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JALAJ KUMAR RATHOUR
निशी, पागल सी बेबाक लड़की, अजीज दोस्त ,मेंटर,भूतपूर्व पड़ोसी🤣 मेरी सीक्रेट कीपर और इंजीनियर साहिबा, आज हम लोग दूर है और अपनी अपनी मंजिल को पाने में मगरूर है। वैसे हमारी कई यादो का हिस्सा थी तू, उन चार सालों का एक हसीन किस्सा थी तू ,यार दस साल कब बीत गये पता ही नही चला। मगर हाँ इन दस साल मे हमारे दरमियाँ एक रिश्ता दोस्ती का बरकरार रहा। , कुछ खताये भी हुई, मगर फिर भी हमारी दोस्ती रही ,तेरे संग बीती बाते और वो केमिस्ट्री की क्लासे, सब यादगार थीं। बस इतना ही कहूंगा, की शुक्रिया तेरा हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बनने के लिये, और मेरी हर गलती को भूलने के लिए, दुआ है खुदा से हंसती रहे तू यूँ ही उम्र भर, जब तक है ये जिंदगी का सफर, जन्मदिन मुबारक निशी .....#जलज_राठौर #GandhiJayanti2020 निशी, पागल सी बेबाक लड़की, अजीज दोस्त ,मेंटर,भूतपूर्व पड़ोसी🤣 मेरी सीक्रेट कीपर और इंजीनियर साहिबा,आज हम लोग दूर है और अपनी अपनी मंजिल को पाने में मगरूर है। वैसे हमारी कई यादो का हिस्सा थी तू, उन चार सालों का एक हसीन किस्सा थी तू,यार दस साल कब बीत गये पता ही नही चला। मगर हाँ इन दस साल मे हमारे दरमियाँ एक रिश्ता दोस्ती का बरकरार रहा। , कुछ खताये भी हुई, मगर फिर भी हमारी दोस्ती रही,तेरे संग बीती बाते और वो केमिस्ट्री की क्लासे सब यादगार थीं। बस इतना ही कहूंगा की शुक्रिया तेरा
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बरसात हमेशा तुम्हारी याद दिलाती है, तुम्हारी छाते को घर भूलने वाली आदत, तेरे लिए मेरी फ़िक्र को बढाती है। सच बता क्या आज भी तुझे, बरसात में , मेरे हाथो की अदरक वाली चाय याद आती है । ... #जलज_राठौर #StreetNight बरसात हमेशा तुम्हारी याद दिलाती है, तुम्हारी छाते को घर भूलने वाली आदत, तेरे लिए मेरी फ़िक्र को बढाती है। सच बता क्या आज भी तुझे, बरसात में , मेरे हाथो की अदरक वाली चाय याद आती है । ... #जलज_राठौर
JALAJ KUMAR RATHOUR
विधवा..... वो हरे थे खुशियों से भरे थे उसके दिन, छीन लिया तूने उसका सौहर, मुझको आज बता दे खुदा ,कैसे जियेगी वो उसके बिन, वो छोटे छोटे बच्चे अब पापा किसको बुलाएँगे, किसके साथ अब वो टहलने जायेंगे, जमाने के लिए पहले थी वो लड़की, जब उठी उसकी डोली, पहनी उसने साड़ी, तो लोग कहने लगे उसको नारी, ज्यों जुदा हुआ उससे उसका हमनवा, तो लोग कहने लगे उसको विधवा, अब तू ही मुझको दे बता ए खुदा, औरत का अस्तित्व है कहाँ, अब वो अकेली है, ना कोई अब उसका है साथी, ना ही अब कोई उसकी सहेली है, तेरे इस पत्थर दिल के जमाने की बदसूलुकी को , वो झेलती अकेली है, उस पर हुए अत्याचारो का, कौन अब गवाह है, दुनियां दे रही प्रताड़नाये उसको, क्युकी अब वह एक विधवा है, उसके फूल जैसे बच्चों को मैंने देखा है, तेरे लिए उनके दिल मैं एक अनूठा विश्वास रहता है, जैसे कीचड़ मैं भी कमल है खिलता, क्यूँ नही ए खुदा तू,उनकी मुश्किलों में उनसे है मिलता... .. #जलज_राठौर #CupOfHappiness विधवा..... वो हरे थे खुशियों से भरे थे उसके दिन, छीन लिया तूने उसका सौहर, मुझको आज बता दे खुदा ,कैसे जियेगी वो उसके बिन, वो छोटे छोटे बच्चे अब पापा किसको बुलाएँगे, किसके साथ अब वो टहलने जायेंगे, जमाने के लिए पहले थी वो लड़की,
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#पहली मोहब्बत...... एक उम्मीद आज जब हवा ने उसकी जुल्फों को उसके चेहरे से स्पर्श कराया तो उसने तुरंत ही अपनी आँखे बन्द कर ली। और सोचने लगी उस बीते वक्त को जब उसका एक अजीज दोस्त जिसे वो अपना हर सुख दुख बताती थी जिसकी हर कोशिश सिर्फ और सिर्फ इस पागल लड़की के चेहरे पर मुस्कान लाने की थी जो अपना सब कुछ इस पागल पर हार बैठा था जो अक्सर कहता था की मैं तुझमे जीता हूँ फिर क्यूँ तू मुझ पर मरती है और जिसके हर इजहार पर वो खामोश हो जाती थी आज भी इस लड़की को उम्मीद थी की आज भी वो पागल लड़का उसके चेहरे पर आयी जुल्फों को उसके कानों के पीछे का रास्ता मुकम्मल करायेगा। मगर नही अब ऐसा नही था वो पागल लड़का अपनी एक तरफा मोहब्बत जो अब एकतरफा ना रही थी को लिए जमाने को मसर्रत मयस्सर कराने के लिए शब्दो के जाल बुनने लगा था मगर कही ना कही दिल में एक उम्मीद उसके भी थी की खुदा उसे उसकी पहली मोहब्बत से मिलवायेगा और उस पागल लड़की को भी उम्मीद थी एक रोज जरूर वो पागल लड़का उसकी जुल्फों को उसके कानों के पीछे का रास्ता मुकम्मल करायेगा ....... #जलज_राठौर #पहली_मोहब्बत #पहली मोहब्बत...... एक उम्मीद आज जब हवा ने उसकी जुल्फों को उसके चेहरे से स्पर्श कराया तो उसने तुरंत ही अपनी आँखे बन्द कर ली। और सोचने लगी उस बीते वक्त को जब उसका एक अजीज दोस्त जिसे वो अपना हर सुख दुख बताती थी जिसकी हर कोशिश सिर्फ और सिर्फ इस पागल लड़की के चेहरे पर मुस्कान लाने की थी जो अपना सब कुछ इस पागल पर हार बैठा था जो अक्सर कहता था की मैं तुझमे जीता हूँ फिर क्यूँ तू मुझ पर मरती है और जिसके हर इजहार पर वो खामोश हो जाती थी आज भी इस लड़की को उम्मीद थी की आज भी वो पागल लड़का उसके चेहरे पर आयी
JALAJ KUMAR RATHOUR
#पहली मोहब्बत...... एक उम्मीद आज जब हवा ने उसकी जुल्फों को उसके चेहरे से स्पर्श कराया तो उसने तुरंत ही अपनी आँखे बन्द कर ली। और सोचने लगी उस बीते वक्त को जब उसका एक अजीज दोस्त जिसे वो अपना हर सुख दुख बताती थी जिसकी हर कोशिश सिर्फ और सिर्फ इस पागल लड़की के चेहरे पर मुस्कान लाने की थी जो अपना सब कुछ इस पागल पर हार बैठा था जो अक्सर कहता था की मैं तुझमे जीता हूँ फिर क्यूँ तू मुझ पर मरती है और जिसके हर इजहार पर वो खामोश हो जाती थी आज भी इस लड़की को उम्मीद थी की आज भी वो पागल लड़का उसके चेहरे पर आयी जुल्फों को उसके कानों के पीछे का रास्ता मुकम्मल करायेगा। मगर नही अब ऐसा नही था वो पागल लड़का अपनी एक तरफा मोहब्बत जो अब एकतरफा ना रही थी को लिए जमाने को मसर्रत मयस्सर कराने के लिए शब्दो के जाल बुनने लगा था मगर कही ना कही दिल में एक उम्मीद उसके भी थी की खुदा उसे उसकी पहली मोहब्बत से मिलवायेगा और उस पागल लड़की को भी उम्मीद थी एक रोज जरूर वो पागल लड़का उसकी जुल्फों को उसके कानों के पीछे का रास्ता मुकम्मल करायेगा ....... #जलज_राठौर #पहली_मोहब्बत #पहली मोहब्बत...... एक उम्मीद आज जब हवा ने उसकी जुल्फों को उसके चेहरे से स्पर्श कराया तो उसने तुरंत ही अपनी आँखे बन्द कर ली। और सोचने लगी उस बीते वक्त को जब उसका एक अजीज दोस्त जिसे वो अपना हर सुख दुख बताती थी जिसकी हर कोशिश सिर्फ और सिर्फ इस पागल लड़की के चेहरे पर मुस्कान लाने की थी जो अपना सब कुछ इस पागल पर हार बैठा था जो अक्सर कहता था की मैं तुझमे जीता हूँ फिर क्यूँ तू मुझ पर मरती है और जिसके हर इजहार पर वो खामोश हो जाती थी आज भी इस लड़की को उम्मीद थी की आज भी वो पागल लड़का उसके चेहरे पर आयी
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आपके चाँद पर जाने का कोई महत्व नही रहता, अगर आप अपने साथ के व्यक्ति को जमीं में दफ़न होने से नही बचा सकते... . #जलज_राठौर आपके चाँद पर जाने का कोई महत्व नही रहता, अगर आप अपने साथ के व्यक्ति को जमीं में दफ़न होने से नही बचा सकते......... #जलज_राठौर
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साथ उसके सब अच्छा लगता है, दर्द बाँटने का ना कोई खर्चा लगता है , प्यार मोहब्बत के लफड़े उसको नही भाते, मैंने देखा है उसको बेमतलब के रिश्ते निभाते... .. #जलज_राठौर साथ उसके सब अच्छा लगता है दर्द बाँटने का ना कोई खर्चा लगता है Gf, bf के लफड़े उसको नही भाते, मैंने देखा है उसको बेमतलब के रिश्ते निभाते..... #जलज
JALAJ KUMAR RATHOUR
सर्दी वाले स्वेटर में, रफू की शर्ट में, बेवजह मुस्कराने में, मुझे हँसा कर रुलाने में, और मेरी गलतियों पर मुझे समझाने में तुम हो, एक माँ , एक हमसफर, एक बहिन, और एक शिक्षिका, कैसे चुकाउंगा कर्ज ए नारी मैं तेरे फर्ज का ...... #जलज_राठौर सर्दी वाले स्वेटर में, रफू की शर्ट में, बेवजह मुस्कराने में, मुझे हँसा कर रुलाने में, और मेरी गलतियों पर मुझे समझाने में तुम हो, एक माँ , एक हमसफर,
JALAJ KUMAR RATHOUR
उस दिन बहुत खुश था मैं पर दुखी भी था आखिर आखिरी होली जो थी तुम्हारे साथ, यही तो दिन था जब तुम्हे स्पर्श करने का अवसर मिलता था, स्कूल में ये दिन भी किसी वैलेंनटाइन डे से कम नही होता था, रंगों के सहारे प्रेम को प्रदर्शित करना, यही तो खूबियां होती है उस वक्त के हर सोलह वर्ष के युवकों में, प्रेम का रंग भी बिल्कुल चटक लाल और हरे रंग सा चढता है पहले तो हर कोई मना करता है, इसके करीब आने के ,पर जब आ जाता है तो बेखौफ हो जाता है ,फिर जो आनंद को वो प्राप्त करता है वो किसी महबूब की मुकम्मल मोहब्बत से कम नही होती, अरे मैं भी ना क्या करूँ संभाल ही नही पाता था खुद को,तुम्हे करीब आता देख और उस दिन तो तुम मेरे सामने थी, गुलाबी रंगों से रंगे तुम्हारे गाल और भांग से ज्यादा मदहोश तुम्हारी आँखों ने इस होली को मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत होली बना दी थी , कितना अजीब होता है हैं ना जिसके लिए हम सब सोच के रखते हैं उसके सामने आते ही हम सब भूल जाते हैं कभी कभी तुम मेरे लिए परीक्षा के उस प्रश्न सी थी जिसे मैंने पूरी साल पड़ा पर पेपर मे सामने आने पर सब भूल गया, बात रंगो की नही थी बात थी तुम्हारा मेरे साथ होने की, तुम्हे देख मुस्कराने की और खिड़कियों से झांकते मेरे प्रतिबिंब की जो आज भी इंतजार में है की तुम शायद गुजरों फिर कभी इसी कॉलेज के सामने से और तुम बुलाओ उसे अपने करीब फिर से उसकी जिंदगी में रंग भरने को, रंग तो सिर्फ सहारा होते हैं प्रेम को प्रदर्शित करने के, चाहे वो बुजुर्गों के टीका लगाकर पैर छूकर जताया जाए, चाहे वो जीजा सालियों की चुटकियों में पाया जाए या चाहे देवर और भाभी की हँसी ठिठोलीयों मे मिल जाए, हमारा तो कोई संबंध ही नही था, प्रेम शायद वो सिर्फ मेरी तरफ से था, तुम तो सिर्फ रंग थी वो रंग जिसे होने से मैं रंगीन और जिसके ना होने से मैं रंगहीन था शुक्रिया मेरी जिंदगी को रंग- बेरंग करने के लिए....... ..... #जलज_राठौर #प्रेम का रंग उस दिन बहुत खुश था मैं पर दुखी भी था आखिर आखिरी होली जो थी तुम्हारे साथ, यही तो दिन था जब तुम्हे स्पर्श करने का अवसर मिलता था, स्कूल में ये दिन भी किसी वैलेंनटाइन डे से कम नही होता था, रंगों के सहारे प्रेम को प्रदर्शित करना, यही तो खूबियां होती है उस वक्त के हर सोलह वर्ष के युवकों में, प्रेम का रंग भी बिल्कुल चटक लाल और हरे रंग सा चढता है पहले तो हर कोई मना करता है, इसके करीब आने के ,पर जब आ जाता है तो बेखौफ हो जाता है ,फिर जो आनंद को वो प्राप्त करता है वो किसी महबूब की मुकम्मल मोहब्बत से कम न
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बेकरार है दिल तुझसे मुलाकात को, कैसे संभालूंगा अपने जज्बात को, गर मोहलत दी खुदा ने कुछ मांगने की, तो माँग लूंगा, दरमियाँ तेरे बर्बाद हुए वक़्त को, .... #जलज_राठौर बेकरार है दिल तुझसे मुलाकात को, कैसे संभालूंगा अपने जज्बात को, गर मोहलत दी खुदा ने कुछ मांगने की, तो मांगूगा, दरमियाँ तेरे बर्बाद हुए वक़्त को, .... #जलज_राठौर