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Chandan Maurya

Ye jindagi #Bhi #किसी #मानने

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Sach __hei #किसी ka_ __kaha 
#मानने se __jindgi __बन #bhi __jati 
Hei __बरबाद  #bhi ho ____#jati hei Ye jindagi

Aaryan khan

itni jaldi me har manne wala nahi #SUMAN# Abha Singh (Someone's Queen)👑 Misha Singh Kajal Singh Nilam Kumari #कविता

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तन्हाई लाख सता ले मुझे मैं झुकने वाला नहीं !
अरे लोगों से कह दो कि मेरी राहों में कांटे ना बिछाए, उनकी  लाख कोशिशों के बाद में रुकने वाला नहीं तय करने हैं मुझे अभी जिंदगी के लाखों  कारवां !
मैं इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं!
 होंगे कई कठिनाइयां मेरी राहों में मुझे मालूम है ,
क्या चाहते हैं वह लोग कि मैं अपनी तकलीफों से डरकर खामोश बैठ जाऊं,
 तो सुन लो गौर से मैं इतना कमजोर और लाचार भी तो नहीं   और बिना  मंजिल पाए तो यारों इतनी जल्दी में मरने वाला भी नहीं इतनी जल्दी मैं हार मानने वाला नहीं है इतनी जल्दी है मैं रुकने वाला   नहीं!!!! itni jaldi me har manne wala nahi #suman# Abha Singh (Someone's Queen)👑 Misha Singh Kajal Singh Nilam Kumari

suryakant dev

it's not about whom you believe in it's about what you believe in

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इस जहान के हर मोङ  पर कुछ ना कुछ दिखता है
किसी का ईमान किसी की भूख  तो किसी 
ख्वाब बिकता है
ऊपर वाले को मानने वाले तो बहुत देखे मैंने
ऊपर वाले की मानने वाला वो इंसान कहां दिखता है it's not about whom you believe in
 it's about what you believe in

sharyartera

मायने

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〰️〰️〰️
" तेरे मानने न मानने के मायने से दूर हूँ काफ़ी ,
  तेरी ज़ुस्तज़ु से बेशक़ , हुआ मजबूर हूँ काफी ।
  .
  .
  तुम ख़ुदा भी नही मानते , क्या मैं तेरा सजदा छोड़ दूँ ।

।।✍️ब्रिज।।
〰️〰️〰️
©shayartera मायने

G.p💓

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दर्द भी कितना वफ़ा दार है
अपना मानने पर तो सुकून देता है
ना मानने पर सुकून भी छीन लेता है।

आयुष पंचोली

क्या हैं- धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष...!! हमारा आध्यात्मिक इतिहास बहुत बड़ा रहा हैं। ना जाने कितनी ही सभ्यताये आई और चली गई, मगर हमारे अस्तित्व को कभी डिगा नही पाई। कितने ही लोगो ने हमारे धार्मिक ग्रंथो से छेड़खानी करकर, कितने ही तथ्यों को बदल दिया। यहां तक की कुछ ऐसी दकियानुसी बातें भी हमारे आराध्य देवताओ के बारे मे फैलायी गई जो किसी भी रूप मे सत्य कभी हो ही नही सकती। खैर जो भी हो जहाँ, आस्था होती हैं, वहाँ तर्क का कोई काम नही रहता । और अगर कोई आपको गलत मानकर ही बैठ जायें कुछ सुनना ही ना चाहे तो #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch

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क्या हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष क्या हैं- धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष...!!

हमारा आध्यात्मिक इतिहास बहुत बड़ा रहा हैं। ना जाने कितनी ही सभ्यताये आई और चली गई, मगर हमारे अस्तित्व को कभी डिगा नही पाई। कितने ही लोगो ने हमारे धार्मिक ग्रंथो से छेड़खानी करकर, कितने ही तथ्यों को बदल दिया। यहां तक की कुछ ऐसी दकियानुसी बातें भी हमारे आराध्य देवताओ के बारे मे फैलायी गई जो किसी भी रूप मे सत्य कभी हो ही नही सकती। खैर जो भी हो जहाँ, आस्था होती हैं, वहाँ तर्क का कोई काम नही रहता । और अगर कोई आपको गलत मानकर ही बैठ जायें कुछ सुनना ही ना चाहे तो

Kuldeep Guraiya Tigra

Mithilesh Kumar Payal Singh Shreya Shukla❣

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जब लगी दिल की तो हम भी ख़ाक छानने लगे 
पहले मानते थे न एक ख़ुदा को भी अब हम भी लाख मानने लगे 
मानते थे हम कभी इश्क़ को ज़िस्म की भूख मिटाने का जरिया बस
जब देखा किसी को यूँ फ़ना होते मोहब्बत में हम भी पाक मानने लगे Mithilesh Kumar Payal Singh Shreya Shukla❣

Manisha Sharma

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ये कैसी आज़ादी???

पद्मावती का जौहर कवि की काल्पना, राणा सांगा का नाम कहीं गायब हो गया।
वीर विनायक सावरकर का तेज धूमिल,महाराणा प्रताप पाठ्यक्रम से बाहर हो गया।

शहीद भगत का वो मान ना बाकी रहा, और पटेल का सम्मान कहीं गायब हो गया।
स्वतन्त्रता संग्राम को भूला हर कोई, देशभक्ति अब फैलता "poison" हो गया।

राष्ट्र गान और गीत बहस के मुद्दे,सेना पे कटाक्ष यहां आम हो गया, 
हिन्द में तिरंगा फहराना चुनौती सा,हिन्दी बोलना तुच्छ, और हिन्दु आतंकवाद हो गया।

राम का न मानने वाले जनेऊ-धारी शिव-भक्त ब्राम्हण, हिन्दुत्व का अपमान यहां "cool" हो गया।
त्यौहारों पर प्रतिबन्ध लगाना कोर्ट का इकलौता काम, प्रधान सेवक को अपशब्द कहना "fashion" हो गया।

इतिहास का कारखाना "Bollywood" और, "Hero" देश के टुकड़े हो चिल्लाने वाला हो गया।
कुछ भी चुना तो Democracy, पर कमल चुना तो "EVM Hack" हो गया।

दहेज और ऐसिड पीड़ितों को अभी तक आराम नहीं, "Molestation" प्रसिद्ध होने का तरीका हो गया।
जो पत्रकारिता कभी सबसे बड़ी ताकत थी, आज बस बिकाऊ मीडिया हो गया।

देश का खा कर देश में पढ़ कर, विदेश में "settle" होना इकलौता सपना रह गया???
 छोटी-बड़ी हर बात को "social media" पर लेकर, अपने ही वतन को कोसना "IN" हो गया?????


कश्मीरी पण्डितो की अपना आशियाना नही, पर रोहिंग्याओ को बसाना जरुरी हो गया।
इन सबका विरोध करने वाला "intolerant" हो गया, वाह मेरा भारत अब "Smart India" हो गया।

अच्छा हुआ "अनपढ़" स्वतंत्रता सेनानी अब नहीं रहे, वर्ना हम पढ़े लिखों ने उनका मान भी गिराया होता।
विदेशीयों को आदर्श मानने वाले "modern" लोगों ने, उन्हें भी शायद "terrorist" ही बताया होता।

ये कैसी आज़ादी है??? ये कहां आ गए हैं हम?? क्या इसलिए आजादी दिलाई थी हमें?? 
अभी तो बस देवी को "sexy" किया है, देखते है अब आगे आगे होता है क्या क्या ????

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 13 - राजसी श्रद्धा 'भारत की जनसंख्या बराबर बढ़ती जा रही है। इस बढती हुई जनसंख्या को भोजन देने की समस्या कम विकट नहीॆं है।' मैं यात्रा कर रहा था रेल के द्वितीय श्रेणी के डिब्बे में। उसमें एक स्वच्छ खद्दरधारी पुरुष सामने की बैठक पर विराजमान थे और बड़े उत्साह से वे अपने पास बैठे एक दूसरे सज्जन को समझा रहे थे कि अन्न उत्पादन के लिए सरकार की क्या-क्या योजना है। 'आप बुरा न मानें तो मैं एक घटना सुनाऊँ।' एक गरिक वस्त्रधारी सन्यासी बीच में बोल उठ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
13 - राजसी श्रद्धा

'भारत की जनसंख्या बराबर बढ़ती जा रही है। इस बढती हुई जनसंख्या को भोजन देने की समस्या कम विकट  नहीॆं है।' मैं यात्रा कर रहा था रेल के द्वितीय श्रेणी के डिब्बे में। उसमें एक स्वच्छ खद्दरधारी पुरुष सामने की बैठक पर विराजमान थे और बड़े उत्साह से वे अपने पास बैठे एक दूसरे सज्जन को समझा रहे थे कि अन्न उत्पादन के लिए सरकार की क्या-क्या योजना है।

'आप बुरा न मानें तो मैं एक घटना सुनाऊँ।' एक गरिक वस्त्रधारी सन्यासी बीच में बोल उठ

@nil J@in R@J

अजीत डोभाल का क्यों किया चुनाव भारतीय विमान हाईजैक में शामिल था #Nojoto#

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इस दौरान डोभाल ने विमान में घुसकर आतंकियों के सामने भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा भी लगाया। लेकिन अफसोस विमान में बैठे लोग खामोश रहे। यह समझा जा सकता है कि विमान में बैठे लोग खामोश क्यों रहे????
अजीत डोभाल मतलब सफलता❗

आईबी के तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर अजीत डोभाल ने कंधार में विपरीत हालात में भी मैक्सिमम गेन इन मिनिमम अपॉर्चुनिटी कर दिखाया।

आतंकी किसी भी वक्त विमान में बनाए गए बंधक सभी लोगों की हत्या कर सकते थे। क्योंकि वह सभी फिदायीन थे और उन्हें मौत का डर नहीं था।

आतंकी यात्री रूपेश कात्याल की हत्या कर चुके थे।‌ऐसी हालत में अजीत डोभाल को सरकार ने 190 लोगों को बचाने के लिए भेजा। क्योंकि लोगों को लग रहा था कि सरकार कुछ कर हीं नहीं रही है। ऊपर से देश में राजनीतिक खेल सभी दल अपने-अपने हिसाब से खेल रहे थे। जबकि ऐसे वक्त राष्ट्र को एक साथ खड़ा होना चाहिए था।

अजीत डोभाल को जल्द से जल्द कदम उठाने थे और वह उन्होंने कर दिखाया। आतंकियों ने तीन बड़ी मांगे डोभाल के सामने रखी थीं।
आतंकियों की पहली मांग - 36 आतंकवादियों को छोड़ा जाए।आतंकियों की दूसरी मांग - भारत सरकार उन्हें 1400 करोड़ रूपए दे।
आतंकियों की तीसरी मांग‌ - आतंकी सज्जाद अफगानी की लाश देने की मांग की थी।ISI️ व आतंकियों की मांद में डोभाल का
भाल ने आतंकियों की मांग में रहकर भी बिना भय की उनसे बातचीत की विमान में जाकर लोगों से बातचीत की।

जो लोग यह कहते हैं कि मसूद अजहर को डोभाल लेकर गए उन्हें सामान्य ज्ञान का सामान्य नॉलेज तक नहीं है। रही बात मौलाना मसूद अजहर की रिहाई की तो उसे भारत सरकार को मजबूरी में छोड़ना पड़ा था। क्योंकि 190 भारतीयों की जान को खतरा था। अगर राष्ट्र के लोग एक साथ खड़े होकर आतंकियों के आगे नहीं झुकने की बात करते तो आतंकियों को बहुत बड़ा संदेश जाता और हम भी गम से बाहर निकलने में कामयाब होते।

पाकिस्तान तालिबानी आतंकियों के साथ बैठकर उसके पक्ष में बात कर रहा था। और हम पर जल्द से जल्द मांग मानने का दबाव बना रहा था। इसके लिए कई बार आईएसआई के लोग भारतीय मीडिया में चल रही राजनीतिक दलों के नेताओं और देश के लोगों की बेचैनी भरी खबरों को देख कर जल्द से जल्द आतंकियों की मांग मानने की नसीहत दे रहे थे।

कंधार में बंधकों की रिहाई, उस अफगानिस्तान में रहकर कराई जब तालिबान का शासन था।

इतना होने के बावजूद डोभाल ने तालिबानी आतंकियों को 36 की बजाय सिर्फ 3 आतंकवादियों को छोड़ने की बात कही।

अपने देश के 1400 करोड़ बचाए।

तारीफ डोभाल की इस लिए भी करनी चाहिए क्योंकि तालिबानी आतंकी और कमांडर के चंगुल से सभी यात्रियों को छुड़ाया। डोभाल जो किया उसे इतिहास में याद रखा जाएगा।

ऑपरेशन करते तो क्या होता ?

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वहां तालिबान के साथ पाकिस्तान भी था और हम कोई भी ऑपरेशन करते हैं तो वह हमारा विमान पाकिस्तान के ऊपर से नहीं जाने देता। दूसरी तरफ आतंकी फिदायीन थे। ऐसी हालत में 190 भारतीय नागरिक मारे जाते। तब तो अटल सरकार का देश के नेता जीना मुहाल कर देते।

मौलाना मसूद अजहर को इसके पहले भी दो बार छुड़ाने की कोशिश है पाकिस्तानी आतंकवादी कर चुके थे। एक बार जेल पर हमला करके और दूसरी बार कश्मीर में विदेशी नागरिक की हत्या कर लेकिन भारत सरकार ने आतंकियों की किसी भी धमकी की परवाह नहीं की।

भूल गये डॉक्टर रुबिया सईद किडनैपिंग कांड?

देश के तत्कालीन गृह मंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ रुबिया सईद का आतंकियों ने अपहरण कर लिया इसके एवज में कितने आतंकी छोड़े गए क्या इस पर किसी दल का कोई नेता बोलता है? क्योंकि बोलने से उन्हें डर है की वोट में कमी आएगी।

अब आप खुद ही सोचिए डोभाल की वीरता पर भी इस देश में संदेह करने वाले लोग हैं जो देश का पीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं।

इसकी आलोचना करने वालों को देश की सौगंध खानी चाहिए ना कि सत्ता हथियाने के लिए कुछ भी बोलने की घटिया प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। क्या ऐसे लोगों में हिम्मत है, या यूं ही पोगो टाइप प्रवचन देते रहेंगे? ऐसे लोगों से देश को कोई फर्क नहीं पड़ता जो कुछ भी बोलें। लेकिन देश को फर्क पड़ता है वैसे लोगों से जो देश के लिए जान देते हैं। देश को अपनी जान से ज्यादा समझते हैं। उन जवानों और उन शहीदों के परिजनों से भी हमें सीखना चाहिए जो इस देश के लिए जीते हैं।

कब पीएंगे शर्म का एक घूंट सुबह की चाय के साथ ?

क्या इसके लिए सुबह की हर चाय के पहले हमें शर्म का एक घूंट नहीं पीना चाहिए? ‌ जरा सोचिए देश के उन वीर बेटे-बेटियों और उनके परिवारों के लिए जो सिर पर कफन बांध कर देश की संप्रभुता की रक्षा करते हैं। सीमा पर पत्थरों के बीच पहाड़ों और बर्फबारी के बीच, आंधी में तूफ़ान में डटे रहते हैं ताकि हम घर में चैन की नींद ले सकें। गर्मी में खुद लू के थपेड़े खाकर हमें ठंडी हवाओं और ऐसी की सनसनाती हवाओं के बीच आराम से सोने और पिज्जा खाने का मौका देते हैं।लेकिन हम कितने निकृष्ट हैं कि जब आतंकवाद से लड़ने की बात या देश की इज्जत की बात आती है तो हर बात में सियासती सौदेबाजी की गंध के लिए अपनी नाकअंदर तक घुसेड़ देते हैं‌। जब कीचड़ लग जाता है तो मुंह बंद कर लेते हैं?????

आतंकवाद से मुकाबले की बजाए सरकार पर दबाव❓

सवाल यह है कि तब किसी राजनीतिक दल ने यह क्यों नहीं कहा कि सरकार को आतंकियों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ना चाहिए?? क्योंकि देश सबसे पहले है। लेकिन अपने देश की राजनीति हमेशा इतनी घटिया रही है कि एक तरफ आतंकवाद को खत्म करने के लिए सरकार एक्शन लेती है तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दल सबूत मांग कर सरकार को कोसते हैं। वहीं मीडिया के मंच का इस्तेमाल कर कुछ लोग सरकार पर वॉर मॉगरिंग का आरोप लगाते हैं। लेकिन उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद हर किसी के लिए नासूर बना है। आखिर एक न एक दिन उसका खात्मा करना पड़ेगा और नहीं तो रोज तिल तिल के मरना पड़ेगा।
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