Nojoto: Largest Storytelling Platform

New है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ ऐ दोस्त हर बार उजड़ के भी बस्ता रहा वो शहर हूँ मैं Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ ऐ दोस्त हर बार उजड़ के भी बस्ता रहा वो शहर हूँ मैं from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ ऐ दोस्त हर बार उजड़ के भी बस्ता रहा वो शहर हूँ मैं.

    LatestPopularVideo

KUNWA SAY

#mountain कई ठोकरों के बाद भी ,,सभालता रहा हूँ मैं ,... गिर गिर कर उठ खड़ा हूँ ,,और चलता रहा हूँ मैं ,.

read more

Shivkumar

#truecolors #असली_रंग #nojotohindi जो इंसान #गिरगिट की तरह #रंग बदलने वाले होते है वो कभी भी #वफादार नहीं होते... इसलिए जो #दोस्त #विचार #भरोसा

read more

Rameshkumar Mehra Mehra

# तुमने कुछ इतना,अकेला कर दिया है,मुझे के मैं आपने आप से भी खफ़ा रहने लगा हूँ.... #Quotes

read more

Sangeeta G

☹️💟 वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा, मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ। ☹️💟 #Shorts #viral #Shayar shayari Love #शायरी

read more

Mukesh Poonia

#lakeview वो #दिन, वो #नजारा भी आएगा #समुद्र है अगर तो #किनारा भी आएगा जिंदगी की #परेशानियों से हार मत जाना ऐ #दोस्त तुझसे मिलने एक दिन वो #विचार #सितारा

read more

Das Sumit Malhotra Sheetal

मोटा हो जाऊँ और वो भी मैं, मज़ाक थोड़े ही है। #कॉमेडी

read more

koko_ki_shayri

वो मिल नहीं रहा है...💕 #विचार

read more
Autumn जो मिला मुझे,

वो सोचा नहीं था!

जो चाहता हूँ,

वो मिल ही नहीं रहा हैं!!

©koko_ki_shayri #वो मिल नहीं रहा है...💕

Arora PR

कितनी बार #कविता

read more

Salim Saha

दोस्त कर्जा मांग# रहा है पैसे# #शायरी

read more

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल #शायरी

read more
ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।।

शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे ।
हाथ बापू का  बटाने के लिए रहता हूँ ।।

जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते ।
मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।।

हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक ।
मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।।

कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते ।
उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।।

कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको ।
फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ ।
११/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile