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Inspector Jagbir Kaushik

THE AWAAZ / ARPHAN KHAN

anil prajapati

भारत भूमि गूंज रही है क्यों देस बिरोधी नारों से।
तुम आग लगाने निकले हो, बोलो किन अधिकारों से।

नाम ख़ुदा का ले ले कर मातृभूमि को जो चाट रहे
कुछ नरभक्षी नर गला अपने भाईयों के काट रहे।
ऐसा क्या संदेश मिला जो आए हो तुम करने संग्राम 
ख़ुद के देश से द्रोह करे वो आया मां के किस काम ।
अगर शिकायत है तुमको इस सत्ता के ठेकेदारों से,
तुम आग लगाने निकले हो, बोलो किन अधिकारों से। #राजनीति #देशद्रोह

आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"

#कविता_संग्रह #व्यंग्यबाण 

ये सीमा-पार के लोग नहीं, ये अंदर के गद्दार है।
जिन्हे देश की नहीं सूझती, स्वार्थी बने वो बैठे है।
चीनी माल चाप रहे है, न जाने क्यों ऐंठे है।।
ऐसे लोगों में मुझको बस दिखता इक गद्दार है।
जिनको हिजड़े से ज्यादा कुछ कहना ही बेकार है।।
जिनको हिजड़े से ज्यादा कुछ कहना ही बेकार है।।

इन लोगों ने देश को न जाने क्या-क्या दुख दे डाला।
छीन लिया है इन लोगों ने गरीबों का निवाला।।
अब मुझको लगता है बस इन्हें राष्ट्र-नर्क में जाना है।
क्योंकी इनकी देशभक्ति कुछ और नहीं बहाना है।।
क्योंकी इनकी देशभक्ति कुछ और नहीं बहाना है।।

किसी को अल्लाह प्यारे है और किसी को राम ही न्यारा है।
अब इकलौता पड़ा बेचारा हिन्दुस्तान हमारा है।।
उन पंडों, उन मुल्लों से कह दो कि गर हम न होते।
तो फिर उनके अब्बू-अम्मा तलवे चाट रहे होते।।
तो फिर उनके अब्बू-अम्मा तलवे चाट रहे होते।।

गद्दारों के अंदर कोई देश-प्रेम का भाव नहीं।
देश के प्रति चिंतन करने का उनमें कोई चाव नहीं।।
शायद उनको देशभक्ति का मलहम अभी है लगा नहीं।
शायद उनको देशद्रोह का अंतिम क्या है पता नहीं।।
शायद उनको देशद्रोह का अंतिम क्या है पता नहीं।।

काट-काट इन चंडालों का सिर, लहू अधर पर धारेंगें।
हम हिन्द के रक्षक हिन्द-शत्रु के अधम का बोझ उतारेंगें।।
जो भी देशद्रोही देशद्रोह को, भारत में पधारेंगें।
कान खोलकर सुन लो हम दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगें।।
कान खोलकर सुन लो हम दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगें।।

ये हिन्द की धमकी नहीं, आशुतोष "हिन्दुस्तानी" की ललकारे हैं।
हम उन वीरों के वंशज, जिसने लाख शत्रु-दल मारे हैं।।
गुंजन में अब बस शेष बचे, "जय जय हिन्द" के नारे हैं।।
क्या कहू् और उनको मै जिनको, मनुष्यता भी धिक्कारे है।
यह कविता भी है ऐसी, जिसको हर पाठक स्वीकारे है।
बस यहीं कहूंगा "जय हिन्द", जो सवा अरब को तारे है।।
बस यहीं कहूंगा "जय हिन्द", जो सवा अरब को तारे हैं।।
       
                                   :- आशुतोष "हिन्दुस्तानी" #कविता_संग्रह #व्यंग्यबाण

Avinash Thakur

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किसी ने मुझसे कहा तुम्हे लोग  देशद्रोह क्यों कहते है।।
 मैंने बड़ी सरलता से जवाब दिया मैं सच बांटता हूँ इसलिए देशद्रोही हूँ, 
वो झूठ बांटते है इसलिए देशभक्त है ।।
एक दिन जब वो खुद से सच खोज कर शेयर करेंगे वो भी जरूर मेरी तरह देशद्रोह हो जायँगे ।।।
उन्हें तो ये भी नहीं खबर है की उनके शेयर की हुई पोस्ट के पैसे किसी और को मिल रही है और वो मोहरा सिर्फ देशभक्त के नाम पर अशिक्षित बेरोजगार घूम रहे है

प्रियदर्शन कुमार

--------------------------------------- यहां दीवारों के भी कान होते हैं --------------------------------------- जरा-सा धीरे बोलो / कहीं कोई सन न ले/ यहां दीवारों के भी कान होते हैं / हर तरफ साजिशें चल रही हैं / चारों ओर सन्नाटा पसरा है /

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यहां दीवारों के भी कान होते हैं 
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जरा-सा धीरे बोलो /
कहीं कोई सन न ले/
यहां दीवारों के भी कान होते हैं /
हर तरफ साजिशें चल रही हैं /
चारों ओर सन्नाटा पसरा है /


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