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Sweta

Challenge-160 #collabwithकोराकाग़ज़ आज अप्रैल फूल दिवस पर तीन लेखकों को मिलकर कोलाब करना हैं। इस प्रतियोगिता का नाम है "तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा"। विषय और शब्द आपके अनुसार। कोलाब करने के बाद तीसरा लेखक काॅमेंट करेगा। पहला और दूसरा नहीं करेंगे। काॅमेंट इस प्रकार करना है-- तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा 1- 2- 3- #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #इन्द्र #अप्रैलफूल #तीनकोलाब

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धर्म और महजब की 
बात अब तो बंद करों
इंसानियत ना मर जाऐं
 कुछ तो शर्म करों Challenge-160 #collabwithकोराकाग़ज़ 

आज अप्रैल फूल दिवस पर तीन लेखकों को मिलकर कोलाब करना हैं। इस प्रतियोगिता का नाम है "तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा"। विषय और शब्द आपके अनुसार। कोलाब करने के बाद तीसरा लेखक काॅमेंट करेगा। पहला और दूसरा नहीं करेंगे। काॅमेंट इस प्रकार करना है--

तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा
1-
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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

त्वामिद्धि हवामहे सातौ वाजस्य कारवः । 
त्वां वृत्रेष्विन्द्र सत्पतिं नरस्त्वां काष्ठास्वर्वतः ॥

पद पाठ
त्वा꣢म् । इत् । हि । ह꣡वा꣢꣯महे । सा꣣तौ꣢ । वा꣡ज꣢꣯स्य । का꣣र꣡वः꣢ । त्वाम् । वृ꣣त्रे꣡षु꣢ । इ꣣न्द्र । स꣡त्प꣢꣯तिम् । सत् । प꣣तिम् । न꣡रः꣢꣯ । त्वाम् । का꣡ष्ठा꣢꣯सु । अ꣡र्व꣢꣯तः ॥

हे (इन्द्र) विपत्ति के विदारक और सब सम्पत्तियों के दाता परमेश्वर व राजन् ! (कारवः) स्तुतिकर्ता, कर्मयोगी हम लोग (वाजस्य) बल की (सातौ) प्राप्ति के निमित्त (त्वाम् इत् हि) तुझे ही (हवामहे) पुकारते हैं। (नरः) पौरुष से युक्त हम (वृत्रेषु) पापों एवं शत्रुओं का आक्रमण होने पर (सत्पतिम्) सज्जनों के रक्षक (त्वाम्) तुझे पुकारते हैं। (अर्वतः) घोड़े आदि सेनांगों के अथवा आग्नेयास्त्रों और वैद्युतास्त्रों के (काष्ठासु) संग्रामों में भी त्वाम् (तुझे) पुकारते हैं ॥

O (Indra) God and Rajan, dissecting of calamity and giver of all wealth!  (Karvah) Stutiakarta, Karmayogi We call (Tvam Iti) you (Hawamhae) for the (Vajasya) attainment of the (Vajasya) force.  (Nara:) We (Vritreshu) with Pourush call upon you (Svatipam) the protector of gentlemen (Tvam) ​​when sins and enemies are attacked.  (Arguably) horses also call Tvam (thee) in the warriors of Senangas or in the (Kashtasu) battles of firearms and Vaidutastras.

( सामवेद २३४ ) #सामवेद #वेद #इन्द्र #राजा

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।

तस्माद् वा इन्द्रोऽतितरामिवान्यान्देवान्स ह्येनन्नेदिष्ठं पस्पर्श स ह्येनत्प्रथमो विदाञ्चकार ब्रह्मेति ॥

इसलिए इन्द्र अन्यान्य देवगणों से मानों परे, उच्चतर हैं, क्योंकि वह 'उसके' स्पर्श के निकटतम आया, क्योंकि सर्वप्रथम उसे यह ज्ञात हुआ कि वह 'ब्रह्म' था।

Therefore is Indra as it were beyond all the other gods because he came nearest to the touch of That, because he first knew that it was the Brahman.

केनोपनिषद चतुर्थ खण्ड मंत्र ३ #केनोपनिषद #उपनिषद #इन्द्र #फैक्ट #Fact #सर्वश्रेष्ठ #ब्रह्म

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।

स तस्मिन्नेवाकाशे स्त्रियमाजगाम
 बहुशोभमानामुमां हैमवतीं तां होवाच किमेतद्यक्शमिति ॥

वह (इन्द्र) उसी आकाश में अनेक रूपों में भासित हो रही एक स्त्री के समीप आया जो हिमवान् शिखरों की पुत्री 'उमा' है। वह उमा से बोला, ''यह बलशाली यक्ष क्या था?

He in the same ether came upon the Woman, even upon Her who shines out in many forms, Uma daughter of the snowy summits. To her he said, “What was this mighty Daemon?”

केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र १२ #केनोपनिषद #उपनिषद #उमा #हिमवंती #इन्द्र #यक्ष #बलशाली

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।

अथेन्द्रमब्रुवन् मघवन्नेतद्विजानीहि 
किमेतद्यक्शमिति तथेति तदभ्यद्रवत् तस्मात्तिरोदधे ॥

तब उन्होंने इन्द्र से कहा, ''हे सम्पदाओं के स्वामी (मघवन्), इसके विषय में ज्ञान प्राप्त करो कि यह बलशाली यक्ष क्या है।'' उसने कहा, ''तथा इति।'' वह द्रुतगति से 'उसकी' ओर गया। 'वह' इन्द्र के सामने से तिरोहित हो गया।

Then they said to Indra, “Master of plenitudes, get thou the knowledge, what is this mighty Daemon.” He said, “So be it.” He rushed upon That. That vanished from before him.

केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र ११ #केनोपनिषद  #उपनिषद #वेदांत #इन्द्र #यक्ष #परब्रह्म

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।
आ꣡ नो꣢ मित्रावरुणा घृ꣣तै꣡र्गव्यू꣢꣯तिमुक्षतम् ।
 म꣢ध्वा꣣ र꣡जा꣢ꣳसि सुक्रतू ॥२२०॥
पद पाठ
आ꣢ । नः꣣ । मित्रा । मि । त्रा । वरुणा । घृतैः꣢ । ग꣡व्यू꣢꣯तिम् । गो । यू꣣तिम् । उक्षतम् । म꣡ध्वा꣢꣯ । र꣡जाँ꣢꣯सि । सु꣣क्रतू । सु । क्रतूइ꣡ति꣢ ॥

इन्द्र परमात्मा और इन्द्र राजा के अधिष्ठातृत्व में चलनेवाले हे (मित्रावरुणौ) ब्राह्मण और क्षत्रियो ! तुम दोनों (नः) हमारी (गव्यूतिम्) राष्ट्रभूमि को (घृतैः) घृत आदि पदार्थों से (आ उक्षतम्) सींचो अर्थात् समृद्ध करो। हे (सुक्रतू) उत्तम ज्ञान और कर्म वालो ! तुम दोनों (मध्वा) विद्यामधु के साथ (रजांसि) क्षात्रतेजों को उत्पन्न करो ॥

Those who walk in the supremacy of Indra God and Indra King (Mitravarunau) are Brahmins and Kshatriyas!  Both of you (nah) enrich our (gavutim) nation land with (ghritai), ghrit etc. (aa utthatam) ie.  O (Sukratu) those who have excellent knowledge and actions!  Produce (Rajansi) Kshatratej with both of you (Madhva) Vidyamadhu.

( सामवेद मंत्र २२० ) #सामवेद #वेद #इन्द्र #क्षत्रिय #ब्रह्मण

वेदों की दिशा

।।ॐ।।
इंद्रो विश्वस्य राजति।।

आत्मबल से युक्त जितेंद्रिय व्यक्ति ही विश्व में देदीप्यमान होता है ।।

only full of initiative and self controlled one illumined in the world.
( यजुर्वेद ३६.८ ) #यजुर्वेद 
#वेद
#ज्ञान
#इन्द्र


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