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Anuj Sahu
कुछ शिखा कर ये दौर भी गुजर जायेगा ' फिर एक बार हर इंसान #मुस्कुराएगा ; मायूस ना होना मेरे दोस्तों इस बुरे बक्त से"कल " आज है और आज " कल " हो जायेगा #अनुज गजब
गजब #Shayari #अनुज #मुस्कुराएगा
read moreSaurav Sharma
जीवन / मरण ..ऊपर वाले के हाथ है ! पर sefty अपने हाथ ! अपना वाहन . .आप सही से चला रहे हैं .. पर सामने वाले का क्या भरोसा ! इसीलिए वाहन .. धीरे / ध्यान से चलाएं ! गलती आप की हो.. दूसरे की हो .. या किसी जानवर की हो .. आपकी थोड़ी सी चूक .. सब खत्म कर देती है ! इसी के चलते .. हमने एक अनुज को खो दिया ! ऐसा किसी और के साथ ना हो .. हमारे अनुज 【कुनाल】की आत्मा को .. ऊपर वाला शांति दे .. ॐ शांति ॐ ॐ शान्ति ॐ
ॐ शान्ति ॐ
read more@Anuj K Solanki
1. लोगों ने दीबानेपन में,ऐसी रातें जी होंगी तन्हाई मे बेचारों ने चाँद से बातें की होंगी आना जाना मिलना जुलना और दिलों में बेचैनी मयखाने मे मिला मिला कर कड़बी बातें पी होंगी तन्हाई मे............. 2. साथ चले बो बस कुछ ही दिन, अब है लंबी तन्हाई समझ सके ना बात कभी बो, बात वक़्त ने समझायी शायद उसने झूठे~झूठी बादे कसमें ली होंगी तन्हाई मे.......... 3. मीत सभी को मिलते हैं, क्या प्रीत सभी को मिलती है जीवन के क्या मैराथन मे,जीत सभी को मिलती है लहरों ने मिल पतवारों से, बड़ी शरारत की होगी तन्हाई मे........... #अनुज सोलंकी 08.09.19 1. लोगों ने दीबानेपन में,ऐसी रातें जी होंगी तन्हाई मे बेचारों ने चाँद से बातें की होंगी आना जाना मिलना जुलना और दिलों में बेचैनी मयखाने मे मिला मिला कर कड़बी बातें पी होंगी तन्हाई मे............. 2. साथ चले बो बस कुछ ही दिन, अब है लंबी तन्हाई समझ सके ना बात कभी बो, बात वक़्त ने समझायी शायद उसने झूठे~झूठी बादे कसमें ली होंगी
1. लोगों ने दीबानेपन में,ऐसी रातें जी होंगी तन्हाई मे बेचारों ने चाँद से बातें की होंगी आना जाना मिलना जुलना और दिलों में बेचैनी मयखाने मे मिला मिला कर कड़बी बातें पी होंगी तन्हाई मे............. 2. साथ चले बो बस कुछ ही दिन, अब है लंबी तन्हाई समझ सके ना बात कभी बो, बात वक़्त ने समझायी शायद उसने झूठे~झूठी बादे कसमें ली होंगी #शायरी #अनुज
read moreआयुष पंचोली
"दशावतार" जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं। #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #dashavtaar
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 8 - असुर उपासक 'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 23 - भूख लगी है 'दादा, मुझे भूख लगी है।' कन्हाई आकर दाऊ के वाम पार्श्व में बैठ गया है। दोनों भुजाएं अग्रज के कंधे पर सिर रख दिया है इसने। 'तब तु आम खा ले।' दाऊ ने छोटे भाई की अलकों पर स्नेहपूर्वक अपना दाहिना हाथ घुमाया। 'नहीं, आम की भूख नहीं लगी है।' कृष्ण का उदर अद्भुत है। नन्दनन्दन की क्षुधा ऐसी नहीं है कि यह चाहे जिस पदार्थ से बुझ जाय। इसे भूख भी कभी फल की लगती है, कभी दही या नवनीत की लगती है और कभी माखन-रोटी की लगा करती है।
read moreAnil Siwach
।।श्री हरी।। 13 - स्नान 'दादा! स्नान करेगा तू?' कन्हाई अग्रज के समीप दौड़ा-दौड़ा आया और वाम पार्श्व में खड़े होकर दोनों भुजाएँ भाई के कण्ठ में डालकर कन्धे पर सिर रखकर बड़े स्नेहपूर्वक पूछ रहा है। 'स्नान?' दाऊ ने तनिक सिर घुमाया। वे इस पूछने का अर्थ जानते हैं। श्यामसुंदर स्नान करना चाहता है। शैशव से यह जल पाते ही उसमें लोट-पोट होने में आनन्द मनाता रहा है।स्नान योग्य जल हो तो स्नान करने को इसका मन मचल पड़ता है। लेकिन मैया ने बार-बार मना किया है कहीं यमुना अथवा सरोवर में स्नान करने को। सखाओं को म #Books
read moreके_मीनू_तोष
अनुज भार्या एक नही वर्ष चौदह का रण है ये दीप नही बुझने पाये भूमिजा कि है जो अनूजा उस जनक नंदिनी का ये प्रण है तात् ने अपना वचन निभाया #Poetry
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 3 - सचिन्त 'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले। आज भद्र कहाँ गया? कन्हाई ने भद्र को इधर उधर देखा, पुकारा और फिर अपने दाहिने हाथ की दोहनी बांयें हाथ में लेते हुए बाबा के समीप दौड़ गया। राम-श्याम दोनों भाई प्रातःकाल उठते ही मुख धोकर पहिले गोदोहन करने गोष्ठ में आते हैं। प्रातःकृत्य गोदोहन के पश्चात होता है। बाबा के साथ ही भद्र सोता है। उनके साथ ही दोहनी लिए सवेरे दोनों भाइयों को गोष्ठ में मिलता है। लेकिन #Books
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