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Anand Dadhich

स्मृतियाँ

स्मृतियों का स्पंदन,
खींचता है मन को, 
उस दौर में, जिसमें;
मैं नहीं जा सकता।

स्पंदन का श्रम जारी है,
इस दौर की जद्दोजेहद,
उस दौर पर कुछ भारी है,
पर विवशता नहीं हारी है।

स्मृतियों का दोष नही है,
हमें ही होश नही था, उन;
स्मृतियों से संविदा करते वक्त।

हम लचीले, निरीह, निर्मल,
निरपेक्ष, निष्पक्ष, निश्छल थे
और स्मृतियाँ हमारे दिल में,
जीवन में जगह बनाती गई...।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #स्मृतियाँ #kaviananddadhich #poetsofindia #poetananddadhich #hindipoetry

Krish Vj

विस्मृति का प्रायश्चित:_ विस्मृत सी हो गई 'स्मृति', वो कसमें-वादे सब लापरवाह नहीं मैं, 'वक़्त-वक़्त' की बात है सब डर गया था मैं, अपने 'डर' से जीत पाया अब मन में जो निराशा थी, आशा में बदल पाया अब #yaadein #विस्मय #स्मृतियाँ #restzone #rzलेखकसमूह #rztask55 #अल्फाज_ए_कृष्णा

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विस्मृत  सी  हो  गई 'स्मृति', वो कसमें-वादे सब 
लापरवाह  नहीं  मैं,  'वक़्त-वक़्त' की  बात है सब 

डर  गया  था  मैं, अपने  'डर'  से  जीत  पाया अब
मन में जो  निराशा थी,  आशा में बदल पाया अब 

छोड़  गए  उस  राह  पर, दर्द  के  साथ 'आँसू' अब 
तन्हा  रातें,  बेज़ान 'सवेरा'  सिसकती  'आहे' अब 

बहुत देर  कर दी है, बचा  नहीं कुछ  खो गया सब
चल रही थी साँसे उसकी, नींद में सो गया वो अब 

प्रायश्चित अग्नि में जल रहा, 'विरह' में जी रहा अब
हत्या कर दी उसके अरमानो की, क़ातिल सा अब 

लौट नहीं सकता वो वक़्त, वो 'गुड़िया' प्यारी अब
विरान 'ज़िन्दगी', 'ज़ख़्म' से आबाद हूँ मैं बस अब  विस्मृति का प्रायश्चित:_

विस्मृत  सी  हो  गई  'स्मृति',  वो  कसमें-वादे सब 
लापरवाह  नहीं  मैं,  'वक़्त-वक़्त' की  बात है सब 

डर  गया  था  मैं, अपने  'डर'  से  जीत  पाया  अब
मन में जो  निराशा थी,  आशा   में बदल पाया अब

BEGHAR

सच है की कुछ स्मृतियां जीवन भर पीछा नहीं छोड़ती..

और उन्ही स्मृतियों में शामिल...

                            तेरा-मेरा मिलना❤️
                    और..फिर तेरा मुझसे बिछड़ जाना!!😌 #yqdidi #yqbaba #yqdada #yqhindi #स्मृतियाँ #जीवन #तुम_हम #sadquotes

Durgesh Dixit

एक वक्त था जब केवल में ही रहता था 
तुम्हारी सारी उलझनों में 
जो दिन भर होती थी तुम्हे
मेरी स्मृतियों से
पर अब जब हम ला चुके हैं
अपने बीच में एक दीवार
विरह वेदना के चिरंजीवी वक्त के पहर की
जो बढ़ती ही जा रही है
हर घड़ी और कम होता जा रहा हूं में उन तमाम स्मृतियों में से
हर लम्हा 
अब कितना शेष हूँ तुम्हारी स्मृतियों में,
ये तय कर चुका है वक्त
और बताएगा मुझे 
कराएगा एहसास इस का 
हर घड़ी जीवन के अंत तक... #राधाकादीवाना
#yqdidi #yqbaba #yqquotes #yourquotedidi #कोराकाग़ज़ #दिल_की_बात #स्मृतियाँ

जीtendra

मेरे पास मौसम की कोई खबर नहीं,
लेकिन इतना पता है, स्मृतियां तूफान लाती हैं... #स्मृतियाँ #तूफान #मौसम

Dr Jayanti Pandey

किताब में रखे सूखे फूल सी है स्मृति तुम्हारी
दिखने में मुरझाई है  पर  दिल में तरोताजा है

समय ने छुड़ा दिए हैं ,बहुत से लोगों के प्रेम 
ठंडी आग सी यादें हैं, कुरेदना नहीं ज्यादा है #2020unforgetableyear
#jayakikalamse #yqdidi #yqhindi 
#स्मृतियाँ

ठाकुर परीक्षित सिंह

यादों के इस ओंझल परत पर कुछ स्मृतियाँ छिपी थीं...
ये स्मृतियाँ हर पल तेरे होने का आभास दिला रहीं थीं.. मन कहता कि कुछ नहीं है मेरे मित्र परन्तु ये स्मृतियाँ अपने निर्णय पर बिलकुल अडिग थीं...और मैं इन दोनों के द्वन्द में फँसा जा रहा था... मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या सचमुच कोई है... मैं कुंठित कि भाँति सब सुन रहा था... धीरे -धीरे मन विचलित होता गया और स्मृतियाँ मन के एक कोने में बने अपने अपने -अपने घरों में चली गयीं... तब जाकर मेरी नींद खुली सब कुछ ठीक था !!
 #स्मृतियाँ #मन #परीक्षित सिंह 😌😌

Anamika Nautiyal

स्मृतियाँ पाथेय बन कर ले जाती है मुझे भूतकाल में मानो चिरकाल से प्रतीक्षारत हो मेरे आगमन में दीप्त हो रही स्मृतियाँ मानस पटल पर किंचित कुछ शेष रह जाता है मध्य रात्रि के किसी भयानक सपने की भाँति झिंझोड़ती है मुझे किसी हृदय विदारक घटना की भाँति #yqdidi #अनाम #anumika #अनाम_ख़्याल #mynightthoughts #रात्रिख़्याल #मध्यरात्रिकासूर्य

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स्मृतियाँ पाथेय बन कर ले जाती है मुझे भूतकाल में ,
मानो चिरकाल से प्रतीक्षारत हो मेरे आगमन में।
दीप्त हो रही स्मृतियाँ मानस पटल पर,
किंचित कुछ शेष रह जाता है।

मध्य रात्रि के किसी भयानक सपने की भाँति,
झिंझोड़ती है मुझे किसी हृदय विदारक घटना की भाँति।
निशा में यह कौन सा सूर्य देदीप्यमान हो रहा,
किसकी पीड़ा में हृदय मेरा रो रहा।

यादों का सागर कभी मुझे जला रहा,
कभी मेरे अंतर्मन को सुकून दिला रहा।
मध्य रात्रि में उदित हुए इस सूर्य पर,
ग्रहण लगाने को मेरा जी ना चाहता है।

फिर क्यों इस भानु से, 
मेरे जीवन में अँधियारा छा जाता।
यह कैसी विकट परिस्थिति है,
यह कैसी मेरी मनःस्थिति है।

आलिंगन करना चाहता हृदय,
भूत को वापस पा लेने हेतु;०  
काल से करता है अनुनय विनय।

यह संभव भी तो नहीं,
तम में प्रकाश की भाँति ये यादें लग रही।
स्मृतियाँ बनकर जीवन का सहारा,
यादों का घरौंदा ही है अब आसरा।

इस सूर्य के समीप जाने की जितनी कोशिश करती हूँ,
उतना ही स्वयं को स्वयं से दूर पाती हूँ।
हाँ किन्तु मुझे इस सूर्य की तपन में जलना अच्छा लगता है,
गाहे बगाहे कुछ अनाम स्मृतियों में झाँकना भी अच्छा लगता है। स्मृतियाँ पाथेय बन कर ले जाती है मुझे भूतकाल में 
मानो चिरकाल से प्रतीक्षारत हो मेरे आगमन में

दीप्त हो रही स्मृतियाँ मानस पटल पर
किंचित कुछ शेष रह जाता है

मध्य रात्रि के किसी भयानक सपने की भाँति
झिंझोड़ती है मुझे किसी हृदय विदारक घटना की भाँति

Anamika

सड़क नयी , सोच नई , सुकून नया,
  स्मृतियां पुरानी का क्या करूं? #स्मृतियाँ 
#योरकोटऔरमैं 
#योरकोटजिंदगी 
#तूलिका 
#येजीवनहै 
#tulikagarg

sarika

मैं हर बार 
"स्मृतियों" का, 
वहीं घरौंदा बनाती हूं
जहां मैं और तुम,  
साथ रहा करते थे

©sarika #स्मृतियाँ
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