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GAJANAND SHARMA
उजड़ी बस्ती का, ख्वाब हूँ मैं! मेरी कहानियों का, नवाब हूँ मैं!! #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध #नवाब #निर्बाध
GAJANAND SHARMA
उलझनों से भरे इस जीवन में, मन से बिखरे भावों सा हूं मैं!! अपने जादुई लहजें से अपने ही, इर्द-गिर्द मुझे समेट ही लेती हो तुम!! #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध #तुम #चायनाम #निर्बाध
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आज तड़के ठंड में सड़क किनारे ठिठुर रहा था... एक नन्हा सा भारत सायद वो आर्थिक आतंक से... कुछ अनकहे शब्दों के जरिये सुगबुगाहट कर रहा था... सायद उसे चाह न थी नए घर की नीवं लगाने की... तभी वहीं बचपन वाला आशियाना साथ लाए बैठा था... जी रहा था वो अपनी अलग ही धुन में... सायद वो हमें जीना सीखा रहा था... निरे भाव थे उसके भोले मन में... सायद वो खुद को भावों की सरिता में बहा रहा था... न रात थी उसके मासूम से भावों में.. वो उजालों में भी निवाले को पछताएगा जा रहा था.. #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध भूखा भारत #निर्बाध
GAJANAND SHARMA
मैं नंगे पांव चल रहा अरसों से, कंकड़-पत्थर करे रखवाली हैं। दे रहे साथ मेरा कर्म मेरे अपने, मैनें प्रीत अपने कर्मो से पाली हैं।। गजानन्द_शर्मा *निर्बाध* #कदम #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध
GAJANAND SHARMA
इन रैनो में अब यूँ ही जिया न जाए... कह दो उनसे की ये चमन अब उजड़ा जाए... #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध
GAJANAND SHARMA
नायक के मन को बड़ा भाता हैं चाहे वो उसका इतवार को आना हो या ऐतबार का जताना हो #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध
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तुम यूँ ही चलो ,चलते रहो... वो आती होगी ,आ जाएगी... #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध
GAJANAND SHARMA
यहां लोग दीवाने बैठे हैं.. इस दिखावे पर... अब हम यहाँ कैसे जिएं.. ये सादगी लेकर... #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध
GAJANAND SHARMA
न दे रहा खबर अखबार भी... उनके आने की न जाने की.... ये बिक गया हैं की वो पनाह... हो गया इस जमाने की.... #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध #प्रेमी #निर्बाध
GAJANAND SHARMA
#चाह_हैं_तुम्हे_मिलाने_की मैं चाह रहा तुमसे मिलकर.. अपने उसी पुराने मोह से मन के प्रेम को पाने की... मैं बाट देख रहा हूँ उनकी... इन सच्ची गलियों से अब भी उनके आने की... अब लोग कह रहे मुझसे... छोड़ दे आश तूँ अब उनके संग चाह लगाने की... मैं खुद को दिलाशा दे रहा.. ये बातें हैं तेरा उनसे सह जुड़ा मोह तुड़वाने की... मैं कह रहा खुद से अब भी.. ये राहें भी राह चाह रही जोगण संग झुलाने की... मैं अब यूँ कह रहा इससे... अबकी बरखा चाह हैं तुम्हे उस संग भिगाने की... मैं अब कह रहा इस पगले से... अबकी ये आहत है पक्का उसके आने की... मैं मन को यूँ तो कह रहा... जोगण संग पुनः से दोनों की प्रीत जुड़ाने की... मैं अब तो मन को दे रहा... संकेत ये नम हवाओं की दिशा हैं उसके आने की... मैं अब तो मन से कह बैठा... रिमझिम सी फुहार सोच रही उनको भी भिगाने की... 🖋️🖋️ #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध चाह है तम्हें मिलाने की #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध