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Priya Khatri
स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत के नारे हम लगाते है। घर के बाहर पड़ी गंदगी को साफ नही कर पाते है जो हमारी नजरो में कूड़ा कबाड़ी वाला है सही मायनो में वही देश का रखवाला है जिनको हम अनपढ़ कहते सच मानो वो साक्षर है , जो सड़क नाले साफ करते वही सच्चे रक्षक है। खाने वाले तम्बाकु अपनी सेहत तो खराब करते है फिर क्यूँ थूक कर धरती माँ को गंदा करते है जो लोग सड़को पर झाड़ू लगाया करते है धरती माँ के प्रति अपना फर्ज निभाया करते है अब हमे भी तो अपना फर्ज निभाना है, गंदगी नामक शत्रु से भारत देश बचाना है , दो पल वतन के आज उनके नाम करती हूँ, जो सड़क नाले साफ करते है उन्हे सलाम करती हूँ। जय हिंद। #गाँधीजयंती #स्वच्छ #भारत #अभियान।
उनाड बोरकर
अरे कोसळणाऱ्या पावसा बात माझी ऐकून ठेव. येणाऱ्या नक्षत्रांसाठी आभाळ थोडं राखून ठेव. भरले नदी-नाले, तुडुंब भरल्या बावडी पुराच्या वेढ्यात, बुडाली गावची चावडी ह्या बेभान स्वैर सरींना लगाम थोडं लावून ठेव. येणाऱ्या नक्षत्रांसाठी आभाळ थोडं राखून ठेव. भिजले सारे रानमाळ, गारठली पाखरे चाऱ्यासाठी दावणीस, हंबरती वासरे असं घरट्यात पाखरांना नको उपाशी डांबून ठेव. येणाऱ्या नक्षत्रांसाठी आभाळ थोडं राखून ठेव. एका रातीत झाली, संसारांची होळी प्रश्न सुटण्याआधी भाकरीचा विझल्या चुली कोणाच्या ओसरीवरी लेकरं बाळं नेवून ठेव. येणाऱ्या नक्षत्रांसाठी आभाळ थोडं राखून ठेव. आज उरले ना अंगण, उरली ना शेजारे पुरात कालच्या सारी उध्वस्त झाली घरे डोळ्यांमधील अश्रु कसे काळजामध्ये गाडून ठेव. येणाऱ्या नक्षत्रांसाठी आभाळ थोडं राखून ठेव. सरता पावसाळा, हे कोरडे नदी-नाले हंडाभर पाण्यासाठी, झिजतात पाऊले दुष्काळाच्या भेगा साऱ्या काळजावर रेखून ठेव. येणाऱ्या नक्षत्रांसाठी आभाळ थोडं राखून ठेव. एकलव्य
Aditya Singh
#OpenPoetry प्रकृति का दूत नीला आकाश लगे अति सुंदर सुनहरी धरती महकता अंबर । वृक्ष की छांव और शीतलता फल झूल रहे है पुष्प महकता । पक्षि की चहचहाहट , प्रातः काल उठाने वाली माटि की खुशबू नींद से नींद चुराने वाली। नदियों का संगम मन मोहने वाला फिर कुछ दूर दिखा इक नाला। नाले में था कचरा-कूड़ा उसमे नहा रहा था आदमी बूढा। उस गंदे नाले में कुछ लोग कपड़े धो रहे थे चहचहाहते पक्षी न जाने क्यों जोर जोर से रो रहे थे। मैंने पूछा - क्या हुआ रुदन क्यों करते हो .... किसने तुमको रुलाया है। पक्षी बोली- किसी और ने नही तुम दुष्ट इंसानो ने प्रकृति को ठुकराया है। पेड़ काटकर किताबों के पृष्ठ बनाते हो आज भी चूल्हा लकड़ी से जलाते हो। पेड़ो को हटाकर पत्थरों का वन बना दिया है हमारे घर उजाड़ कर हमें ही बाहरी करार दिया है। धरती तोह धरती, जल और वायु को भी न बक्शा कुछ ही सालो में बदल दिया इस धरा का नक्शा। धुंआ इतना पैदा करते हो की अब आहे भी धुंए की भरते हो। वसुंधरा अब और न सह पाएगी अगर जरूरत महसूस हुई तोह प्रलय भी लाएगी। सुना इस पक्षी ने मुझे क्या बतलाया है .... प्रकृति का सम्मान करो , आखिर उसके आगे कौन टिक पाया है। आदित्य सिंह #OpenPoetry #hindipoetry Priyanka Mohammad Kamaluddin Rakesh Kumar Himanshu
Anil Siwach
Pratibha Tiwari(smile)🙂
बचपन की शैतानियाँ बहुत याद आता है वो बचपन बेफिक्र वो पत्तल की नाव नाले में बहाना और एक बार खुद भी नाले में गिर जाना😁😁 वो बेहिसाब साइकल चलाना और घुटनों में हमेशा चोट होना😋 वो ड्राइंग की कापी और colur का एक महीने में ख़तम हो जाना फिर मम्मी का जोरों की डांट लगाना😍 वो कई अफवाह फैलाना कि पेंसिल के छिलके से रबर,और कोयला पीस के चुरन बनता है😛 बहुत यादें है किसे बताऊं किसे छुपाऊं पर सच सब कुछ , वो बेफिक्री याद आती है मुझे।😘 बचपन की शैतानियां #nojoto #nojoto हिंदी 😘😍😛😋😁 ✍✍✍✍✍✍
Rakesh Kumar Dogra
मैं कहीं का न रहूं तो अच्छा है मेरे ठिकानों पर कोई आस नज़र नहीं आती। पहले तो नाले नाले आती थी हसीं अब तो गाहे-बगाहे भी नहीं आती।
Anil Siwach
Eron (Neha Sharma)
कहीं तो न्याय हो, कभी तो न्याय हो ●●●●●●●●●●●●●●●●● बच्चे भगवान, खुदा, जीसस, वाहेगुरु का रूप होते हैं।, यही हमसे सब लोग कहते हैं। लो अब निशाना बना दिया है उसी खुदा को इंसान ने।, तो क्यों बख़्श दिया है फिर इन हैवानों को भगवान ने। देख बच्चों की हालत आंखों से आंसू झर झर बहते है।, ना आना इस देश लाड़ो बस यही कहते हैं। ये शहर ये देश तुम्हारे लायक नही है।, क्योंकि यहां कोई किसी का सहायक नही है। सुनो तुम अगर इस धरती पर आओगी।, तो अपने रिस्क पर अब अपने कर्तव्य निभाओगी। बनकर शेरनी इतने जोर से दहाड़ लगाना, की भेड़िया भी डरकर शुरू कर दे भागना। अब तुम कलम नही हाथ में तलवार भाले बंदूक उठा लो।, चीरकर सीना दुष्ट पापी उस राक्षस का दुर्गा काली का रूप अपना लो। अब मोमबत्तियों से काम नही चलने वाला।, बोलने से तुम्हारे, कोई नही सुनने वाला। जिस रोड से उन दरिंदों ने तुम्हे जख्मी किया है।, तुम्हारे हर अंग को जख्मों से भर दिया है। तुम उसी रॉड से उनकी आंखों को अब नोच डालो।, काटकर गला उनका, खोलते तेल में उबाल डालो। जिस झाड़ी में ले गए तुमको उस झाड़ी में उनके शरीर को पड़ा रहने दो।, चींटी गिद्धों को उन्हें नोचकर खाने दो। जिस नाले पर तुम्हे अधमरी हालत में फेंका उन्होंने।, उस नाले पर उनकी मुंडी को जड़ डालो। एक हो जाओ नारी शक्ति और अब कमान सम्भालो।, अगर हो सच्ची माँ, बहता है दूध तुम्हारे स्तन से अगर तो उठो जागो और अपनी बेटियों को और खुद को मजबूत बना लो। अंत मे नेहा बस इतना कहेगी।, जागो नारी शक्ति और हर बेटी में खुद की बेटियों को मानो।-नेहा शर्मा। 😡
RAJ SINGH ✔️
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