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It's PSR

Its #psr #Books

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padna bhi h 
likhana bhi h|
aur sabse alag
dikhana bhi h|

©It's PSR Its #psr

#Books

Prashant Singh Rajawat

नाराज़ #naraaz #psr #SAD

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तू ही मुझे बता, आखिर मैं क्या लिखूँ?
नाराज़ हो के तुझसे, शेर लिख रहा हूँ मैं।। नाराज़

#naraaz #psr #sad

Prashant Singh Rajawat

इंसान 👤 #psr #prashantsinghrajawat #Insaan #nojotohindi #poem

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इंसान कहीं से भी, इंसान नहीं दिखता,
भारत पहले जैसा, महान नहीं दिखता।।
क्या मान करेंगे ये, इस भारत माता का,
माँ-बाप की खातिर भी सम्मान नहीं दिखता।।

प्रचार यहाँ झूठे सच का, रावण को करते देखा,
इंसानियत को इंसानों, के हाथों ही मरते देखा।।
रावण की लंका है, जहाँ राम की नगरी थी,
यहाँ दूर तलक़ कोई भी राम नहीं दिखता।।

हर चौराहे पर दुर्योधन, चीर हरण करते देखे,
हर ओर चीखती द्रौपदियों, के दामन भी बिकते देखे।।
यहाँ कंस भी दिखते हैं, कौरव भी दिखते है,
यहाँ कृष्ण नहीं दिखते, बलराम नहीं दिखता।।

हर ओर तो भजन-अज़ानें हैं, पर दिल-दिल से बेगाने हैं,
मंदिर में चढ़ता है सोना और भूख से जाती जानें हैं।।
इंसानों का दिल देखो, ईश्वर भी दिख जायेंगे,
पत्थर की मूरत में, भगवान नहीं दिखता।।

कुछ लोग दीवाने आज भी हैं, देश पे जो मर जाते हैं,
और कुछ इतने नालायक हैं, इन पर पत्थर बरसाते हैं।।
जिस देश का खाते हैं, उस देश को खाते हैं,
अपने ही भारत पर, अभिमान नहीं दिखता।। इंसान 👤
#psr #prashantsinghrajawat
#insaan #nojotohindi

Prashant Singh Rajawat

हम 👦👩 nojoto #nojotohindi #psr #poem

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वो आकाश में मेघ बनाया करती थी।
मैं उनसे बरसात गिराया करता था।।

वो चंचल सी तितली पकड़ा करती थी।
मैं उन पर ग़ज़लें लिख जाया करता था।।

वो चाँद सरीखी अम्बर पर छा जाती थी।
मैं उस पर तारे बिखराया करता था।।

वो लहरों सी इठलाती चलती आती थी।
मैं साहिल से जब उसे बुलाया करता था।।

वो दिन भर कोई चित्र उकेरा करती थी।
मैं फिर उनमें रंग सजाया करता था।।

वो झीलों से मोती चुनती रहती थी।
मैं झीलों में मोती रख आया करता था।।

वो गोद में रख कर सर सो जाया करती थी।
मैं ज़ुल्फ़ों में हाथ फिराया करता था।।

वो सोते-सोते कई दफा मुस्काती थी।
मैं उसको इक ख़्वाब दिखाया करता था।।

सुबह-सुबह वो सूर्य जगाया करती थी।
रोज़ रात मैं चाँद सुलाया करता था।।

वो अक्सर मेरा रस्ता देखा करती थी।
मैं जब भी घर देर से जाया करता था।। हम 👦👩
#nojoto #nojotohindi #psr

Prashant Singh Rajawat

तस्मै श्री गुरुवे नमः।।। #psr #prashant #HappyTeachersday #poem

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गुरु के चरणों में अपनी छोटी कविता रखता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।

मात-पिता ने नाम दिया तो गुरु ने ज्ञान दिया है,
जीवन को इन तीनों स्तंभो ने मज़बूत किया है।।
गुरुओं ने सिखलाया हमको दुनिया में टिक पाना,
सब सपनों को गुरु की मेहनत ने अंजाम दिया है।।
समझो इनकी पावन वाणी, यही विनत करता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

सोच अगर की ये न होते तो तेरा क्या होता,
सारी उम्र कपाल पकड़ कर, किस्मत पर तू रोता।।
समय के रहते गुरु की कीमत जो पहचानी होती,
अपनी भी पहचान बनाता, नाम कमाया होता।।
अपने ऐसे जीवन के, अहसास से भी डरता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

एक नहीं, दो-चार नहीं, अनगिन एहसान किये हैं,
जीवन थी इक काली रैना, प्रज्वलित दीप किये हैं।।
हिसाब इन एहसानों का अब तक ना कर पाया हूँ मैं,
फिर भी जो कुछ भाव थे दिल के, वो लयबद्ध किये हैं।।
आदर, इज़्ज़त और प्यार, सब कुछ अर्पित करता हूँ,
आज के इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।।

आओ हम संकल्पित होकर मान बढ़ायें इनका,
भगवन से भी ऊपर जीवन में स्थान है जिनका।।
इनके हर इक अक्षर में बस निहित भला है अपना,
नहीं सुनोगे, उजड़ जाओगे, नहीं बचेगा तिनका।।
इस पावन मूर्ति का मैं, शत-शत वंदन करता हूँ,
आज की इस पावन अवसर पर गुरु नमन करता हूँ।।। तस्मै श्री गुरुवे नमः।।।
#psr #prashant #happyteachersday

Prashant Singh Rajawat

मैं और मेरी कविताएँ nojoto #psr #prashant #mainaurmerikavitayen #poem

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एक प्रतीक है आशा का, मैं और मेरी कविताएँ,
होती दूर निराशा का, मैं और मेरी कविताएँ।।
जीवन की परिभाषा का, मैं और मेरी कविताएँ,
चंचल मन की अभिलाषा का, मैं और मेरी कविताएँ।।।

किस्सा दीवानेपन का, मैं और मेरी कविताएँ,
प्रेम में रात, डूबे मन का, मैं और मेरी कविताएँ।।
प्रेम सुगंधित जीवन का, मैं और मेरी कविताएँ,
त्याग चुके तन, मन, धन का, मैं और मेरी कविताएँ।।

संताप में डूबे को संबल, मैं और मेरी कविताएँ,
टूट चुके को देती बल, मैं और मेरी कविताएँ।।
परिस्थिति जाते ढल, मैं और मेरी कविताएँ,
रोते को दे खुशियों के पल, मैं और मेरी कविताएँ।।।

माँ की यादों में हो रत, मैं और मेरी कविताएँ,
पापा के प्यार के आगे नत, मैं और मेरी कविताएँ।।
बहनों को देकर स्नेह चपत, मैं और मेरी कविताएँ,
करती दुनिया को जागृत, मैं और मेरी कविताएँ।।।

प्रेम वो राधे कृष्णा का, मैं और मेरी कविताएँ,
पल-पल बढ़ती तृष्णा का, मैं और मेरी कविताएँ।।
तार शरद की वीना का, मैं और मेरी कविताएँ,
बाल किशन की क्रीड़ा का, मैं और मेरी कविताएँ।।। मैं और मेरी कविताएँ
#nojoto #psr #prashant
#mainaurmerikavitayen

Prashant Singh Rajawat

कल आईने को देख कर के डर गया शहर,
अपना ही चेहरा देख कर सिहर गया शहर।।

है क्या विडंबना कि ये वहीं नहीं पहुँचा,
जिस जानिब-ए-डगर पे उम्र भर गया शहर।।

अपनी ही ज़िन्दगी से तंग आके एक दिन,
फिर अपने गाँव के पुराने घर गया शहर।।

ये दौड़ और हाथ में, वक़्त और ख़्वाहिशें,
संभालते-संभालते, बिखर गया शहर।।

सब छोड़कर चला गया इक रोज़ हार कर,
और लौट कर कभी न फिर शहर गया शहर।।

आहिस्ता-हिस्ता बढ़ रहा था मौत की तरफ,
अच्छा हुआ कि बस यहीं ठहर गया शहर।।

कल रात के अंधेरे में ये हादसा हुआ,
होती रही बरसात और मर गया शहर।। #sheher
#citylights 
#psr #prashant

Prashant Singh Rajawat

वो 😍😍😍 nojoto #hindikavita #shringaar #psr #poem

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मेरा गीत इक पुराना, वो गुनगुना रही थी।।
वो तितलियों को अपनी, धड़कन सुना रही थी।।।
छत पर टहल-टहल कर, भँवरे बुला रही थी।।
वो लोरियों से अपनी, चंदा सुला रही थी।।।

वो अपनी पायलों से, वीणा बजा रही थी।।
नैनों के नूर से वो, दीपक जला रही थी।।।
अपनी सफेद चुनरी, जब लह-लहा रही थी।।
वो समीर को भी अपने, मन से बहा रही थी।।।

इक लट फिसल-फिसल कर, चेहरे पे आ रही थी।।
चंदा पे जैसे कोई, बदली सी छा रही थी।।।
वो सुर्ख़ लालिमा जब, रुख पर लगा रही थी।।
इक सांझ चोरनी सी, लाली चुरा रही थी।।

मुंडेर पर झटक कर, गेसू सुखा रही थी।।।
लहरें मचल-मचल कर, साहिल भिगा रही थी।।।
जब आईने के आगे, बिंदी लगा रही थी।।
सूरज को बांध जैसे, मुख पर सजा रही थी।।।

वो बेवजह सी बातों पर खिलखिला रही थी।।
बस मुस्कुराहटों से गुलशन खिला रही थी।।।
पलकें उठा रही थी, तो दिन खिला रही थी।।
पलकें झुका रही थी तो रात ला रही थी।।। वो 😍😍😍
#nojoto #hindikavita #shringaar
#psr

Prakam Singh Rajpoot

"#Hamesha #Yaad Rakhna, Har Apna, #Apna Nahi Hota Aur Har Paraya, #paraya Nahi Hota" #OwnQuotes #psrtruth #psr

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हमेंशा याद रखना,

हर अपना, अपना नहीं होता।
और हर पराया, पराया नहीं होता।। "#Hamesha #Yaad Rakhna,
Har Apna, #Apna Nahi Hota
Aur Har Paraya, #Paraya Nahi Hota"

#ownquotes #psrtruth #psr

Prashant Singh Rajawat

रात से रात भर, बात होती रही,
ज़िन्दगी से मुलाक़ात होती रही।।

रात भर ज़िक्र तेरा ही चलता रहा,
रात भर बस तेरी बात होती रही।।

मुझको ढांढस बंधाने आई थी पर,
देखकर, रात भर, रात रोती रही।।

अब्र नज़रों के सारे फना कर दिये,
जाने क्यूँ, फिर ये बरसात होती रही।।

हर कदम पर बिसातें बिछाई गई,
जीत होती रही, मात होती रही।।

क्या पता, कब सितारे जाने लगे,
नव सवेरे की शुरुआत होती रही।।

रात से रात भर, बात होती रही।।। #raat #prashant #psr
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