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somnath gawade

#सभा

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बाहेरच्या 'सभा' 
गाजविणारे 'वक्ते' 
घरी मात्र बायकोचे 
उत्तम 'श्रोते' म्हणून 
वावरत असतात.
🤣😂 #सभा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 3 – अकुतोभय हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!' वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
3 – अकुतोभय

हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!'

वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

(no subject) Madan Mohan Thakur Tue, Apr 30, 2019 at 3:50 PM To: कथा श्रृजन Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.                                               Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar

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(no subject)
Madan Mohan Thakur 	Tue, Apr 30, 2019 at 3:50 PM
To: कथा श्रृजन 
Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.
                                              Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar

Pnkj Dixit

🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳 पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल क

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#OpenPoetry 🇮🇳पं• चंद्रशेखर आजाद🇮🇳 🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल क

Muskan Bharti

#draupadi

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परिणाम दुर्योधन के अपमान का
क्या होगा द्रौपदी को न ये भान था
द्युत क्रीड़ा के चक्रव्यहु में 
कुरुकुल विनाश का न ज्ञान था,,,,
                                      कक्ष में पहुँचा निर्लज दुःशासन
                                      पांचाली कर रही थी श्रृंगार
                                      लोकलाज सब भूल गया 
                                      ना सुनी दुष्ट ने वो प्रतिकार,,,,
हुआ यज्ञकुण्ड से जन्म मेरा
कहलाती हूँ मैं याज्ञसेनी
कुरुवंश भस्म कर जाएगा
मेरी विवशता की ये चीत्कार,,,,
                                     फिर,केश पकड़ खिंचा सभा में
                                     रिश्ते-नाते कर दरकिनार
                                     धर्म ज्ञानियों के धर्म सभा में 
                                     मानवता हुई थी शर्मसार,,,,
जहाँ सभी अंधे धृष्टराष्ट्र बने
और मूढ़ सभा निस्तब्ध रहे
तब कृष्णा ने कृष्णा की लाज रखी
लौटाकर चीर जो था उधार,,,,
                                    चौसर का वो खेल नहीं
                                    मर्दन था मान-सम्मान का
                                    प्रतिशोध की ज्वाला में
                                    कुरुक्षेत्र बना शमशान था,,,, #draupadi

Prem arya

Hindi SMS shayari  भीड़ लगा था, सभा लगी थी,
बड़े-बड़े धर्मी थे बैठे,
राजा-महाराजा, ज्ञानी से लेकर सारे अभिमानी थे बैठे,
बीच दरबार मे पिता-चाचा के सामने जुए का था खेल चला,
राज-पाठ, इंद्रप्रस्थ,भाइयो औऱ खुद को भी युधिष्टर हार चला,
अब होना था कुछ ऐसा जो बड़ा ही अचंभा था,
बैठ जुए में बीच सभा मे एक नारी का दांव लगा,
देखते ही देखते जुए में धर्मराज पत्नी को हार गया,
काहे का धर्मराज जो पत्नी को दांव लगाता है,
अधर्मी दुर्योधन द्रौपदी के अस्मत की खिल्ली उड़ाता है,
बीच सभा मे बैठा बलशाली पांडव हाथ मला रह जाता है,
भीम गदा औऱ अर्जुन का धनुष भी काम ना आता है,
चाचा-ताऊ, ससुर सारे बस पात्र बने रहते है,
बीच सभा मे ख़ुद की बहू का चिर-हरण देखते है,
वो तो प्रभु कृष्ण थे जिसने भक्तन का मान बढ़ाया,
औऱ एक नारी की अस्मत तार-तार होने से बचाया!! #NojotoQuote #द्रौपदी #चीरहरण

Santosh Sagar

तो चले एक साथ....

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लिट्टी चोखा खाएंगे Rac 1980 के लिये दिल्ली साथ में जाएंगे
साथियों दिनांक 17/18 फरवरी को Ailrsa द्वारा किलोमीटर और ओपीएस के लिए दिल्ली में हड़ताल की चेतावनी देने जाने की तैयारी के सन्दर्भ में एक जागरूकता सभा का आयोजन गोमो में Ailrsa भवन में दिनांक 8/2/19 को दोपहर 13/00 बजे से किया जाएगा। साथ ही साथ लिट्टी चोखा का भी प्रबंध किया जाएगा। साथियों इस जागरूकता सभा में आप अपनी चट्टानी एकता को प्रदर्शित करें ताकी दिल्ली जाने वाले साथियों का हौसला और बुलंद हो। 
साथियों तो फिर आयिए 8/2/19 को ये प्रण के साथ
की हर हाल में 
लिट्टी चोखा खाएंगे,
RAC 1980 के लिए,
दिल्ली साथ में जाएंगे।
ठीक है?
आपका साथी पंकज कुमार मंडल सचिव धनबाद Ailrsa #NojotoQuote तो चले एक साथ....

के_मीनू_तोष

शब्दबद्ध भले हमने हमारी लेखनी नें किया है किन्तु भाव हमारे नहीं है । एक नौजवान युवक से जब प्रश्न किया गया भारतीय ध्वज में कितने रंग होते हैं तो उसका यह अश्रुपूरित उत्तर समस्त सभा को निरुत्तर कर गया : पाँच रंग प्रथम केसरिया द्वितीय श्वेत

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......... #NojotoQuote शब्दबद्ध भले हमने हमारी लेखनी नें किया है किन्तु भाव हमारे नहीं है । 
एक नौजवान युवक से जब प्रश्न किया गया भारतीय ध्वज में कितने रंग होते हैं तो उसका यह अश्रुपूरित उत्तर समस्त सभा को निरुत्तर कर गया :

पाँच रंग

प्रथम केसरिया

द्वितीय श्वेत

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 6 – पूर्णकाम ‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति' 'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!' सुरगुरु ने अमरों की अर्चा स्वीकार कर ली थी और महेन्द्र से अभिवादित होकर वे सिंहासन पर बैठ चुके थे। इन्द्र एवं अन्य देवताओं ने भी आसन ग्रहण कर लिया था। 'सुधर्मा सभा में आज चिन्ता की अरुचिकर गन्ध है।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
6 – पूर्णकाम

‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति'

'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!' सुरगुरु ने अमरों की अर्चा स्वीकार कर ली थी और महेन्द्र से अभिवादित होकर वे सिंहासन पर बैठ चुके थे। इन्द्र एवं अन्य देवताओं ने भी आसन ग्रहण कर लिया था। 'सुधर्मा सभा में आज चिन्ता की अरुचिकर गन्ध है।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 3 – अकुतोभय हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!' वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
3 – अकुतोभय

हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!'

वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही
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