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Prince Raज
क्यों याद .... केवल गॅाधी के दोषी है ? _____________________________ विभाजन के फलस्वरुप 15 लाख, निर्दोषो की हत्या पर क्यों खामोशी है ? क्यो याद केवल गाँधी की हत्या और क्यो याद .... केवल गाँधी के दोषी है ? मरने वाले के आत्मा को क्यो देश से आश नही है क्योकि गरीब, निरीह, बेबस और लाचार इस देश मे खास नही है भारत के संविधान और भारत के लोकतंत्र से मजदूर-किसान भोला-भाला हैरान-पेशान है पढा-लिखा, स्वार्थी, कपटी, भ्रष्ट और बेइमान है बिना लोकतंत्र बिना वोट वकील-न्यायधीश और कोर्ट आदेश अथवा पुलिस से कुट के जनता के अधिकार को लुट के कहने लगे खुद को सबसे सुपर मानने लगे खुद को जनता से उपर हमारे देश मे इनके पाँव पखारती है विकास गरीब, निरीह, बेबस और लाचार तो आम है, लेकिन संवैधानिक लोग है खास यदि आप संवैधानिक तंत्र का हिस्सा है तो वेतन, पेशन, जनता के पैसे से सुख-सुविधा है लेकिन संवैधानिक तंत्र का हिस्सा नही तो जनता के वेतन, पेशन सबमे दुविधा है जनता संविधान के दायरे मे ...... घुट रहा है देशप्रेम, देशभक्ति सबका हौसला टुट रहा है गली-कूचे ...... गाँव-शहर विधायिका खादी पहन कर, घोषण पत्र मे वादो से ... शोर मचाती है लेकिन हालात मे कहाँ बदलाव आती है 😄😄😄😄 @:- प्रिंस राज** #NojotoQuote
Manoj Shukla
नगर-नगर व गाँव-गाँव में, दहक रही यह आग है, डगर-डगर व पाँव-पाँव पर, भभक रही यह आग है ! कि आसमान चीरती हुई, विनाश की हवा चली, हुआ अधीर, लाल-लाल बन जहान, सृष्टि सब जली, कराहती व चीखती सनी हुई यह रक्त से गली-गली, मनुज विवेक हीन, हिंस्र हो गया कठोर, जंगली !
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