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Ashish Kumar

रिश्तों के शोर में उसकी चीख को दबाते हो
कैसे मर्द हो जो किसी स्त्री पर ज़ुल्म कर मुस्कुराते हो
मां बाप भाई बहन होने के फर्ज सभी निभाते हो 
फिर कैसे सात फेरों के साथ किए वादों को भूल जाते हो। #चीख़

vashu...

'कितना सहम गई होगी वो जब मदद का वादा करके उन दरिंदो ने उसे अगवा किया होगा... .... ... रूह कांप उठी होगी उन माँ बाप की जब उन्होंने अपनी प्यारी बेटी को जले शरीर में देखा होगा .....एक आवाज़ " nojoto #NojotoFamily #story #पुकार #जिंदगी #savegirls #आबरू #इज्जत #हवस #चीख़ #एकददँभरीकहानी #हेवानीयत

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Ahmed Gufran Farooqui

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वास्ता उसने मुझसे कुछ एेसे तोड़ लिया,
मुझे सामने से आता देख उसने रास्ता मोड़ लिया...

मेहफिल में वो अपने आशार बड़े शौक से पढ़ रहे थे,
हमने वाह क्या कहा उसने शेर कहना छोड़ दिया..

मेरी जिन तारीफ़ो से वो पानी पानी हो जाते थे,
आज जो की तो उन्होने माथा सिकोड़ लिया...

वो सुनने को राज़ी न थे हम सुनाने को बेताब थे,
उसने मुड़ के न देखा,और हमने आँखो से दरिया फोड़ लिया..

वक्त बीता,हार कर कल हमने भी तनहाई का कफ़न ओढ़ लिया,
के कल रात एक ख़ामोशी ने चीख़-चीख़ कर दम तोड़ दिया...
    
                             - G. F. R (ek soch) 

 #NojotoQuote

Bambhu Kumar (बम्भू)

थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को #डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में #poem #अजनबी #होठों #वासना #कृष्णा #ढह #ढीली #बेख़बर #कौमार्य #चीख़ #छटपटाई #कछारों

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2.
थे यही सावन के दिन हरखू गया था हाट को
सो रही बूढ़ी ओसारे में बिछाए खाट को

डूबती सूरज की किरनें खेलती थीं रेत से
घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से

आ रही थी वह चली खोई हुई जज्बात में
क्या पता उसको कि कोई भेड़िया है घात में

होनी से बेखबर कृष्णा बेख़बर राहों में थी
मोड़ पर घूमी तो देखा अजनबी बाहों में थी

चीख़ निकली भी तो होठों में ही घुट कर रह गई
छटपटाई पहले फिर ढीली पड़ी फिर ढह गई

दिन तो सरजू के कछारों में था कब का ढल गया
वासना की आग में कौमार्य उसका जल गया... थे यही #सावन के दिन हरखू गया था #हाट को
सो रही #बूढ़ी ओसारे में बिछाए #खाट को

#डूबती #सूरज की किरनें #खेलती थीं #रेत से
घास का गट्ठर लिए वह आ रही थी खेत से

आ रही थी वह चली खोई हुई #जज्बात में
क्या पता उसको कि कोई #भेड़िया है घात में


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