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Best लौटे Shayari, Status, Quotes, Stories

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Gumnam Shayar Mahboob

आखिरी उम्मीद पाल रखा हूं
खुद को भी पहरे पर डाल रखा हूं
वो लौटे तो उसके मुंह पर मारूं
उसके सारे खत संभाल रखा हूं #आखिरी #उम्मीद #पहरे #लौटे 
#मुंह #खत #गुमनाम_शायर_महबूब 
#gumnam_shayar_mahboob

farhat

Bol bhi dun khuda hafiz is saal ko to kya,
 bus zamaana aur waqt badal jayengye
aur log aur unki fitrat wahi rahe jayegi,
khair bol bhi dun is saal ko khuda hafiz
to kya #जायदाद  k hisse mai #बाटे
#maa baap  बाटने se😔bach jayengye
khair is saal ki khamiyaan sab ne dekhi
but un maon ki khushi nahi dekhi
 jo is saal ne barson se ghar na #लौटे
unko unka beta लौटाया hai😊
#@farhatkhan✍️

©farhat khan khuda hafiz😊
#bye2020

{¶पारसमणी¶}

#तुम #बहुत #देर #बाद #लौटे #हो, दर्द काफ़ूर हो गये अब तो! अब ज़रूरत नही है मरहम की, ज़ख्म नासूर हो गये अब तो! ™¶§šB¶शु§भ¶

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तुम बहुत देर बाद लौटे हो, 
दर्द काफ़ूर हो गये अब तो! 
अब ज़रूरत नही है मरहम की, 
ज़ख्म नासूर हो गये अब तो!

™¶§šB¶शु§भ¶ #तुम #बहुत #देर #बाद #लौटे #हो, 
दर्द काफ़ूर हो गये अब तो! 
अब ज़रूरत नही है मरहम की, 
ज़ख्म नासूर हो गये अब तो!

™¶§šB¶शु§भ¶

Purnima bhardwaj (Poonam)

#उबलते हुए #आंसुओं के.. #प्याले लेकर #लौटे हैं,
#निवाले कमाने गये थे... पर #छाले लेकर #लौटे हैं..✍️

"Desh k majdoor #kyu hei apne halato pr mjbur "

-Purnima bhardwaj #majdur hei mjbur "✍️

N Kumar

#sahi_aukat

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जरुरी हैं नही सुबह का भूला,
रात में लौटे!
जरुरी हैं नही कोई 
हमवतन के साथ में लौटे!
जरुरी हैं नही कुछ और 
मगर इतना जरूरी हैं, 
कि जब लौटे तो सब अपनी 
सही औकात में लौटे... #sahi_aukat

Yamini Anand❣️(mahima)❣️

2 Years of Nojoto समझदारी का क्या है जनाब?
 
ये उम्र के साथ नहीं, हालातों के साथ आती है 

फिर चाहे बचपना लौटे या ना लौटे, 

ये समझदारी हमारी मौत के साथ ही जाती है।

-यामिनी आनंद✍💖 #yaminianandpoetry #shayari #poetrylove #nojotoapp #shivkumarbatalvi #surjitpatar #amritapritam #quotes❣️

Rahul Gupta

खाली हाथ न लौटे,

हमने लगाया ही पूरा दम

तू नही,तो तेरा दर्द ही मिला;

खाली हाथ तो न लौटे हम #thaught #poetry #lines #pain

Rakesh Kumar Dogra

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खुदा जाने कहां गये थे

तर्क ले के लौटे हैं।

इससे तो बैंगन ही ले आते

थाली के लोटे हैं, थाली में छेद करके लौटे हैं।

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

                                               फिर दोनो घंटो बैठे युंही अलक मलक की बातें करते रहे!यह प्यार है हीं ऐसी चीज,जो इसान को शब्दो की रचणा करना सीखला देता है!समय की शीमा खत्म हो जाती है,लेकिन खत्म नही होता है,तो प्रेमी हृदय मे समाया हुआ शब्द! जो होठो से भी वयां होता है!आँखो से भी वयां होता है!जो भी हो,मोहब्बत है,बहुत जानदार चीज!                                              दिल्ली का पाश इलाका!भारतीय जनतांत्रीक गटबंधन का मुख्यालय!रात के दस बज चुके थे!पुरा हीं मुख्यालय रौशनी से नहाया हुआ थ

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                                               फिर दोनो घंटो बैठे युंही अलक मलक की बातें करते रहे!यह प्यार है हीं ऐसी चीज,जो इसान को शब्दो की रचणा करना सीखला देता है!समय की शीमा खत्म हो जाती है,लेकिन खत्म नही होता है,तो प्रेमी हृदय मे समाया हुआ शब्द! जो होठो से भी वयां होता है!आँखो से भी वयां होता है!जो भी हो,मोहब्बत है,बहुत जानदार चीज!
                                             दिल्ली का पाश इलाका!भारतीय जनतांत्रीक गटबंधन का मुख्यालय!रात के दस बज चुके थे!पुरा हीं मुख्यालय रौशनी से नहाया हुआ थ

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 5 - स्वस्थ समाज आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
5 - स्वस्थ समाज

आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग
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