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Best मैं_और_मेरी_तन्हाई Shayari, Status, Quotes, Stories

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Andy Mann

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Andy Mann

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शब्दवेडा किशोर

#ये मेरी तनहाई.... 
ये मेरी तनहाई हैं ज्यों मेरी सच्ची साथी हैं
ज्यों चंद लम्हों के लिए किसी के आ जाने पर
शायद कहीं छुप जाती हैं मगर वफादार हैं
कभी खफा भी नहीं होतीं मुझसे नाराज भी नहीं होती
और कभी जुदा भी नहीं होती क्योंकि जानती हैं
मैं उसका हुँ और वो मेरी हैं
ये मेरी तनहाई है ज्यों मेरी सच्ची साथी हैं......
सिर्फ यही हैं ज्यों मेरे मर्ज को समझती हैं
मेरे उस मर्ज के दर्द को समझती हैं
और कहीं न कहीं उसे महसूस भी करती हैं
तभी तो किसी के साथ होने पर भी
मुझे ये अकेला नहीं छोड़ती
ये मेरी तनहाई हैं ज्यों मेरी सच्ची साथी हैं......
मेरे लिए क्या कुछ नहीं करती वो मेरे साथ नगमे गाती हैं
मेरे साथ बातें भी करती हैं और
आन पड़े तो काली अंधीयारी रातों में
किसी की याद में
मेरे साथ रोया भी करती हैं
और फिर वहीं मेरे आँसू पोछकर
मुझे चुप भी कराती हैं
ये मेरी तनहाई हैं
ज्यों मेरी सच्ची साथी हैं
ये मेरी तनहाई हैं
ज्यों मेरी सच्ची साथी हैं......
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई

शब्दवेडा किशोर

किताबें झाँकती हैं बंद अलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत से मेरे अस्तित्व को भी तकती हैं  
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती
ज्यों शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं
अब अक्सर गुज़र जाती हैं कम्प्यूटर के पर्दों पर बड़ी बेचैन रहती हैं
क़िताबें उन्हें भी अब नींद में चलने की आदत सी हो गई हैं
ज्यो कदरें वो सुनाती थी और जिनके ज्यों
रिश्ते वो सुनाती थी वो सारे उधरे-उधरे हैं
कोई सफा पलटता हूँ तो इक सिसकी निकलती हैं
कई लफ्ज़ों के मानी गिर पड़े हैं
बिना पत्तों के सूखे टुंड लगते हैं वो अल्फ़ाज़ जिनपर अब कोई मानी नहीं उगते
जबां पर ज़ायका आता था ज्यों सफ़ा पलटने का अब
ऊँगली क्लिक करने से बस झपकी गुजरती हैं
किताबों से ज्यों ज़ाता राब्ता था वो अब पुरा कट गया हैं
कभी सीने पर रखकर लेट जाते थे कभी गोदी में लेते थे
कभी घुटनों को अपने रिहल की सूरत बनाकर नीम सजदे में पढ़ा करते थे
छूते थे जमीं से वो सारा इल्म तो मिलता रहेगा आइंदा भी मगर
वो ज्यों किताबों में मिला करते थे सूखे फूल और महके हुए
दस्तुर अब वो रुखे बन गए हैं
किताबें मँगाने गिरने उठाने के बहाने रिश्ते बनते थे 
उनका क्या होगा पता नहीं अब वो शायद अब नही होंगे
क्योंकी अब शब्दभेदी का अस्तित्व तुटने के कगार तक आ चुका हैं
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई

शब्दवेडा किशोर

मैं तुम्हें याद नहीं करता
बस तुम मुझे अपने आप ही याद आ जातीं हो
वैसे भी याद उन्हे किया जाता हैं
जिनको हम दिल से निकाल दिया करतें हैं
तुम्हें कैसे भुल पाऊं मैं तुम तो मेरी रूह में ही बसतीं हो
हर सुबह उठकर देखुँ जब मैं अपनी हथेली
तो तुम ही उन हाथो कि लकीरों में मुस्कुरातीं हो
लिखुँ कागज़ पे जब भी मैं कुछ अहसास अपने
तो तुम ही उन अल्फ़ाजो में समा जातीं हो
कभी अनजान ड़गर पे ऐसे ही पलकें मूंदे मैं जरा सोचू कुछ
तो उस समय भी तुम ख़यालों में आ ही जातीं हो
तन्हाई में मेरे जब युँ ही अकेले रोते हैं आज भी दर्द मेरे
तो तुम ही आकर गले लगाती हो
हकीकत मे कही नहीं हो तुम मेरे इर्द-गिर्द कहीं पे
इस सच का भी तुम खुद-ब-खुद अहसास मुझे कराती हो
मैं तुम्हें याद नहीं करता
बस तुम मुझे अपने आप ही याद आ जातीं हो....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई

शब्दवेडा किशोर

काश हम भी जमाने में जीना सीख जाए
बस ग़म में रोने के बजाये मुस्कुराना सीख जाए 
बस अपने आँसू बहाने के बजाय सब्र करना सीख जाए
बस सबके जी में जी मिलाने के बजाय 
खुद की हां में हां मिलाना सीख जाए
काश हम भी जमाने में जीना सीख जाए
बस सबसे आँखें चुराने के बजाय 
खुद से आँखें मिलाना सीख जाए 
बस किसी और को जानने के बजाय 
हम क्या हैं यह बताना सीख जाए
बस फूलों की तरह मुरझाने के बजाय 
हम भी फूलों की तरह खुशबू फैलाना सीख जाए
काश हम भी जमाने में जीना सीख जाए 
बस दूसरों के रंग में रंगने के बजाय 
खुद के रंग में रंगना सीख जाए 
बस दूसरों के रास्ते पर चलने के बजाय 
खुद का रास्ता बनाना सीख जाए
बस दूसरों को समझने के बजाय
खुद को समझना सीख जाए

काश हम भी जमाने में जीना सीख जाए....

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई

शब्दवेडा किशोर

तेरा और मेरा शहर एक नहीं हैं
कभी कभी तो रोज बात भी नहीं होती अच्छे से
लेकिन फिर भी मैं हर खुशी सबसे पहले तुझे सुनाता हूँ
हर दुःख पहले तुझे बताता हूँ
तुझे लगता होगा कि मैं तुझे सोचता नहीं
मैं कैसे तुझे ये बताऊं की मैं तेरे अलावा कुछ सोचता ही नहीं
तुझको लगता होगा कि मैं महफ़िल में मगन रहता हुँ
लेकिन मुझे महफ़िल में हर जगह तू हीं तो दिखाई देतीं हैं
अगर तू यहाँ होतीं तो कैसा होता
अगर तू वहाँ होतीं तो कैसा होता
मुझे महफ़िल में झुमने का वक्त
तब मिले ना
जब मुझे तेरे ख्यालों से वक्त मिले 
अक्सर जो हमारे दूर होते हैं
उन्हें लगता हैं कि हम उनके बिना कम्प्लीट हैं
लेकिन नहीं..
मैं हर पल हर क्षण तुम्हे कहीं ना कहीं
अपनी महफ़िल में खोज रहा होता हूँ
याद कर रहा होता हुँ क्योंकि
मेरा हर लम्हा हर पल
तेरे बिना अधूरा ही होता हैं..


शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई

शब्दवेडा किशोर

ओस से लिखूँ या अश्कों से लिखूँ मैं दिल की कहानी कैसे लिखूँ..??
फूलों पे लिखूँ या हाथों पे लिखूँ मैं होंठों की ज़बानी कैसे लिखूँ..??
हैं दिल में अनकही बातें बहुत सारी यूँ तो बहुत कुछ कहना हैं
और बहुत कुछ सुनना भी हैं
इस कागज़ के एक टुकड़े पर मैं अपने किस्मत की कहानी कैसे लिखूँ..??
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई

शब्दवेडा किशोर

अधेंरों की चाहत किसे है जहाँ में
सब उजालों को दिलों-जां से चाहते हैं
पर हम वो हैं जो गैरों में नहीं
अपनों में हीं खुद को तन्हा पाते हैं....
शायद इसलिए उजाले हमें भाते ही नहीं हैं
अब तो बस रात हैं और कालिमा सी छाई हैं
न कोई रहनुमा अपना न कोई रहनुमाई हैं
चारों फिजाओं में बस और बस
तन्हाई ही तन्हाई हैं इन अंधिंयारों का
अहसान मुझ पर चढ आया हैं
क्योंकि...
इन्होंने मुझको नहीं सताया हैं
कभी बनकर अपना दिल मेरा नहीं दुखाया है
अब तो छुप जाता हूँ इन अधेंरों में जाकर
लिपट जाता हूँ बाहों में इन्हें अपना बनाकर
क्योंकि डरता हूँ कहीं उजाले न हो जाये
और.....
मेरे अपने चले आएं फिर मुझे खींच ले जाएं
और फिर छोड दें मुझको उस ड़गर की और
जो जाती हैं अक्सर तन्हाई की और
तन्हाई की और....
शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई

शब्दवेडा किशोर

कल रात फिर जब तुम आ गए लगा कि दिल आंगन में अब
प्रेम दीप फिर से जलेंगे ज्यों थें अपने लौ को बुझाए....
दिल असमंजस में हैं अब भी क्यूँ कल रात फिर तुम आ गए
भूल बैठे थें जिन बातों को क्युँ संग अपने फिर ले आए....
तोड़ चुके थें हम जिन ख्वाबों को क्यूं संग सपने फिर ले आए
बिन रंगो के थी हर धड़कन क्युँ रंग भरने फिर तुम आए....
नि:शब्द थीं मेरी कलम क्युँ संग वो फिर नज्में तुम ले आए
शाम सुबह खडा था मैं बेबस और
बेरूखेपण में क्क्युँ वो फिर बिखरे नगमें गाए....
नहीं उमंग कोई जीवन-मन में क्युँ जीने की फिर कसमें खाए
प्यासी मेरी आँखें अब तो निश्चल प्रेम से फिर भर जायें....
कल रात फिर जब तुम आये गहरी नींदों में भी ये दिल
मधुर मन्द मन्द यूं मुस्काए....
गाए कहानी फिर से वहीं वो बिछडे़ दीवाने फिर मिल जाए
कल रात फिर जब तुम आए मैंने अपने गीत सुनाए
मैंने अपने नगमें गाए....

©शब्दवेडा किशोर #मैं_और_मेरी_तन्हाई
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