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CHANDAN KUMAR
चन्दन कुमार पंडित की कलम से✍️✍️ आनंद मोहन सिंह का जेल से निकलते ही बिहार की राजनीतिक सियासत कुछ इस प्रकार गरमा गई है कि हर जगह सिर्फ इसकी ही चर्चा हो रही है। लोग अपनी गरीबी, बेरोजगारी को भूलकर इसी पर विश्लेषक की भांति डिबेट कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि आनंद मोहन बाबू अच्छे आदमी हैं वही कुछ और लोगों का कहना है कि यह ठीक इसके विपरीत हैं यानी वे माफिया, डॉन, हत्यारा व अपराधी हैं। हालांकि इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह आ रही है कि आनंद मोहन की रिहाई के बाद, लोगों का न्यायिक व्यवस्था से विश्वास उठ चुका है । कई लोगों का कहना है कि भारत का कानून व्यवस्था अंधा हो चुका है तथा न्यायिक व्यवस्था बहरा व गूंगा बन चुका है। कुछ लोगों का कहना यह भी है की अब भारत का न्यायिक व्यवस्था व कानून सम्मत व्यवस्था राजनीतिक दलों के हाथों में आ गया है । न्यायपालिका अब कठपुतली बन राजनीतिक दलों के हाथों में जाकर बैठ चुकी है और उनके ही इशारों पर नाचती है व चलती है। लोगों का न्यायिक व्यवस्था पर इस प्रकार का सवाल जवाब करना, मेरे अनुसार उचित है। क्योंकि न्यायपालिका के द्वारा कानून सम्मत जिसे अपराधिक होने पर आजीवन कारावास की सजा मिली वह आज रिहाई हो रहा है और उनके रिहाई होने पर बिहार के कुछ खेमे में खुशी की लहर सी दौड़ आई है। और ये बात सिर्फ आनंद मोहन सिंह के लिए नहीं की जा रही है बल्कि आनंद मोहन जैसे ना जाने कितने और अपराधी हैं ,जो समय से पहले ही रिहाई हो जाते हैं तथा जिसका न्यायिक फैसला ही बदल दिया जाता है। अब सवाल यह उठता है की न्यायालय द्वारा कानून सम्मत सजा मिल जाने के बाद न्यायपालिका पर ऐसी कौन सी ऊपरी ताकत हावी हो जाती है जो न्यायिक सजा को कम कर देती है!! तथा न्यायिक सजा को निष्कासित कर देती है!!! क्या ये ऊपरी ताकत सिर्फ अपराधियों के लिए ही है ? या पैसे वालों के लिए ही है ? राजनीतिक तालुकात रखने वाले लोगों के लिए ही है ? या आम आदमी के लिए ? गरीबों के लिए ? मजदूरों के लिए? निर्दोष के लिए भी है ? यह सवाल उठता है ???????? अब सबसे अंतिम व महत्वपूर्ण बात:- बिहार के चौक-चौराहों ,पान की दुकानों, चाय की टपरीयाँ, फेसबुक, व्हाट्सएप ,ट्वीटर , इंस्टाग्राम पर जो यह राजनीतिक बहसा-बहसी, गरमा -गरमी, तर्क- वितर्क चल रहा है वह दरअसल इन दो व्यक्तियों का मसला था। आनंद मोहन शिवहर से पूर्व लोकसभा सांसद तथा गोपालगंज के पूर्व DM स्वर्गीय जी कृष्णैया इनके बारे में विशेष चर्चा तो मैं यहां नहीं करूंगा। आप इनके बारे में गूगल- यूट्यूब से पता कर सकते हैं। हालाँकि महत्वपूर्ण बात यहां पर यह है कि जब एक रिपोर्टर हैदराबाद जाकर जी कृष्णैया की पत्नी व बेटी से सवाल पूछता है तो उनका जवाब निम्नलिखित है। प्रश्न :-आप बिहार को भूल पाइयेगा? जवाब :-नहीं और ना ही बिहार कभी 'जी कृष्णैया' को भूल पाएगा। 30 वर्ष बीत चुके हैं अभी तक बिहार को नहीं भूल पायी हूँ। प्रश्न:- बिहार कभी आइएगा ? जवाब:- नहीं आना चाहती हूँ। क्या करूंगी आकर प्रश्न :-बिहार को लेकर आपके मन में क्या छवि है ? जवाब :- मुझे बिहार visit करने का दो-तीन बार मौका मिला था लेकिन मैं कभी गयी नहीं ।हर बार मना कर दिया और शायद कभी जाऊंगी ही नहीं। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! आप सब अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में जाकर जरूर दें। ©CHANDAN KUMAR बिहार की राजनीती का उठा- पटक #आनंद मोहन सिंह #नितीश कुमार #तेजस्वी यादव #जी कृष्णैया
Komal Pardeshi
Sanjay Yadav
#तेजस्वी जीते या हार जाए वह ज्यादा मायने नहीं रखता लेकिन उसने #हिंदू #मुसलमान #भारत #पाकिस्तान की जगह बिहार चुनाव में #बेरोजगारी #शिक्षा और #स्वास्थ को मुद्दा बनाकर उन बुद्धिजीवियों के मुंह पर तमाचा मारा है जो कहते थे कि बिहार का चुनाव जाति और धर्म के अलावा किसी और मुद्दे पर नहीं हो सकता है ©Sanjay Yadav #तेजस्वी जीते या हार जाए वह ज्यादा मायने नहीं रखता लेकिन उसने #हिंदू #मुसलमान #भारत #पाकिस्तान की जगह बिहार चुनाव में #बेरोजगारी #शिक्षा और #स्वास्थ को मुद्दा बनाकर उन बुद्धिजीवियों के मुंह पर तमाचा मारा है जो कहते थे कि बिहार का चुनाव जाति और धर्म के अलावा किसी और मुद्दे पर नहीं हो सकता है
Ravi
आज हमारे सबके चहेते, #हृदयसम्राट, #हरदिल_अजीज, #परम्_प्रतापी, #महान_चक्रवर्ती, #उदार_हृदय, #महारथी, #शक्तिशाली, #बलशाली, #प्रभावशाली, #धैर्यशाली, #सुंदर, #सुशील, #सहनशील, #क्षमाशील, #रूपवान, #बलवान, #ईमानदार, #विद्वान, #बुद्धिमान, #गुणवान, #महान, #ऐश्वर्यवान, #विचारवान, #पराक्रमी, #तेजस्वी, #ओजस्वी, #मनस्वी, #महावीर, #शूरवीर, #धर्मवीर, #कर्मवीर,#अलौकिक, #दिव्यलोकिक,#त्रिलोकिक, #सर्वज्ञाता, #सर्वशक्तिमान, #सर्वगुणसम्पन्न, #सर्वेश्वर, #सर्वाधार, #सर्वोत्तम, #सर्वज्ञ, #कल्याणकारी, #न्यायकारी, #हितकारी, #सदाचारी, #मधुभाषी, #दयालु, #अनादि, #अनन्त, #अनुपम, #आदर्श, #अजर, #अमर, #अविनाशी, #शुद्ध, #पवित्र, #शांत, #दयासागर, #सुखदाता, #संयमी...हिन्दुस्तान की आन बान शान, दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता, सबके #मार्गदर्शक #प्रेरणास्रोत #यशस्वी #प्रधानमंत्री #आदरणीय #श्री #नरेंद्र #मोदी जी को 135 #करोड #हिन्दुस्तानी की ओर से , #जन्मदिन की #हार्दिक #शुभकामनाएं एवं #बहुत_बहुत बधाई ! Indian Prime Minister Narendra Modi ji Govt Schemes & Achievements Narendra Modi - Prime Minister Narendra Modi - Prime Minister of India Narendra Modi for Prime Minister Narendra Modi Best Prime Minister of India I Support Narendra Modi Prime Minister of India #Pubgbanned
Ravi
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@STD Yogi
तेजस्वी की अभिलाषा विदा होने पहले, कुछ ऐसा कर जाऊं । आप सबकी नजरों में हमेशा नजर आऊं । न वैर न द्वेष कभी किसी से कर पाऊं। हर दिल में अपनी एक जगह बना पाऊं। न चाहत तेजस्वी की, पुनर्जन्म पाऊं। बस हर-रोज जुझने की पूरी शक्ति पाऊं। जगह - जगह जिकर में नाम बन पाऊं। जनमानस के काम में कोई काम आऊं। विदा होने पहले, कुछ ऐसा कर जाऊं । आप सबकी नजरों में हमेशा नजर आऊं । -तेजस्वी दुबे🇮🇳🇮🇳 #NojotoQuote
Abshar Uddin
Abshar: https://absharuddin.blogspot.com/2019/04/blog-post.html : हम कन्हैया कुमार को क्यों जीतना देखना चाहते हैं लोगों के बहुत सारे सवाल हैं।। हमारे बहुत सारे दोस्तों ने वामपंथ की आरएसएस से तुलना की और दलील यह दी के दोनों के स्थापना का वक़्त एक है और दोनों के संस्थापक सदस्य भी ऊंच कोटि के लोग यानी ब्राह्मण वाद के लोग थे 1 और फिर कहा वामपंथियों ने बंगाल में मुसलमानों का बुरा हाल कर दिया और वहां के लोग अपने वजूद के लिये लड़ रहे हैं लेकिन वह एक बात और लिखना भूल गए के केरल मात्र एक ऐसा प्रदेश है जहाँ मुसलमानों की सब से अच्छी हालत है अगर NCERT कि किताब 6 कक्षा की देखें तो उससे यह पता चलता है कि औरतों की साक्षरता दूसरे लोगों के समान है लेकिन यहां पर हमारा तर्क वामपंथ को किसी तरीके का पक्षधर बनने का नहीं बल्कि यह बताने का है कि हर राजनीतिक पार्टी का अवाम के लिये कोई अच्छा स्टैंड नहीं बल्कि सब की अपनी महत्त्वाकांक्षाएं हैं 1 रही बात बेगूसराय में कन्हैया कुमार का समर्थन करने का तो सब से बड़ी वजह यह है कि गरीब वह छात्र के लिये मिसाल बन सकते हैं क्योंकि जब कोई गरीब छात्र राजनीति में भाग्य आज़माने के लिए सोंचता है तो घर वाले सब से पहले कहते हैं के बेटा राजनीति हमारे लिए नहीं वह पैसों वालों के लिए है लेकिन जब कन्हैया जीत जाता है तो गरीब छात्र की उम्मीदें बर लाएंगी और देश को संघर्षिल नेता मिलेगा जो देश हित के लिए काम करेगा 2 दूसरी बात सब यह कह कर कन्हैया को खिलाफ दुष्ट प्रचार कर रहे हैं के वह मुस्लिम लीडर शिप खा रहा लेकिन असल बात यह है के कन्हैया कुमार के खिलाफ RJD ने तनवीर हसन को उतार कर मुस्लिम लीडर शिप बचाई नहीं बल्कि बाप कि विरासत बचाने के प्रयास की है नहीं तो मधुबनी पर फातमी भी उम्मीदवार थे 3 अगर तेजस्वी मुस्लिम के इतने खैरख्वा थे तो सिवान से हिना शहाब के खिलाफ उनका गठबंधन अमरनाथ यादव को क्यों खड़ा किया 3 अली अशरफ फ़ातमी भी अलीगढ़ से तालीम याफ़्ता हैं फ़ातमी को टिकट न मिलने पर क्या अलीग बरादरी राजद का विरोध करेगी?? दोस्तों यह सब गोल माल है क्योंकि हम जज़्बती कौम्ं है आये दिन कोई ना कोई अपने फायदे के लिये हमारे जज्बातो से खेलता है और आज भी खेला जा रहा है वरना सोचो अली अनवर साहब जो संसद रह चुके है उनको चुनाव नही लड़ाया और बेगुसराय मे मुसलिम representation को लेकर जंग छेड़ रखी है जबकी तनवीर संसद कभी नही रहे है । बल्कि मामला कुछ है तेजस्वी को यह डर सताने लगा है कि कहीं कन्हैया कुमार उसके बराबर में न खड़ा हो जाये और उसके सोने की चम्मच उससे से छिन जाए Md Absharuddin. MANUU NUH 8564032934
Anil Siwach
Anil Siwach