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pooja d

करुनी मोकळा केशसांभार
गुंतवली वेणी त्यात ।।
खूप खूप आभार तुझे
यौवन माझे पुन्हा फुलविले आज ।। #केश  #मोकळे_केस  #चारोळी

@thewriterVDS

Vaibhav Dev Singh #yqdidi #yqbaba उनके #आँखों की वो #शर्माती हुई #पलकें, वो उनके #हाथ अपने #बालों को #सहलाते हुए, वो #होठ उनके #गुलाबी-गुलाबी, #सुनहरे #केश उनके, जो मुझे उनका #दीवाना बनाने के लिए काफी है।। #मुस्कराने #अदाएँ

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उनके आँखों की वो शर्माती हुई पलकें,
वो उनके हाथ अपने बालों को सहलाते हुए,
वो होठ उनके गुलाबी-गुलाबी,
सुनहरे केश उनके,
जो मुझे उनका दीवाना बनाने के लिए काफी है।।

अदाएँ वो उनकी बात करने की,
अदाएँ वो उनकी मुस्कराने की,
अदाएँ वो उनकी, जो बताना  काफी नही होगी,
उनकी सभी अदाएँ, जो बताना ही काफी नही होगा,
वो सभी अदाएँ, जो मुझे उनका दीवाना बनाने के लिए काफी हैं।। Vaibhav Dev Singh
#YQdidi #YQbaba

उनके #आँखों की वो #शर्माती हुई #पलकें,
वो उनके #हाथ अपने #बालों को #सहलाते हुए,
वो #होठ उनके #गुलाबी-गुलाबी,
#सुनहरे #केश उनके,
जो मुझे उनका #दीवाना बनाने के लिए काफी है।।

Haleema Ali (Hallu)

देखो प्रीत,,,,,
मुझे तुम्हारी दो बातें बहुत पसन्द हैं,,,,,
बन्द कमरे में तुम्हारे खुले #केश
दूजा,,,,मेरे आने की खुशी में
सब्ज़ी में नमक #तेज़,,,,।।

HALLU✍ #For#True#Lvrz

Haleema Ali (Hallu)

देखो प्रीत,,,,,
मुझे तुम्हारी दो बातें बहुत पसन्द हैं,,,,,
बन्द कमरे में तुम्हारे खुले #केश
दूजा,,,,मेरे आने की खुशी में
सब्ज़ी में नमक #तेज़,,,,।।

HALLU✍ #For#True#Lvrz

Haleema Ali (Hallu)

देखो प्रीत,,,,,
मुझे तुम्हारी दो बातें बहुत पसन्द हैं,,,,,
बन्द कमरे में तुम्हारे खुले #केश
दूजा,,,,मेरे आने की खुशी में
सब्ज़ी में नमक #तेज़,,,,।।

HALLU✍ #For#True#Lvrz

Pnkj Dixit

आज का आयोजन __ चित्रलेखन दिन __ बुधवार दिनांक ___ २६/०६/२०१९ विधा ___ गीत राधा_का_श्रंगार ______________ आ री राधिके! तेरे घन केश संवारु तू निहार दर्पण , मैं तुम्हें निहारु

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"राधा का श्रंगार"

२६/०६/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' आज का आयोजन __ चित्रलेखन
दिन __ बुधवार
दिनांक ___ २६/०६/२०१९
विधा ___ गीत
#राधा_का_श्रंगार 
______________
आ री राधिके!   तेरे घन केश संवारु
तू निहार दर्पण , मैं तुम्हें निहारु

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 8 - अर्चावतार 'स्वामी दयानन्दजी बच्चे थे, तभी वे समझ गये थे कि मूर्ति भगवान् नहीं है और आप........।' 'आप स्वामी दयानन्दजी की बात नहीं कर रहे हैं' उन विद्वान को बीच में ही रोक कर मैंने कहा - 'आप तो बालक मूलशंकर की बात कर रहे हैं इस समय। स्वामी दयानन्दजी तो वे बहुत पीछे हुए और आप भी जानते हैं कि स्वामी होने के बाद भी कई वर्षों तक दयानन्दजी शिवमूर्ति की पूजा करते रहे हैं।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
8 - अर्चावतार

'स्वामी दयानन्दजी बच्चे थे, तभी वे समझ गये थे कि मूर्ति भगवान् नहीं है और आप........।' 

'आप स्वामी दयानन्दजी की बात नहीं कर रहे हैं' उन विद्वान को बीच में ही रोक कर मैंने कहा - 'आप तो बालक मूलशंकर की बात कर रहे हैं इस समय। स्वामी दयानन्दजी तो वे बहुत पीछे हुए और आप भी जानते हैं कि स्वामी होने के बाद भी कई वर्षों तक दयानन्दजी शिवमूर्ति की पूजा करते रहे हैं।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 7 - शरीर अनित्य है लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीकार है कि उनके हाथ में यश है। नाड़ीज्ञान में अद्वितीय हैं और उनके निदान में भूल नहीं हुआ करती। वे जब चिकित्सा करते हैं, मरते को जीवन दे देते हैं; किंतु अपने पागलपन से उन्हें जब अवकाश मिले चिकित्सा करने का। इतना निपुण चिकित्सक - उसके हाथ में लोहे को सोना करने वाली विद्या थी। वह अपना व्यवसाय किये जाता - तो लक्ष्मी पैर तोड़ उसके घर में बैठने को प्रस्तुत कब नहीं थ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
7 - शरीर अनित्य है

लोग पागल कहते हैं वैद्यराज चिन्तामणिजी को, यद्यपि सबको यह स्वीकार है कि उनके हाथ में यश है। नाड़ीज्ञान में अद्वितीय हैं और उनके निदान में भूल नहीं हुआ करती। वे जब चिकित्सा करते हैं, मरते को जीवन दे देते हैं; किंतु अपने पागलपन से उन्हें जब अवकाश मिले चिकित्सा करने का।

इतना निपुण चिकित्सक - उसके हाथ में लोहे को सोना करने वाली विद्या थी। वह अपना व्यवसाय किये जाता - तो लक्ष्मी पैर तोड़ उसके घर में बैठने को प्रस्तुत कब नहीं थ

Shakeel Jaan

😕😕शहर क मुसाफिर 😕😕

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शहर अदालत भी उसकी थी शहर भी उसका था 
गवाह भी उसके थे वकील भी उसके । 
मै अनजान बनके खड़ा था इश्क के अदालत मे केश भी उसका था और जज भी उसके थे  ।
फर्क बस इतना स थ यारो मुझे उम्र कैद हो गयी और उसे नया केश मिल गया 🙄🙄 😕😕शहर क मुसाफिर 😕😕

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 15 - तामस त्याग नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते। मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।। (गीता 18।7)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
15 - तामस त्याग

नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते।
मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।।
(गीता 18।7)
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