Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best श्यामसुंदर Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best श्यामसुंदर Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about श्यामसुंदर मनावत,

  • 6 Followers
  • 584 Stories

@..kajal..@

Amit Singh

गुड mornning #श्यामसुंदर

read more

Shyam status (MRJAAT)

जय श्री श्याम #श्यामसुंदर

read more

Narpat Ram

#हरित_प्रणाम 🌳🌍🌲
#पर्यावरण चेतना यात्रा
        प्रो. #श्यामसुंदर ज्यांणी जी, डूंगर कॉलेज बीकानेर हरित पाठशाला, पारिवारिक वानिकी अवधारणा को लेकर कई वर्षों से पर्यावरण #संरक्षण के कामों में लगे हुए है और पिछले दिनों इन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा "लैंड फ़ॉर लाइफ" #अवार्ड से सम्मानित किया गया जो हम सभी के लिए गर्व और गौरवशाली रहा है और सभी को अपार प्रसन्नता हुई ।।
     प्रो ज्यांणी जी ने 5 जून 22 को भगवान जसनाथजी की जन्मभूमि, डाबला तालाब धीरेरां स्टेशन, लूणकरणसर, #बीकानेर से "देव जसनाथ पारिवारिक वानिकी यात्रा" शुरू की है। जिसका उद्देश्य देवभूमि डाबला तालाब को पर्यावरण का विश्व स्तरीय तीर्थ बनाना है।
    कई जगह से गुजरती हुई यह #यात्रा 18 जून को बाड़मेर #जिले के अकदड़ा गांव में प्रवेश किया,यहां राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जोधानी हुड्डों की ढाणी(अकदड़ा) पर्यावरण संगोष्ठी रखी जिसमें प्रो. Shyam Sunder Jyani ने सम्बोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सबको सामुहिक प्रयास करने होंगे,पर्यावरण को बचाने के लिए हमारे पास सिर्फ एक ही विकल्प है वो धरती को पेड़-पौधों से हरी भरी करना,हर व्यक्ति अपने हिस्सा का पर्यावरण के संरक्षण का जिम्मा उठाना चाहिए। उन्होंने बड़े-बुजुर्गों से आह्वान किया कि नशावृत्ति से दूर रहे तथा वर्तमान पीढ़ी को इससे दूर रखें। सामाजिक कार्यक्रम व अन्य किसी भी कार्यक्रम में मनुहार के रूप में नशा परोसते हो यह पीढियां बर्बाद कर देगा,इसलिए इससे दूर रहे औरों को भी इससे दूर रखें। उन्होंने आगे कहा कि डाबला तालाब विश्व स्तरीय तिर्थ बनेगा,इस महातीर्थ में हर व्यक्ति को तन मन धन से सहयोग देना चाहिए। जसनाथजी सम्प्रदाय के अनुनायियों से अपील की कि वे अपने कमाई के अंश का पांचवा हिस्सा पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाए,प्रत्येक परिवार रोजाना एक रुपिया डाबला तालाब निमित्त करे। उन्होंने अकदड़ा के 600 बीघा ओरण भूमि को विदेशी किंकर(बबूल) की जगह देशी पौधे व धामन घास लगाकर पर्यावरण व पशु संरक्षण के लिए उपयोग लाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि "जठे जाळ, बठे जसनाथ" इस धरती को बचाने के लिए जसनाथ जी के 36 नियमों की पालना करनी चाहिए। हर व्यक्ति को 36-36 जाळ व खेजड़ी के पेड़ लगाने चाहिए।
इस कार्यक्रम में अकदड़ा peeo Jalam Jat सर ने अपने उद्बोधन में बताया कि जसनाथ जी के 36 नियमों में पर्यावरण संरक्षण के बारे में ही बताया गया है, हर व्यक्ति को प्रत्येक साल कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
 ज्याणी सर ने कार्यक्रम में पधारे सभी लोगों को पीलू व सहजन के बीज भेंट कर,अधिक से अधिक पौधारोपण को कहा।
 आज इस कार्यक्रम में अकदड़ा peeo जालमसिंह सारण, अकदड़ा सरपंच प्रतिनिधि Hemant Kumar , Gunesh Hudda ,मगाराम हुड्डा, Prem Singh Hudda ,देवाराम ,उदयराज, Kheta Ram Jangid , Moti Ram Jat , नरपतराम जाँगिड़ भारतीय पनावङा ,आसुराम,रामलाल हुड्डा,जसराज गोदारा,नरेश गोदारा,महेंद्र हुड्डा,तुलसाराम हुड्डा सहित अनेक लोग उपस्थित हुए।

©Narpat Ram #fullmoon

Anita Mohan

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 10 - आर्त 'बाबूजी! आज तो आप कहीं न जायें।' कोई नीचे से गिड़गिड़ा रहा था। उसका लड़का बिमार था और उसकी दशा बिगड़ती जा रही थी। आज कम्पाउंडर आया नही था। अस्पताल बंद रखना कल शाम को निश्चित हो चुका था वृद्ध डाक्टर अपने मकान में ऊपरी तल्ले में बैठे अपनी लड़की से श्रीमद्भागवत का बंगला अनुवाद सुन रहे थे। 'मैं डाक्टर हूँ बेटी! स्निग्ध स्वर में उन्होंने कहा, 'मेरी आवश्यकता हिंदू-मूसलमान को समान रूप से है। कोई इस बुड्ढे को मारकर क्या पावेगा?' 'उत्तेजना मनुष्य को पिशाच बना देती है।' दूर से 'अ #Books

read more
|| श्री हरि: ||
10 - आर्त
'बाबूजी! आज तो आप कहीं न जायें।' कोई नीचे से गिड़गिड़ा रहा था। उसका लड़का बिमार था और उसकी दशा बिगड़ती जा रही थी। आज कम्पाउंडर आया नही था। अस्पताल बंद रखना कल शाम को निश्चित हो चुका था वृद्ध डाक्टर अपने मकान में ऊपरी तल्ले में बैठे अपनी लड़की से श्रीमद्भागवत का बंगला अनुवाद सुन रहे थे।

'मैं डाक्टर हूँ बेटी! स्निग्ध स्वर में उन्होंने कहा, 'मेरी आवश्यकता हिंदू-मूसलमान को समान रूप से है। कोई इस बुड्ढे को मारकर क्या पावेगा?'

'उत्तेजना मनुष्य को पिशाच बना देती है।' दूर से 'अ

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 80 - तारक दर्शन 'मैया। यह कौनसा तारा है?' इस गर्मी की ऋतु में श्यामसुंदर बड़े भाई के साथ एक ही शय्या पर खुले आकाश के नीचे सो रहा है। चंद्रमा का उदय तो अभी दो घडी पीछे होगा। निर्मल नील गगन खिले तारकों से भर गया है। गोचारण से सायंकाल लौटे राम-श्याम को मैया ने स्नान कराया वस्त्र बदलवाये, भोजन कराया। खा-पीकर अब ये दोनों लेट गये हैं शय्या पर। मैया पास आ बैठी है। कभी कन्हाई और कभी दाऊ मैया से किसी बड़े तारे का नाम पूछ बैठते हैं। छोटे तारों में इन्हें अभिरुचि नहीं और हो भी तो इतने ढेर #Books

read more
|| श्री हरि: ||
80 - तारक दर्शन

'मैया। यह कौनसा तारा है?' इस गर्मी की ऋतु में श्यामसुंदर बड़े भाई के साथ एक ही शय्या पर खुले आकाश के नीचे सो रहा है। चंद्रमा का उदय तो अभी दो घडी पीछे होगा। निर्मल नील गगन खिले तारकों से भर गया है। गोचारण से सायंकाल लौटे राम-श्याम को मैया ने स्नान कराया वस्त्र बदलवाये, भोजन कराया। खा-पीकर अब ये दोनों लेट गये हैं शय्या पर। 
मैया पास आ बैठी है। कभी कन्हाई और कभी दाऊ मैया से किसी बड़े तारे का नाम पूछ बैठते हैं। छोटे तारों में इन्हें अभिरुचि नहीं और हो भी तो इतने ढेर

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 74 - सङ्कल्प 'दादा, ये राक्षस बहुत बुरे होते हैं।' श्यामसुंदर ने अपने विशाल दृग बड़ी विचित्र भंगी से अग्रज की ओर उठाये। 'हम सब असुरों को मार देंगे।' दाऊ के भ्रूमण्डल भी कठोर हुए और वह अपने छोटे भाई के पास बैठ गया। कन्हाई इतना गंभीर बने, उसका यह नित्य प्रसन्न चंचल अनुज इस प्रकार सचिन्त दिखायी दे-दाऊ इसे किसी प्रकार सह नहीं सकता। कल जब गोचारण से गोष्ठ में लोटे, बाबा की पेरों पर एक बिचारी बुढिया रो रही थी। झुकी कमर, कांपते अङ्ग, पके केश, झुर्री पड़ा शरीर-हाथ में लठिया टेककर वह बड #Books

read more
|| श्री हरि: ||
74 - सङ्कल्प

'दादा, ये राक्षस बहुत बुरे होते हैं।' श्यामसुंदर ने अपने विशाल दृग बड़ी विचित्र भंगी से अग्रज की ओर उठाये।

'हम सब असुरों को मार देंगे।' दाऊ के भ्रूमण्डल भी कठोर हुए और वह अपने छोटे भाई के पास बैठ गया। कन्हाई इतना गंभीर बने, उसका यह नित्य प्रसन्न चंचल अनुज इस प्रकार सचिन्त दिखायी दे-दाऊ इसे किसी प्रकार सह नहीं सकता।

कल जब गोचारण से गोष्ठ में लोटे, बाबा की पेरों पर एक बिचारी बुढिया रो रही थी। झुकी कमर, कांपते अङ्ग, पके केश, झुर्री पड़ा शरीर-हाथ में लठिया टेककर वह बड

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 73 - श्याम पहले जगा 'श्यामसुंदर। उठ लाल। देख तो कितना सवेरा हो गया। देख तेरा मयूर आंगन में कैसा नाच रहा है।' मैया बहुत धीरे-धीरे हाथ फेर रही है मोहन के शरीर पर। वह बार-बार रुक जाती है - अभी जगाये या न जगाये? किंतु देर होने पर यह ठिकाने से कलेऊ भी नहीं करता। एक ही शय्या पर नीलाम्बर ओढे दाऊ और पीतपट ओढे श्याम सो रहे हैं। मैया चाहती है कि अब दोनों पृथक सोना सीखें, पर कन्हाई को बड़े भाई के बिना नींद ही नहीं आती। 'देख तो कितनी देर से बेचारे ये नन्हें पक्षी तुझे पुकार रहे हैं। कितने #Books

read more
|| श्री हरि: ||
73 - श्याम पहले जगा

'श्यामसुंदर। उठ लाल। देख तो कितना सवेरा हो गया। देख तेरा मयूर आंगन में कैसा नाच रहा है।' मैया बहुत धीरे-धीरे हाथ फेर रही है मोहन के शरीर पर। वह बार-बार रुक जाती है - अभी जगाये या न जगाये? किंतु देर होने पर यह ठिकाने से कलेऊ भी नहीं करता।

एक ही शय्या पर नीलाम्बर ओढे दाऊ और पीतपट ओढे श्याम सो रहे हैं। मैया चाहती है कि अब दोनों पृथक सोना सीखें, पर कन्हाई को बड़े भाई के बिना नींद ही नहीं आती।

'देख तो कितनी देर से बेचारे ये नन्हें पक्षी तुझे पुकार रहे हैं। कितने

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 67 - मनुहार 'दादा, तू आज उदास क्यों है?' श्यामसुंदर आया और बड़े भाई का हाथ अपने हाथ में लेकर पास बैठ गया है। 'तू खेलता तो है नहीं।' 'कनूं तू खेल। मेरा जी खेलने को नहीं होता।' आज दाऊ गुमसुम बैठा है। पता नहीं किसकी व्यथा ने इसे क्षुब्ध किया है आज। 'मैं नाचूं? देखेगा तू?' मोहन देखता है कि आज हठ करने से कोई लाभ नहीं। कहने से दाऊ खेलने भी लगे तो ऐसे बेमन के खेलने में भला, क्या आनंद आना है। #Books

read more
|| श्री हरि: ||
67 - मनुहार

'दादा, तू आज उदास क्यों है?' श्यामसुंदर आया और बड़े भाई का हाथ अपने हाथ में लेकर पास बैठ गया है। 'तू खेलता तो है नहीं।'

'कनूं तू खेल। मेरा जी खेलने को नहीं होता।' आज दाऊ गुमसुम बैठा है। पता नहीं किसकी व्यथा ने इसे क्षुब्ध किया है आज।

'मैं नाचूं? देखेगा तू?' मोहन देखता है कि आज हठ करने से कोई लाभ नहीं। कहने से दाऊ खेलने भी लगे तो ऐसे बेमन के खेलने में भला, क्या आनंद आना है।
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile