Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best विसर्जित Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best विसर्जित Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about अस्थियां विसर्जित,

  • 3 Followers
  • 9 Stories

डॉ जे सी सोनी

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 🕉🙏💎💎💎💎🙏🕉 *श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के कुछ अचूक सफलता प्राप्त करने के उपाय।* *डाॅ.जे.सी.सोनी* *💎एस्ट्रो &पामिसट💎* *9039130324📲*

read more
 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🕉🙏💎💎💎💎🙏🕉

 *श्री  हनुमान जी को प्रसन्न करने  के कुछ अचूक सफलता प्राप्त करने  के उपाय।*

*डाॅ.जे.सी.सोनी*
*💎एस्ट्रो &पामिसट💎*
*9039130324📲*

Nitish Sagar

सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बहन का त्योहार होता है उसी तरह ये भी पर्व है। सामा- चकेवा का उत्सव पारंपरिक लोकगीतों से जुड़ा है |यह उत्सव मिथिला के प्रसिद्ध संस्कृति और कला का एक अंग है जो सभी समुदायों के बीच व्याप्त सभी बाधाओं को तोड़ता है। यह उत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष से सात दिन बाद शुरू होता है | आठ दिनों तक यह उत्सव मनाया जाता है , और नौवे दिन बहने अपने भाइयों को धान की नयी फसल की चुरा एवं दही खिला कर सामा- चकेवा के मूर्तियों को तालाबों में विसर्जित कर देते हैं | गाँवों में तो इसे जोते हुए खेतों में विसर्जित किया जाता है| इस पर्व के पीछे एक कहानी भी है, कहा जाता है कि सामा कृष्ण की पुत्री थी |जिसका बर्णन पुरानों में भी किया गया है | कहानी यह है कि एक दुष्ट चरित्र बाला व्यक्ति ने एक योजना रची | उसने सामा पर गलत आरोप लगाया कि उसका अबैध सम्बन्ध एक तपस्वी से है | उसने कृष्ण से यह बात कह दिया | कृष्ण को अपनी पुत्री सामा के प्रति बहुत ही गुस्सा हुआ | क्रोध में आकर उसने सामा को पक्षी बन जाने का श्राप दे दिया | सामा अब मनुष्य से पक्षी बन गयी | जब सामा के भाई चकेवा को इस प्रकरण की पुरी जानकारी हुई तो उसे अपनी बहन सामा के प्रति सहानुभूति हुई | अपनी बहन को पक्षी से मनुष्य रूप में लाने के लिए चकेवा ने तपस्या करना शुरू कर दिया | तपस्या सफल हुआ |सामा पक्षी रूप से पुनः मनुष्य के रूप में आ गयी |अपने भाई की स्नेह और त्याग देख कर सामा द्रवित हो गयी |वह अपने भाई की कलाई में एक मजबूत धागा राखी के रूप में बाँध दी |उसी के याद में आज बहनें अपनी भाइयों की कलाई में प्रति वर्ष बांधती आ रही हैं | शाम होते ही लड़कियां एवं महिलाएं पनी संगी सहेलियों की टोली में मैथिली लोकगीत गाती हुईं अपने-अपने घरों से बाहर निकलती हैं | उनके हाथों में बाँस की बनी हुई टोकड़ियाँ रहती हैं|टोकड़ियों में मिट्टी से बनी हुई सामा-चकेवा की मूर्तियाँ , पक्षियों की मूर्तियाँ एवं चुगिला की मूर्तियाँ रखी जाती है | मैथिली भाषा में जो चुगलखोरी करता है उसे चुगिला कहा जाता है | मिथिला में लोगों का मानना है कि चुगिला ने ही कृष्ण से सामा के बारे में चुगलखोरी की थी | सामा खेलते समय महिलायें मैथिली लोक गीत गा कर आपस में हंसी – मजाक भी करती हैं | भाभी ननद से और ननद भाभी से लोकगीत की ही भाषा में ही मजाक करती हैं | अंत में चुगलखोर चुगिला का मुंह जलाया जाता है और सभी महिलायें पुनः लोकगीत गाती हुई अपने – अपने घर वापस आ जाती हैं |ऐसा आठ दिनों तक चलता रहता है | #Nojoto #nojotohindi #story #kalakaksh #Festival #sama_chakeva #Brother #Sisters #Festival

read more
सामा चकेवा
मिथिलांचल का एक पर्व
Read in caption सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है।  यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बहन का त्योहार होता है उसी तरह ये भी पर्व है। सामा- चकेवा का उत्सव पारंपरिक लोकगीतों से जुड़ा है |यह उत्सव मिथिला के प्रसिद्ध संस्कृति और कला का एक अंग है जो सभी समुदायों के बीच व्याप्त सभी बाधाओं को तोड़ता है। यह उत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष से सात दिन बाद शुरू होता है | आठ दिनों तक यह उत्सव मनाया जाता है , और  नौवे दिन बहने अपने भाइयों को धान की नयी फसल की चुरा एवं दही खिला कर सामा- चकेवा के मूर्तियों को तालाबों में विसर्जित  कर देते हैं | गाँवों में तो इसे जोते हुए खेतों में विसर्जित किया जाता है|
इस पर्व के पीछे एक कहानी भी है, कहा जाता है कि सामा कृष्ण की पुत्री थी |जिसका बर्णन पुरानों में भी किया गया है | कहानी यह है कि एक दुष्ट चरित्र बाला व्यक्ति ने एक योजना रची | उसने सामा पर गलत आरोप लगाया कि उसका अबैध सम्बन्ध एक तपस्वी से है | उसने कृष्ण से यह बात कह दिया | कृष्ण को अपनी पुत्री सामा के प्रति बहुत ही गुस्सा हुआ | क्रोध में आकर उसने सामा को पक्षी बन जाने का श्राप दे दिया | सामा अब मनुष्य से पक्षी बन गयी |
जब सामा के भाई चकेवा को इस प्रकरण की पुरी जानकारी हुई तो उसे अपनी बहन सामा के प्रति सहानुभूति हुई | अपनी बहन को पक्षी से मनुष्य रूप में लाने के लिए चकेवा ने तपस्या करना शुरू कर दिया | तपस्या सफल हुआ |सामा पक्षी रूप से पुनः मनुष्य के रूप में आ गयी |अपने भाई की स्नेह और त्याग देख कर सामा द्रवित हो गयी |वह अपने भाई की कलाई में एक मजबूत धागा राखी के रूप में बाँध दी |उसी के याद में आज बहनें अपनी भाइयों की कलाई में प्रति वर्ष बांधती आ रही हैं |
शाम होते ही लड़कियां एवं महिलाएं पनी संगी सहेलियों की टोली में मैथिली लोकगीत गाती हुईं अपने-अपने घरों से बाहर निकलती हैं | उनके हाथों में बाँस की बनी हुई टोकड़ियाँ रहती हैं|टोकड़ियों में मिट्टी से बनी हुई सामा-चकेवा की मूर्तियाँ , पक्षियों की मूर्तियाँ एवं चुगिला की मूर्तियाँ रखी जाती है | मैथिली भाषा में जो चुगलखोरी करता है उसे चुगिला कहा जाता है | मिथिला में लोगों का मानना है कि चुगिला ने ही कृष्ण से सामा के बारे में चुगलखोरी की थी | सामा खेलते समय महिलायें मैथिली लोक गीत गा कर आपस में हंसी – मजाक भी करती हैं | भाभी ननद से और ननद भाभी से लोकगीत की ही भाषा में ही मजाक करती हैं | अंत में चुगलखोर चुगिला का मुंह जलाया जाता है और सभी महिलायें पुनः लोकगीत गाती हुई अपने – अपने घर वापस आ जाती हैं |ऐसा आठ दिनों तक चलता रहता है |
#nojoto #nojotohindi #story #kalakaksh #festival #sama_chakeva #brother #sisters #festival


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile