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THE VIKRANT RAJLIWAL SHOW

अभी पाठन कीजिए मेरे नवीनतम ब्लॉग का और जानिए मेरी आगामी कृति से सम्बंधित कुछ रोमाचक जानकारियां आपकी अपनी साइट vikrantrajliwal.com पर। एक अत्यंत ही दर्दभरा नाटक एक रोमांचक कहानी। (आगामी कृति) नमस्कार है मेरे सभी प्रिय पाठकों एव मित्रजनों, जैसा की मैंने आपको पहले भी सूचित किया है परंतु मुझ को ऐसा आभास हो रहा है कि वह समय भी आ गया जब मुझ को एक बार पुनः आप सब को सूचित करना पड़ेगा कि मेने वर्ष 2016 के शुरुआती दौर में एक अत्यंत ही दर्द से भरी, रोमांचक एव जीवन के हर रंग को प्रस्तुत करती एक कहानी एक ना

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2 Years of Nojoto अभी पाठन कीजिए मेरे नवीनतम ब्लॉग का और जानिए मेरी आगामी कृति से सम्बंधित कुछ रोमाचक जानकारियां आपकी अपनी साइट vikrantrajliwal.com पर।

एक अत्यंत ही दर्दभरा नाटक एक रोमांचक कहानी। (आगामी कृति)

नमस्कार है मेरे सभी प्रिय पाठकों एव मित्रजनों, जैसा की मैंने आपको पहले भी सूचित किया है परंतु मुझ को ऐसा आभास हो रहा है कि वह समय भी आ गया जब मुझ को एक बार पुनः आप सब को सूचित करना पड़ेगा कि मेने वर्ष 2016 के शुरुआती दौर में एक अत्यंत ही दर्द से भरी, रोमांचक एव जीवन के हर रंग को प्रस्तुत करती एक कहानी एक नाटक पर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया था एव लगातार कार्य करते हुए कुछ ही महीनों में मैने अपनी उस प्रथम कहानी उस नाटक को लगभग 85 % पूरा कर दिया था। परंतु उसी समय मुझ को मास्टर ऑफ मास कोमनिकेशन एव डिप्लोमा की पढ़ाई करनी पड़ी। … [ 356 more words ]
http://vikrantrajliwal.com/2019/08/17/ अभी पाठन कीजिए मेरे नवीनतम ब्लॉग का और जानिए मेरी आगामी कृति से सम्बंधित कुछ रोमाचक जानकारियां आपकी अपनी साइट vikrantrajliwal.com पर।

एक अत्यंत ही दर्दभरा नाटक एक रोमांचक कहानी। (आगामी कृति)

नमस्कार है मेरे सभी प्रिय पाठकों एव मित्रजनों, जैसा की मैंने आपको पहले भी सूचित किया है परंतु मुझ को ऐसा आभास हो रहा है कि वह समय भी आ गया जब मुझ को एक बार पुनः आप सब को सूचित करना पड़ेगा कि मेने वर्ष 2016 के शुरुआती दौर में एक अत्यंत ही दर्द से भरी, रोमांचक एव जीवन के हर रंग को प्रस्तुत करती एक कहानी एक ना

Ankita Saxena

#sakhi..

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एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद,
श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया।

दूध ज्यदा गरम होने के कारण 
श्री कृष्ण के हृदय में लगा
और
उनके श्रीमुख से निकला-
" हे राधे ! "

सुनते ही रुक्मणी बोली-
प्रभु !
ऐसा क्या है राधा जी में,
जो आपकी हर साँस पर उनका ही नाम होता है ?

मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूँ...
फिर भी,
आप हमें नहीं पुकारते !!

श्री कृष्ण ने कहा -देवी !
आप कभी राधा से मिली हैं ?
और मंद मंद मुस्काने लगे...

अगले दिन रुक्मणी राधाजी से मिलने उनके महल में पहुंची ।

राधाजी के कक्ष के बाहर अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा...
और,
उनके मुख पर तेज होने कारण उसने सोचा कि-
ये ही राधाजी है और उनके चरण छुने लगी !

तभी वो बोली -आप कौन हैं ?

तब रुक्मणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया...

तब वो बोली-
मैं तो राधा जी की दासी हूँ।

राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी !!

रुक्मणी ने सातो द्वार पार किये...
और,
हर द्वार पर एक से एक सुन्दर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी क़ि-
अगर उनकी दासियाँ इतनी रूपवान हैं...
तो,
राधारानी स्वयं कैसी होंगी ?

सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची...

कक्ष में राधा जी को देखा-
अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था।
रुक्मणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी...

पर,
ये क्या राधा जी के पुरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है !

रुक्मणी ने पूछा-
देवी आपके  शरीर पे ये छाले कैसे ?

तब राधा जी ने कहा-
देवी !
कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया...
वो ज्यदा गरम था !

जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए...
और,
उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास होता है..!!

इसलिए कहा जाता है-

बसना हो तो...
'ह्रदय' में बसो किसी के..!

'दिमाग' में तो..
लोग खुद ही बसा लेते है!!! #sakhi..

THE VIKRANT RAJLIWAL SHOW

नमस्कार प्रिय मित्रों, माँ का दिल। काव्य-कविता मेरे द्वारा लिखित एव मेरी ब्लॉग साइट vikantrajliwal.com पर प्रकाशित एक अत्यंत ही ममतामई काव्य रचना है। जिसको मैने कुछ समय पूर्व एक सोशल मंच जिसका सार्वजनिक रूप से नाम ले कर मैं उनको कोई दोष नही देना चाहूंगा, जो कि कवियोँ एव शायरों को अपनी रचनाए सुनाने का एक अवसर प्रदान करता है के ओडिशियन के रूप में अपनी यह voice रिकोर्डिन के साथ अपने ह्रदय के अत्यंत ही समीप विराजमान अपनी इस ममतामई काव्य रचना को प्रस्तुत किया था। परंतु जब तय समय सीमा के उपरांत भी उन

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 नमस्कार प्रिय मित्रों, माँ का दिल। काव्य-कविता मेरे द्वारा लिखित एव मेरी ब्लॉग साइट vikantrajliwal.com पर प्रकाशित एक अत्यंत ही ममतामई काव्य रचना है। जिसको मैने कुछ समय पूर्व एक सोशल मंच जिसका सार्वजनिक रूप से नाम ले कर मैं उनको कोई दोष नही देना चाहूंगा,  जो कि कवियोँ एव शायरों को अपनी रचनाए सुनाने का एक अवसर प्रदान करता है के ओडिशियन के रूप में अपनी यह voice रिकोर्डिन के साथ अपने ह्रदय के अत्यंत ही समीप विराजमान अपनी इस ममतामई काव्य रचना को प्रस्तुत किया था। परंतु जब तय समय सीमा के उपरांत भी उन

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