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राम किशोर सोलंकी
निशिदिन में वंदन करू देवी नव दुर्गा माँ का। कृपा तेरी बनी रहे माँ, सदा ऊँचा रहे पताका।। नौ दिन सब पूजन करे माँ के नौ अवतारों का। बेसब्री से करते इन्तजार नवरात्रि की बहारो का।। #शैलपुत्री है माँ दुर्गा का पहला पावन रूप। सारे दुःखों को हरकर बदल दे जीवन का स्वरूप।। माँ दुर्गा का दूसरा रूप कहते जिन्हें #ब्रह्मचारिणी। माँ हम सब की अनन्त काल तक भव सागर से तारिणी।। #चन्द्रघण्टा है माँ दुर्गा का तीसरा अवतार। मुसीबतों से बचाकर करदे सबका बेड़ा पार।। #कूष्मांडा है माँ दुर्गा की चौथी प्रतिछाया। सदैव जो पुजा करे बदल दे उसकी दिन,दशा और काया।। पांचवा रूप है माँ दुर्गा का नाम है जिनका #स्कंदमाता। झोली भर कर देती है माँ जो कोई शरण मे जाता ।। माँ दुर्गा का छठा रूप कहते जिन्हें #कात्यायनी। माँ सृष्टि की पालनकर्ता और है जगत की जननी।। #कालरात्रि है माँ दुर्गा का सातवा दर्पण। माँ दुर्गा के चरणों मे तन,मन,धन सब अर्पण।। माँ दुर्गा का आठवां अवतार है #महागौरी। जो माँ की भक्ति करे दुआ नही जाती उसकी कोई कोरी।। माँ दुर्गा का नौंवा रूप नाम है जिनका #सिद्धिदात्री। दुःख हरणी माँ दुर्गा इस सृष्टि की है धात्री।। निशिदिन में वंदन करू देवी नव दुर्गा माँ का। कृपा तेरी बनी रहे माँ, सदा ऊँचा रहे पताका।।
Divyanshu Pathak
3. देवी का तीसरा स्वरूप और अंक - सात ( 7 ) ------------------------------------------------------- शैलपुत्री (अंक - 9 ) जीवन के विस्तार का प्रतिनिधित्व करती है तो मैया ब्रह्मचारिणी ( अंक- 8 ) जीवन चेतना और उन्नति का पोषण। आज मैं आपको मैया चन्द्रघण्टा ( अंक - 7 ) के बारे में अपनी बात बताता हूँ तो देखिए--- दुनिया सात द्वीपों का समूह भर है। इसमें सात ही समंदर हैं। सुना है कि सूर्यदेव के रथ में भी सात अश्व लगे हैं। सात दिन की यात्रा को सप्ताह कहते हैं।अभी दुनिया के पास 7 ही अजूबे हैं।हमने सुना है कि आसमानों की संख्या भी सात है। सात जाति समूह में समाज पूर्ण होता है। भारतीय दर्शन में सृष्टि के प्रथम ऋषियों की संख्या भी 7 है जिन्हें सप्त ऋषियों के रुप में जानते हैं।हम अपने सम्पूर्ण जीवन को भी अवस्थाओं में जीते हैं। प्रकृति में रंग भी 7 हैं और सुरों की संख्या भी 7 ही है। सप्तपदी के सात फेरे हैं। संख्या- 7 दुनिया में अनोखेपन को प्रकट करती है और दुनिया के सभी आश्चर्य और जीवन में होने वाले चमत्कार माता चन्द्रघण्टा की कृपा से ही होते हैं।वे ख़ुशी और उत्साह की देवी हैं। ध्वनियों की स्वामिनी, संगीत की आत्मा और सजगता की भी देवी है। तो आओ हम कैप्शन में उनके साक्षात स्वरूप के दर्शन करते हैं---- 3. देवी का तीसरा स्वरूप और अंक - सात ( 7 ) ------------------------------------------------------- शैलपुत्री (अंक - 9 ) जीवन के विस्तार का प्रतिनिधित्व करती है तो मैया ब्रह्मचारिणी ( अंक- 8 ) जीवन चेतना और उन्नति का पोषण। आज मैं आपको मैया चन्द्रघण्टा ( अंक - 7 ) के बारे में अपनी बात बताता हूँ तो देखिए--- दुनिया सात द्वीपों का समूह भर है। इसमें सात ही समंदर हैं। सुना है कि सूर्यदेव के रथ में भी सात अश्व लगे हैं। सात दिन की यात्रा को सप्ताह कहते हैं।अभी दुनिया के पास 7 ही अजूबे हैं।हमने सुना है कि आसमानों की संख्या भी सात है। सात जाति समूह में समाज पूर्ण होता है। भारतीय दर्शन में सृष्टि के प्रथम ऋषियों की संख्या भी 7 है जिन्हें सप्त ऋषियों के रुप में जानते हैं।हम अपने सम्पूर्ण जीवन को भी 7 अवस्थाओं में जीते हैं। प्रकृति में रंग भी 7 हैं और सुरों की संख्या भी 7 ही है। सप्तपदी के सात फेरे हैं। संख्या- 7 दुनिया में अनोखेपन को प्रकट करती है और दुनिया के सभी आश्चर्य और जीवन में होने वाले चमत्कार माता चन्द्रघण्टा की कृपा से ही होते हैं।वे ख़ुशी और उत्साह की देवी हैं। ध्वनियों की स्वामिनी, संगीत की आत्मा और सजगता की भी देवी है। तो आओ हम उनके साक्षात स्वरूप के दर्शन करते हैं---- ------------ कुंदन सी दमकती काया, माथे पर अर्ध चन्द्र का टीका और आँखों में सम्पूर्ण सृष्टि का आश्चर्य समाहित कर अपनी दशों भुजाओं में अस्त्र-शस्त्रों को धारण किये वे सिंह पर सवार होकर संसार को सजगता, उत्साह, उत्सव, सौंदर्य, और सुरों की मधुरता प्रदान करती हैं। वे ध्वनियों की अधिष्ठात्री देवी हैं, हमारे आसपास जितने भी वाद्य यंत्र हैं सब उन्हीं का विस्तार है। ध्वनियों से मन प्रसन्न होता है। वे प्रसन्नता की देवी हैं। संगीत की आत्मा और कला के रूप में हम उनका साक्षात्कार करते हैं।
Divyanshu Pathak
जयति जय जय चन्द्रघन्टे सर्व शोक विनाशिनी। जयति माँ दुर्बुद्धि हरता जयति स्वर्णआभामणि। 03 कमल अस्त्र से माते सबका करती रहो कल्याण। दुर्बुद्धि का नाश करो और देउ अभय वरदान। चंद्र देव सी शीतलता दो तेज सूर्य सा देना माँ। वीर धीर और सद्गुण देकर सत्पुरुष मुझे कर देना माँ। जयति जय जय चन्द्रघन्टे सर्व शोक विनाशिनी। जयति माँ दुर्बुद्धि हरता जयति स्वर्णआभामणि। 03 कमल अस्त्र से माते सबका करती रहो कल्याण। दुर्बुद्धि का नाश करो और देउ अभय वरदान। चंद्र देव सी शीतलता दो तेज सूर्य सा देना माँ। वीर धीर और सद्गुण देकर सत्पुरुष मुझे कर देना माँ।
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