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Insprational Qoute
बढ़ाइये ऐसे कदम,जाए लक्ष्य के पार, 1 2 1 222 111,21 111 2 21 पीछे फ़िर हटना नही,आये फूल या खार। 22 1 1 112 12, 22 21 2 21 हौसला न गिराना,न राह से डगमगाना, 2 1 2 1 1 2 2,1 2 1 2 111 2 2, चलना हो बेख़ौफ़,न ही मनोबल गिराना 1 1 2 2 22 1 , 1 2 1 2 11 1 2 2, सम्पूर्ण हो काज ,न करने से घबराइये, 1 1 211 221,1 11 2 2 11212, रख विश्वास मन मे,बस कदम को बढ़ाइये, 1 1 1121 11 2,11 111 2 1 2 12 ----------------------------------------------- कुंडलिया छंद की परिभाषा ———————————------------ –कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द या शब्दसमूह से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है। दोहा+रोला=कुंडलिया दोहा छंद
Insprational Qoute
नित नित ध्यान लगाये,सु सम्पन्न हो काज, न करो ऐसा कर्म तुम,करनी पड़े फिर लाज, सब जन का मान कर,बन जाये सब हितैषी, याद करे जमाना , छाप छोड़ दे ऐसी, निशिदिन काज कर्म कर,पूर्ण हो जीवन सार, भटकना न लक्ष्य से,सँवर जायेगा संसार। प्रतियोगिता : BKJ-9 समय सीमा : 9:15AM-10:00PM दिनाँक : 07.11.2020 विषय : स्वैछिक विषय पर एक कुंडलिया लिखना है। ----------------------------------------------- कुंडलिया छंद की परिभाषा ———————————------------ –कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है।
Anjali Raj
जिसका ना कोई सांईयाँ घर दफ्तर में होय। ड्यूटी करत करत मरे, हाल ना पूछत कोय। हाल ना पूछत कोय फिरे वो मार मारा। स्टेटस संग ही शेयर करता दुख बेचारा। कहत 'राज' घबराए खुदा भी रहे न उसका। चींटी भी गुर्राए सांईयाँ कोई ना जिसका। #अंजलिउवाच #YQdidi #कुंडलिया #घरदफ़्तर @ड्यूटी #सांईयाँ #दुख
DR. SANJU TRIPATHI
आज सुहागन सब करें, करवा चौथी व्रत। लंबी पति की आयु हो, बढ़े उम्र दिन रात। बढ़े उम्र दिन रात, हो जीवन भर का साथ। पिया जिए सौ साल, लेकर हाथों में हाथ। कर निर्जल उपवास, निभाए प्रीत रात दिन। जनम सफल हो जाए,अमर हो आज सुहागन। प्रतियोगिता : BKJ-9 समय सीमा : 9:15AM-10:00PM दिनाँक : 07.11.2020 विषय : स्वैछिक विषय पर एक कुंडलिया लिखना है। ----------------------------------------------- कुंडलिया छंद की परिभाषा ———————————------------ –कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है।
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
कोरोना एक बिमारी, विपदा भयो भारी। 222 11 122 112 12 22 कुछ भी समझ ना आये, कैसी महामारी।। 11 2 111 2 22 22 1222 कैसी महामारी, जग को करत परेशान। 22 1222 11 2 111 1221 सारा जगत खोजे, शीघ्र इसका समाधान।। 22 111 22 21 112 1221 कह मधुकर कविराय, दुख में कभी ना रोना। 11 1111 1121 11 2 12 2 22 खुशी के पल होंगे, नहीं होगा कोरोना।। 12 2 11 22 12 22 222 ----------------------------------------------- कुंडलिया छंद की परिभाषा ———————————------------ –कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द या शब्दसमूह से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है। दोहा+रोला=कुंडलिया दोहा छंद
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
सदा आगे बढ़ने को, भरसक करूँ उपाए हिम्मत कभी नहीं हारूँ, चाहे कुछ हो जाए चाहे कुछ हो जाए, विचलित तुम नहीं होना जब तक मंजिल मिले, आराम से मत सोना जब तलक है जिंदगी, हम सब सदा ही जागे जिंदगी की दौड़ में, हम रहते सदा आगे प्रतियोगिता : BKJ-9 समय सीमा : 9:15AM-10:00PM दिनाँक : 07.11.2020 विषय : स्वैछिक विषय पर एक कुंडलिया लिखना है। ----------------------------------------------- कुंडलिया छंद की परिभाषा ———————————------------ –कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है।
सांध्यगीत
कुण्डलिया छंद विप्रोचित ना एक ही,शील और संस्कार। दुः बुद्धि दम्भी पतित,दुःगुण के आगार।। दुःगुण के आगार,स्वयम्भू पंडित नाम धरे। दुर्व्यसनों से ग्रस्त,त्रस्त सज्जनों को करे।। ऐसे छद्मों से मनुज,करलो दूरी क्षिप्र। मानुष ही ये हैं नहीं,दूर की कौड़ी विप्र।। सांध्यगीत✍🏻 #कुंडलिया #kundaliya #brahaman #brahman #ब्राह्मण #Drops
कवि प्रदीप वैरागी
कुंडलिया छंद : संकट का यह दौर है,कट जायेगा मित्र। लेकिन मिट सकते नहीं,उर पर ऊभरे चित्र।। उर पर उभरे चित्र, विचित्र कलाकारी। पुलिस, डॉक्टर सब डटे,रात-दिन सेवा जारी। सेवा रूपी नाव ,रोल है केवट का। आये कभी न और, दौर यह संकट का।। #कुंडलिया
कवि प्रदीप वैरागी
कुंडलिया छंद: मैंने जिससे की सदा,सीधे मुँह से बात, उससे ही मुझको मिली, सदा घात पर घात।। सदा घात पर घात, रात दिन सता रहा है। कितनी है औकात, हमें भी बता रहा है।। वैरागी कविराय,न जाता कोई कहने। परेशान सब लोग,तमाशा देखा मैनें।। #कुंडलिया