन का ज़हर कहीं पीना..! बिना तेरे जीवन कहीं न संभव है, साथी मुश्किल है यूँ ही तेरे बिना जीना..! मरहम बनकर मर भी हम जायेंगे पर, तुम उच्च विचारों से हर एक ज़ख्म को सीना..! अनजाने में कहीं ये कही बातें भूल न जाना, नहीं बनना हमें कभी कोई भी गुज़रा ज़माना..! दबी है ख़्वाहिशें उग रहा है प्रेम का पौधा, औदा समझ कर छोटा न दामन छुड़ाना..! ज़ख्मों को फूल बताना आदत है हमारी, तुम हर परिस्थिति में बस साथ निभाना..! कदम कदम पर बैठे हैं साँसे छीनने को अपने ही, हाल-ए-दिल न किसी से कभी बताना..! जलती बूंदों सा जीवन हमारा, बुझे हुए है न जाने क्यों सपने..! स्वार्थ की दुनिया है भरे पड़े हैं लोभी यहाँ, भोगी बन कर लगेंगे नाम यूँ जपने..! भेड़ियों के भेष में नज़र आने लगे हैं, बेड़ियों में बाँधने की चाहत हमें रखते हैं अपने..! तुम और सुकून जैसे ग्रीष्म ऋतु में मानसून, प्रसून बन के महकाती हो जीवन यूँ मन भर..! बस तुम रहना सदा मेरी बनकर, किसी की बातों में न आना यूँ तनकर..! मेरे दिल की जमीं को बनाना आशियाँ हमारा, और साथ रहना इसमें ख़ूबसूरत ख़्यालात बनकर..! ©SHIVA KANT #chaand #Izhaar–e–mohabbat
#chaand Izhaar–e–mohabbat
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