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Ek villain
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी चाहिए न्यून की नई कुलपति के रूप में प्रवेश अशांति श्री डोली उड़ी पंडित की नियुक्ति के विरोध में उठा रहे आवाज शांत होने का नाम नहीं ले रहे शांति श्री देश की प्रतिष्ठा उच्च शिक्षा संस्थान के कुलपति के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला शिक्षा वादे है वह इस विद्यालय की पूर्व छात्र भी है इसलिए यह भी उपलब्ध है विशेष रूप से स्वागत योग्य है परंतु उनकी नियुक्ति अंदर संक्षेप लेफ्ट लीवर बुद्धिजीवी कुछ सामाजिक कार्यकर्ता हैं और आत्मा जातिवादी नेताओं को रास नहीं आ रही परमेश्वर शांति श्री ने कुलपति नियुक्ति किए जाने के बाद अपनी कार्यशैली प्राथमिकता और भावी योजनाओं के बारे में मीडिया में एक बयान जारी किया मंत्री ने बनाए जाने के बाद से मोदी सरकार के खफा चल रहे वरुण गांधी ने इसमें व्याकरण की अशुद्धि को व्यक्त करते हुए उनके अंग्रेजी भाषा ज्ञान पर सवाल खड़े किए और उसे निरक्षरता का प्रदर्शन करा दिया इसी तरह का तिथि किसान नेता योगेंद्र यादव ने उनके ऊपर किए कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने भी जेएनयू कुलपति शांति शिक्षा अंग्रेजी ट्यूशन की जरूरत होने के बाद कहते हुए उनका माहौल खड़ा यह मंडली उसके बयान का पोस्टमार्टम करते समय अंग्रेजी भाषा उनके विचारों और औरतें औपचारिक होते हैं सब बता विरोध के जो हमें भूल गए की भाषा माध्यम मात्र हैं मूल नहीं ©Ek villain #वैचारिक का नया अध्ययन #Nofear
Ek villain
गीता कार मजरूह सुल्तानपुरी को एक बार उनके एक कविता के लिए जेल भेज दिया गया तब कांग्रेसमें शासन था और नेहरू जी प्रधानमंत्री थे संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव न के दौरान यह बात कही कि कुछ बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया नरेंद्र मोदी को बेहतरीन कार बता दिया गया विमान माने जाने वाले कुछ तारों ने प्रधानमंत्री को लेकर अन्य कि प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में दिए गए व्यक्ति लता मंगेशकर के भाई हवा कविता को लेकर प्रकाश वाणी से निकाले जाने का उदाहरण दिया वहीं अनेक बातों को लेकर आरोप लगाने वालों ने जो उसके मुताबिक अतिथियों को जान लेते हैं कि मैं जरूर की गिरफ्तारी किस वजह से हुई थी आजादी के बाद वामपंथियों का सरकार के खिलाफ विद्रोह चल रहा था अलग-थलग क्षेत्र में काम करने वाले कम्युनिस्ट विरोधी में शामिल हो रहे थे हिंदी फिल्म जगत भी उसमें अछूता नहीं रहा था सिनेमा से जुड़े कुछ लेखक गीता कार्ड निदेशक और लेकर गीता कार निर्देशक और अभिनेता भी कुछ आता नहीं साले रहते मजूरू उनमें से एक थे मैं जरूर जिस कवि गोष्ठी अनुसार में जाते थे तो एक कविता वैश्य पढ़ते थे ©Ek villain #वैचारिक दासता से मुक्ति केंद्र करा #kissday
Ek villain
धर्म शास्त्रों में मानव जन्म सर्वश्रेष्ठ बताया गया है इसका कारण है कि मनुष्य के पास विचार सकती है इसके शब्द प्रयोग से मनुष्य श्रेष्ठ बन सकता है तो दूर प्रयोग से अधम भी हो जाता है इस दुरुपयोग से बचने के लिए शास्त्रों में अनेक उपाय बताए गए हैं उन निषादों का भी उल्लेख किया गया है जो मनुष्य के लिए घातक हैं जीवन में कोई अप्रिय स्थिति आती है तो रामचरितमानस का दोहा है सोनू भरत भावी प्रबल खली मुनि नाथ हनी लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ उद्घाटन करते हुए विधता को जिम्मेदार ठहराया गया जाता है यह विधि का अर्थ यहां विधि का अर्थ व्यवस्था कहकर भगवान को जिम्मेदार ठहराने की जगह विधिक जीवन पद्धति से लिया जाना चाहिए मनुष्य का नहीं प्राकृतिक और जड़ पदार्थ का अपना-अपना नियम है पेड़ पौधे अपने नियमित समय पर फल फूल देते हैं इसी तरह धरती पर सभी देशों की अपनी-अपनी विविध व्यवस्था है घर परिवार की विविध व्यवस्था अलग है यहां तक कि मनुष्य भी अपने जीवन जीने के लिए विविध व्यवस्था का पालन करता है जब संविधान मनुष्य खुद कर रहा है तो जिम्मेदार भगवान कहां से हो जाएगा मनुष्य खुद देखें तो जो भी लोग लाभ में है वह कैसे लाभ में है और जिन्हें हानि हुई है वह क्यों हुई है व्यक्ति सकारात्मक जीवन और परिश्रम करता है तो उसे लाभ मिलता है और नकारात्मक तरीके से लाभ चाहता है तो उसे हानि की पूरी संभावना रहती है लाभ हानि का मूल्य कान केवल भौतिक धरातल पर नहीं करना चाहिए सुख शांति नहीं है जीवन में तो यह भी हानि ही है इसी तरह जीवन मरण तथा यश अपयश के लिए विविधता कहीं से जिम्मेदार नहीं होता विविध व्यवस्था के पक्ष घर पांडवों और विधि के पक्ष घर को रो के बीच युद्ध हो रहा है मनुष्य को भी खुद विवेक को सारथी बनाकर विधायक नियमों के रथ पर सवार होना चाहिए उसे लगेगा कि अपने भाग्य का भगवान में स्वर्ग ही है ©Ek villain #वैचारिक शक्ति मनुष्य के जीवन में #Diwali
Prabodh Prateek
आज़ादी के आन्दोलन के उस अविस्मरणीय योद्धा ज्वलंत देशप्रेम , अदम्य साहस , निर्भीक जोश , आदर्श के प्रति अटल निष्ठा , दृढ़ संकल्प शक्ति , ज्ञान की प्रगाढ़ता , सत्यान्वेषी मानसिकता , सांगठनिक दक्षता , छोटी उम्र में ही विचारों की गहराई, पर उनकी देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अतुलनीय भूमिका और उच्च आदर्शों को याद करते हुए शत् शत् नमन ,प्रणाम करता हूँ भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए जीवनभर संघर्ष किया और उनके साहसी व्यक्तित्व, क्रांतिकारी विचारधारा, दूर-दृष्टि तथा सटीक कार्ययोजना से आज की युवा पीढ़ी को
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