Find the Best kumaardedication Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about kisi se kum nahin, kum kum bhagy images and gif shayri hindi 0, akshay kumar dil cheez tujhe dedi, hum kisise kum nahin video songs, hum kisise kum nahin full movie,
kumaarkikalamse
गीतकार से इश्क़ हुआ, चित्रकार से जुड़े किस्से पिंजर लिखने वाली के कितने थे अनजाने हिस्से। चित्रकार - इमरोज़ गीतकार - साहिर पिंजर - इनका सबसे बेहतरीन उपन्यास.. आपकी तारीफ़ इस दौर में ही नहीं हर युग में होगी... #kumaarsthought #kumaardedication #अमृताप्रीतम
kumaarkikalamse
तुम ही मेरे दोस्त तुम ही ख़ैर-ख़्वाह तेरे संग भरी हुई है मश्वरों की अलमारी..! बहुत वक़्त हुआ तुमसे ना मिला, आओ कभी यहाँ खेले संग यादों की पिचकारी..! सभी दोस्तों को मेरा प्यार और दुलार..! हर किसी का नाम लिख नहीं सकते, और किसी को छोड़ नहीं सकते..! #kumaarsthought #kumaarpoem #kumaardedication #happyfriendshipday #मित्रतादिवस
kumaarkikalamse
छोटी सी उम्र में घर को एड़ियों पर रखकर चलता है घर का बड़ा बेटा अपनी गोद में सर रखकर पलता है। बचपने में मोह खोता खिलौनों का, जवानी में आराम कोई क्या उसे सिखाये ज़िंदगी, जो टूटकर फलता है। मजबूरियाँ बेशक घेरे रहती , मुस्कान रहती फिर भी जिम्मेदारी को गले लगाकर, हर पल हँसकर चलता है। बदन अक्सर थक जाता है, रूह को ना थकने देता वो रिश्तेदारों की आँखों में, यह खून बनकर खलता है। 'कुमार' करे नमन घर के हर उस बड़े बेटे को यारों जिसकी कुर्बानी से, दुःख का साया हर रात टलता है। Dedicating to all the elder sons of families. A small tribute to all the Sons. बेटे कैसे होते हैं पता नहीं, जो लिखा उसे बहुत करीब से जिया है और फ़क्र है कि अपने बच्चों को इस से सीख दे पाऊँगा आने वाले समय में..! आप सब की मोहब्बत से आज 1500 quote पूरे किए.. Thanks @ख़्वाब Divya for letting me know for this number.
kumaarkikalamse
प्रिय मुकुल, मैं जानता हूँ पत्र लिखना जितना मुझे पसंद है उतना तुम्हें भी और हाँ मैं तुम्हें हक़ से 'तुम' कह सकता हूँ..। पत्र में तुमसे हुई कुछ गुफ़्तगू लिख रहा हूँ, उम्मीद करता हूँ तुम वर्तमान में रहकर, भूत को जियो गे और भविष्य को सुन्दर करोगे..। पहला संस्मरण :- दिन, दिनाँक तो याद नहीं पर जब पहली बार तुमसे मैंने दाऊ सुना था, सच में ख़ुद को बलराम मानने लगा था और यकीन होने लगा था कि बड़ा हूँ.. (मज़ाक नहीं है यह) यहां पर ज्यादतर लेखक, पाठक मुझे भाई, सर या दोस्त ही कहते, दाऊ कभी नहीं सुना, ना ही कभी जिंदगी में अब तक किसी ने सामने से कहा.. यह मेरी लाइफ में सुना शायद सबसे प्यारा संबोधन हैं मेरे लिए क्योंकि इसमे केवल संबोधन नहीं, प्यार है, सम्मान है..। प्रिय मुकुल, मैं जानता हूँ पत्र लिखना जितना मुझे पसंद है उतना तुम्हें भी और हाँ मैं तुम्हें हक़ से 'तुम' कह सकता हूँ..। पत्र में तुमसे हुई कुछ गुफ़्तगू लिख रहा हूँ, उम्मीद करता हूँ तुम वर्तमान में रहकर, भूत को जियो गे और भविष्य को सुन्दर करोगे..। पहला संस्मरण :-
kumaarkikalamse
प्रिय डॉ साहिबा आप और आपकी शालीनता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है मुझे..। आपको बहुत दिन से पत्र लिखकर धन्यवाद कहने की सोच रहा था पर इंतजार में दिन निकलते गए..। आज कलम ने कहा कि आज तो मौका भी है और दस्तूर भी, तो क्यों ना डॉ साहिबा को एक चिट्ठी लिखी जाए और उनसे कुछ संस्मरण साझा किए जाए..। पहला संस्मरण :- मुझे आज वो दिन याद है जब आपसे पहली बार बात हुई थी, दिनांक 7th मई, समय 8:51 रात के, उस समय पूरा भारत जिस समस्या से गुजर रहा था उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है, पर जिस सहजता से आपने मेरी पूरी बात सुनी और सलाह दी, वह मुझे आज भी याद है। प्रिय डॉ साहिबा आप और आपकी शालीनता ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है मुझे..। आपको बहुत दिन से पत्र लिखकर धन्यवाद कहने की सोच रहा था पर इंतजार में दिन निकलते गए..। आज कलम ने कहा कि आज तो मौका भी है और दस्तूर भी, तो क्यों ना डॉ साहिबा को एक चिट्ठी लिखी जाए और उनसे कुछ संस्मरण साझा किए जाए..।
kumaarkikalamse
प्रिय दिव्या, ख़त की शुरुआत में अज्ञात जी के एक शेर से करता हूँ, अज्ञात जी कहते हैं कि मिट्टी की आवाज़ सुनी जब मिट्टी ने साँसों की सब खींचा-तानी ख़त्म हुई अपने वतन की मिट्टी बहुत याद आती है, शायद इसीलिए मेरा जुड़ाव ज्यादा रहा तुमसे यहाँ, अपने गुलाबी नगर की बात ही शायद कुछ ऐसी है.. एक ही शहर में रहकर भी कभी ना मिले, पर इस YQ परिवार ने उस कमी को पूरा किया। दिव्या, तुमसे जब से दोस्ती हुई तब से बहुत सी चीज़े मुझे हम दोनों में समान लगी जैसे तुम्हारा और मेरा जयपुर से होना, पेशा अध्यापन, लिखने का शौक, उर्दू सीखने की लालसा.. और भी बहुत कुछ है शायद जो तुम देखो प्रिय दिव्या, ख़त की शुरुआत में अज्ञात जी के एक शेर से करता हूँ, अज्ञात जी कहते हैं कि मिट्टी की आवाज़ सुनी जब मिट्टी ने साँसों की सब खींचा-तानी ख़त्म हुई अपने वतन की मिट्टी बहुत याद आती है, शायद इसीलिए मेरा जुड़ाव ज्यादा रहा तुमसे यहाँ, अपने गुलाबी नगर की बात ही शायद कुछ ऐसी है.. एक ही शहर में रहकर भी कभी ना मिले, पर इस YQ परिवार ने उस कमी को पूरा किया।
kumaarkikalamse
प्रिय मधु जी सादर प्रणाम..! आपको मधु जी लिखना थोड़ा अटपटा लगता है पता नहीं क्यों, पर अंदर से मन नहीं मानता कि आपका नाम लूँ, तो आज से मैं आपको 'उस्ताद जी' ही कहूँगा.. वैसे तो दुनिया कहती हैं कि नाम में क्या रखा है, पर नाम से ही आपकी पहचान होती है यह मेरा मानना है, और आपको देखकर, पढ़कर, मेहसूस करके हमेशा गुरु माता वाली ही फीलिंग्स आई, तो गुरु माता और उस्ताद जी को कुमार का प्रणाम..। आप, जब भी कलम उठाते हैं बस फिर कलम चलती नहीं, और एक छोर से होकर जब वह मुकाम तक जाती है तब ऐसा नगमा बन चुका होता है जिसे लिख पाना हर किसी के बस की बात नहीं..। आपके हर लेख में आपका अनुभव साफ साफ दिखाई देता है और जब आप अपने लेखन से कुछ सिखाते हैं, क्या कहें कितना आंनद आता है..। आप यूँही यहाँ ता-उम्र लिखते रहे और हम आपके शागिर्द बनकर सीखते रहे..। आपकी कलम का मुरीद जय #kumaarsthought #yqletter #yqlewrimo #Kumaarletter #kumaarjuneletter #kumaardedication आपके लिए दिल से ढ़ेर सारा प्यार उस्ताद जी, आपकी लेखनी का कुछ असर है हम पर.. ।आपकी सोहबत और आशीष को हम पर बनाए रखना..। Dedicating a #testimonial to Madhumayi
kumaarkikalamse
प्रिय साड़ी तुम अपने नाम, मेरी कलम से लिखे पत्र को देखकर अचंभित ना होना कि मैंने तुम्हें कैसे चुना पत्र लिखने के लिए.. तुम्हारा ऐसा सोचना कुछ हद तक ठीक है पर मुझे बताते हुए खुशी भी है कि तुम नारी पर सजने वाला सबसे प्यारा परिधान हो..। तुम जब जब किसी स्त्री के शरीर पर सुशोभित होती हो, नारी की सुन्दरता में चार से भी ज्यादा चाँद लग जाते हैं और उस वक़्त वह स्त्री चाहे वह कन्या हो, किसी की अर्धांगिनी, किसी की माँ, बहु, सास, दादी नानी सब को एक अलग ही तरह का सुकून देती हो..। तुम्हें विश्व भर में सम्मान प्राप्त है, 'दैनिक दिनचर्या' हो, या सुहाग के लिए रखा गया 'करवा चौथ' का व्रत, या पहली बार पग फेरे के बाद मायके से ससुराल जाना हो, या किसी अपने की शादी में हर जगह (पूरा पत्र अनुशीर्षक में) प्रिय साड़ी तुम अपने नाम, मेरी कलम से लिखे पत्र को देखकर अचंभित ना होना कि मैंने तुम्हें कैसे चुना पत्र लिखने के लिए.. तुम्हारा ऐसा सोचना कुछ हद तक ठीक है पर मुझे बताते हुए खुशी भी है कि तुम नारी पर सजने वाला सबसे प्यारा परिधान हो..। तुम जब जब किसी स्त्री के शरीर पर सुशोभित होती हो, नारी की सुन्दरता में चार से भी ज्यादा चाँद लग जाते हैं और उस वक़्त वह स्त्री चाहे वह कन्या हो, किसी की अर्धांगिनी, किसी की माँ, बहु, सास, दादी नानी सब को एक अलग ही तरह का सुकून देती हो..। तुम्हें विश्व भर में सम्म
kumaarkikalamse
धरा से अम्बर की दूरी तक, बच्चों के लिए जीता है माँ ग़र पालती है बच्चों को, सींचता पिता है। पितृ दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें, वैसे रिश्तों का कोई खास दिन नहीं होता, पर जब भी मौका मिला उन्हें बता देना चाहिए, उनकी अहमियत को..! आज WhatsApp, Insta, सब पर papa की photo के साथ love you दिखेगा, और होना भी चाहिए, उन्हें एक दिन इतना प्यार मिलेगा तो उनको अच्छा ही लगेगा..! हर पिता को मेरा चरण स्पर्श.. #kumaarsthought #kumaardedication #happyfathersday
kumaarkikalamse
प्रिय प्रवीण दादा, नमस्ते..! बहुत दिनों से सोच रहे है कि एक खास पत्र लिखा जाए और जब खास की बात हो तो आप हमेशा सबसे खास हैं! दादा, आपके लिए क्या लिखे, आप ख़ुद हर विधा में पारंगत हैं और आपके लिखे नग्मे इस बज़्म की जान है! जब आप इजाज़त लेकर दुबारा उन्हीं से चाहत करना चाहते है, क्या कहूँ इसे पढ़कर एक शेर याद आता है, सबीन साहब कहते हैं कि - तुम्हारे ख़्वाब की ता'बीर हो जाऊँ इजाज़त है मोहब्बत की मैं इक तस्वीर हो जाऊँ इजाज़त है! आपकी लिखी हर नज़्म अपने आप में पूरी कहानी है, आपका लिखने के लिए प्रेम देखकर हमें भी लिखने से और प्रेम हो जाता है! प्रवीण दादा, आपकी बवाल गिरी सच में बहुत बवाल करती है और आशा करता हूँ आप यूँ ही बवाल गिरी मचाते रहेंगे! एक गुज़ारिश है दादा, दिन में कम से कम एक नगमा हम जैसे चाहने वालों के लिए जरूर लिख दिया करो..! पत्र का अंत नहीं होता मेरा ऐसा मानना है क्योंकि अंत हुआ तो दुबारा ना लिखा जाएगा,.. इसको थोड़ा यहाँ विराम दे रहा हूँ ताकि आपके लिए दुबारा लिखूं, तिबारा लिखूँ..!