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करिश्मा ताब
if I wrote a book ©करिश्मा ताब एक महिला आईपीएस ऑफिसर जिनकी नई -नई नियुक्ति हुई थी इस शहर में। कुछ ही समय में ये महिला ऑफिसर समाचार पत्रों की सुर्खियों में रहने लगीं। देखने में बहुत ही साधारण कदकाठी की थी अपनी तेज तर्रार कार्यशैली के विपरीत। एक बार एक प्रेसवार्ता के दौरान किसी पत्रकार ने पूछा - मैम आपने आईपीएस की नौकरी का ही चुनाव क्यों किया जबकि आप पहले ही शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत थीं। महिला ऑफिसर ने कुछ सोचते हुये जो बताया वो बेहद चौंका देने वाला जवाब था। उन्होने बताया कि उन्होंने बचपन से अबतक अन्याय, धोखेबाजी और अपराध को जीवनभर सहते हुये जिया है जिन्होंने ऐसा किया उन सबको सबक सिखाने की बड़ी ही तमन्ना थी जो अब पूरी हो रही है समाज के दबे कुचले असहाय और पीड़ितों की लाठी बनकर। मेरे पापा कभी नहीं गये न्याय का दरवाजा खटखटाने। लोग तोड़ते रहे हम सब टूट -टूटकर गिरते संभलते रहे। ऐसा नहीं है कि हम कहते नहीं थे क़ानून का सहारा लेने के लिये,,, पापा कहते बेटी गरीब और कमजोर का कोई नहीं होता क्योंकि पैसा सबसे बड़ा हो गया है आज....। पापा बस यही कहते सब्र रखो! भगवान के घर देर है अंधेर नहीं । "पुलिस की फुर्ती न्याय की सुस्ती दूर कर सकती है मुझे डूबते का किनारा बनना है "
एक महिला आईपीएस ऑफिसर जिनकी नई -नई नियुक्ति हुई थी इस शहर में। कुछ ही समय में ये महिला ऑफिसर समाचार पत्रों की सुर्खियों में रहने लगीं। देखने में बहुत ही साधारण कदकाठी की थी अपनी तेज तर्रार कार्यशैली के विपरीत। एक बार एक प्रेसवार्ता के दौरान किसी पत्रकार ने पूछा - मैम आपने आईपीएस की नौकरी का ही चुनाव क्यों किया जबकि आप पहले ही शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत थीं। महिला ऑफिसर ने कुछ सोचते हुये जो बताया वो बेहद चौंका देने वाला जवाब था। उन्होने बताया कि उन्होंने बचपन से अबतक अन्याय, धोखेबाजी और अपराध को जीवनभर सहते हुये जिया है जिन्होंने ऐसा किया उन सबको सबक सिखाने की बड़ी ही तमन्ना थी जो अब पूरी हो रही है समाज के दबे कुचले असहाय और पीड़ितों की लाठी बनकर। मेरे पापा कभी नहीं गये न्याय का दरवाजा खटखटाने। लोग तोड़ते रहे हम सब टूट -टूटकर गिरते संभलते रहे। ऐसा नहीं है कि हम कहते नहीं थे क़ानून का सहारा लेने के लिये,,, पापा कहते बेटी गरीब और कमजोर का कोई नहीं होता क्योंकि पैसा सबसे बड़ा हो गया है आज....। पापा बस यही कहते सब्र रखो! भगवान के घर देर है अंधेर नहीं । "पुलिस की फुर्ती न्याय की सुस्ती दूर कर सकती है मुझे डूबते का किनारा बनना है "
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