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Anjali Raj
ज्यों तेरे कुर्ते में बसे इत्र की ख़ुशबू वज़ूद में तेरे बसूँ ये मेरी आरज़ू #YQbaba #shirt #कुर्ता #इत्र #खुशबू #अंजलिउवाच #आरज़ू
Muawiya Zafar Ghazali Mustafai
“ कुछ लोगों को सिर्फ मुसलमान का लिबास कुर्ता पजामा अच्छा लगता हैं मगर कुर्ता पजामा पहनने वाला मुसलमान नहीं ” #Gazali!. #Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì
Sanjeev Singh Sagar
आखिर किस बात का हंगामा हो रहा था? रहमत और राजू दोनों पड़ोसी भी थे और दोस्त भी।दोनों का धर्म अलग-अलग है इसीलिए इन्हें,खाश करके राजू की माँ रहमत के साथ खेलने या कहीं जाने से रोकती है।दोनों की उम्र7औऱ8 साल के बीच होंगे इसीलिए इनकी मासूमियत किसी धर्म और मजहब को नहीं मानते हैं, पर अपने माता-पिता से बचते बचाते साथ खेलते, घूमते और घर में कुछ खाश बनता तो चुराकर साथ में खाते भी।रहमत अपनी अम्मी,से- राजू के साथ मेला देखने जा रहा हूँ,बता तेरे लिए क्या लाना है?रहमत की अम्मी-जो राजू अपनी माँ के लिए लेगा।रहमत जाने लगा फिर अम्मा आवाज़ लगाई-राजू के साथ ही रहना और अकेले इधर-उधर मत घूमना।रहमत ख़ुशी से झूमते हुए चला गया।राजू के घर ।राजू रहमत को देखते ही-तेरा कुर्ता तो लाजवाब है और आज इसे मुझे पहनने का मन है।रहमत थोड़ा सकपका गया-पर तेरी माँ राजू उसका कुर्ता खोलते हुए-माँ को मैं समझा लूंगा।आज तुम मेरा कमीज़ पहनेगा और मैं तेरा कुर्ता।दोनों ने ऐसा ही किया।जब राजू के माँ और पापा बाहर आये तो देखकर दंग रह गये।राजू आज रहमत और रहमत राजू लग रहा है।राजू की माँ-ये तुमने रहमत का कुर्ता क्यों पहना?राजू के पापा थोड़ा समझदार हैं इसीलिए ज्यादा भेदभाव नहीं करते इसीलिए मुस्कुराते हुए-दोस्ती हो तो ऐसी।राजू की माँ चुप हो गई और सभी मेला देखने निकल गये।इन दोनों की दोस्ती की वजह से समाज के कुछ असामाजिक लोगों के द्वारा रहमत के अम्मी और राजू के पिता को भी बहुत कुछ सुनना पड़ता है, पर इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।हिन्दू का मेला है इसीलिए हिन्दू संगठन के लोग जगह-जगह देखे जा रहे हैं।राजू के माँ ने मूर्ति के आगे प्रसाद चढ़ाई और राजू ने मूर्ति के सामने हाथ जोड़ा तो रहमत भी।दोनों ने प्रसाद भी खाया।एकाएक भगदड़ मच गई किसी ने बोला कि कुछ मुसलमानों ने गाय के मांस के टुकड़े मेले में फैला दिये हैं।लोग इधर उधर भाग रहे हैं।राजू के पापा भी सबसे बचते-बचाते अपने मुहल्ले तक पहुँच गये, लेकिन दंगे की आग मुहल्ले तक आ गई थी।हिन्दू संगठन के कुछ लोग मुस्लिम के लोगों को मारने के लिए ढूंढ रहे थे और मुस्लिम संगठन के लोग हिन्दू लोगों को ।सभी के दरवाज़े बंद थे।राजू को उसकी माँ और रहमत को राजू के पापा छुपा के लेकर जा थे।किसी के हाथ में तलवार तो किसी के हाथ में धारदार हथियार।किसी ने आवाज़ लगाया-रूको..फिर भी सभी बढ़ते रहे।तभी किसी ने राजू के पापा पर डंडे से हमला कर दिया।वे ज़मीन पर गिर गए।फ़िर और कुछ लोग डंडे और धारदार हथियार चलाने लगे राजू, रहमत लाख मिन्नते करता रहा छोड़ने को पर नहीं माना और वार करते रहा।इसी बीच किसी ने राजू को मुस्लिम समझते हुए छोड़ने और रहमत को हिन्दू समझकर मार डालने की बात की।माँ सुनते ही दोनों को भागकर छुप जाने को बोली,धर्म के दरिंदों ने दोंनो को ढूंढकर मार डाला।जिस मांस को लोगों के द्वारा लाने की बात कही गई थी सच में उसे किसी कुत्ते ने मरे हुए गाय के शरीर को ज़मीन के नीचे से लाया था।आज दो माँ धर्म के नाम पर अपनी दुनिया गवां बैठी फ़िर भी ये धर्म की ठेकेदारों को समझ नहीं आया कि जब आग लगती है तो सभी का घर जल जाता है। सागR कौन लगाता है ये आग #Nojoto #Nojotoaudio #Nojotovideo #Nojotonews Prakash Keshari Jahedul Sarkar Anusuya Makar Manju Singh Shivangi Vyas
Anil Siwach
Shyamal Kumar Rai
पिछली दीवाली का कुर्ता याद है ना अरे वही जो इमरान भाई की दुकान से लिया था मंदिर के सामने वाली दुकान जहां मंदिर मेे जाते हुए लोग अपनी चप्पल रख जाते हैं इमरान भाई कोई भाड़ा जो नहीं लेते कुर्ता अब गलें पर कुछ चुस्त सा लगता है मानो दम घोंट रहा हो उसमे कुछ हरे रंग के डोरे भी दिखते हैं पहले भी थे शायद? पता नहीं अब आखों मेे चुभते हैं जिन मुसलमान हाथों ने बुना है इनको मानो अब सूई पिरो रहे हो मेरे जिस्म में मंदिर के आगे ही दुकान रखी है मस्जिद के आगे क्यों नहीं? बनने के लिए पैसे भी नहीं लेते मौके की ताक में हैं शायद नहीं नहीं ये सब मैं क्या सोच रहा हूं? दिया जलाया हैं आज दीवाली का उसी चुस्त कुर्ते में दम बंद हो जाए शायद मजहबी खयालों का। दीवाली का कुर्ता #ManKaRog
Ravikant Raut
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
यूँ आँखें मीच के जब जब हँसता था मैं कभी पापा की पीठ पर बस्ता था । सुर्ख़ सफ़ेद कुर्ते की जेब से कोई चिट्टे दूध चावल उड़ा दिया करता था । ©️✍️ सतिन्दर papa पापा #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #satinder #सतिन्दर #नज़्म #पापा #पीठ #बस्ता #चावल #कुर्ता #सफेद #चिट्टे Ias Aspirant Ujjawal Azin Irshad saurabh Srivastava "निराला" राज कबीर
Sachin Ken
नया कुर्ता (Read in caption) #नया_कुर्ता हरपाल आज सुबह से ही बड़ा खुश था,उसकी खुशी का कारण था’ रिश्तेदारी में एक शादी जिसमे उसे उसके बाबा के साथ जाना था हरपाल को शादी से ज्यादा खुसी इस बात की थी कि उसे आज नया कुर्ता पहनने को मिलेगे दोनों ने ही नए कपड़े बनवाये थे शादी के लिए विशेष, किसी की व्याह शादी में ही बन जाते हैं कपड़े भी वरना इतने पैसे कहाँ किसी के पास जो नये कपड़े बनवा सकें
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