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Amit Lodhi

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पहुंच जाती है तू वहीं,जहाँ मैं तुझे
जाने से रोकता हूँ...
पहुंच जाती है तू वहीं,जहाँ मैं तुझे 
जाने से रोकता हूँ...
पता नहीं क्यों, मेरी बात को टालना 
तेरी आदत में, शुमार हो गया है ... ।।
-Amit Lodhi

Sanjeev Singh Sagar

वो आवाज तो मैं उसका साज था Shilpa Kumari Jha Pallavi Kumari Reyaz Ahmad Sachin Joshi Kamal Joshi #कहानी

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जिंदगी में वो संगीत की तरह ही तो थी। बेल बजी और रिया ने झट से गेट खोली और लड़खड़ाते हुए देव को सम्हाली-फिर आज पी लिए?देव रिया को धक्का देकर-पिऊँगा और रोज पिऊँगा।तुम जो करती हो मैं रोकता हूँ,फिर मैं क्यों तेरी बात मानूं?रिया करुणा भरे स्वर में-अपना घर, परिवार और सपने छोड़कर तेरे साथ ज़िन्दगी बिताने के लिए भागी थी और आज तुम ये बोल रहे हो।देव नशे में हां भागी थी तो उस वक़्त तुम सिर्फ़ मेरी थी और अब तेरे अपने बहुत हैं।ये सुनते ही रिया की आँखे आंसूओ से भींगने लगी-तेरे लिए मैंने जॉब की, ताकि तुम अपने सपने पूरे करोऔर तुम ही अब शक कर रहे हो।अरे दिल ही नहीं तुझे रूह में बसाया है देव।किसी की बातों में आकर तुम सबकुछ भूल चुके हो और अब लग रहा कि मेरा तेरे संग रहना ठीक नहीं है।देव  घिसटते हुए पास जाकर-तो चली जा अपने नए यार के पास, रोकता कौन है?रिया उठी और अपने कमरे में गई और अपने कुछ सामान लेकर-जा रही हूँ देव,अपना ख़्याल रखना।देव नफ़रत भरे हुए भाव से-हां चली जाओ, रख लूंगा अपना ख्याल।आज रिया को समझ नहीं आ रहा है कि कहाँ जाए?माँ-बाप के पास जा नहीं सकती है, क्योंकि देव के साथ घर से भागी थी।वह मरना भी नहीं चाहती है और देव के सुधर जाने का इंतजार करना चाहती है।यह सोचकर वह दिल्ली से कोलकाता,दूर के मौसी के पास चली गईऔर वहीं किसी दफ्तर में जॉब करने लगी।अब देव दिन रात शराब के नशे में रहने लगा।न अब काम मिल रहा है और न ही पैसा बचा है।देव की तबियत ठीक नहीं है।उसने दोस्त को फ़ोन किया।वह आया तो सही पर पैसा नहीं होने की बात कहा।देव को याद आया कि रिया ने उसे एक बार गिफ़्ट के रूप में सोने की चैन दी थी।दोस्त को अलमीरा से निकाल लाने की बात कही।वह ज्यों ही अलमीरा खोला तो सामने कुछ रुपये और एक पत्र रखा मिला-देव,मैं जा रही हूँ और तुम्हारे लिए कुछ पैसे छोड़कर जा रही हूँ, क्योंकि तेरी हालत ठीक नहीं है औऱ तुम बीमार पड़ोगे तो जल्दी डॉक्टर के पास जाना, क्योंकि तेरे अलावा इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है।जब तुम बदल जाओगे और मुझे ढूंढ़ते हुए आओगे तो फिर से तेरे साथ रहने आ जाऊंगी।हां मुझे पता है तुझे पैसे की जरूरत होगी इसीलिए अपने कमाई का आधा हर महीने तेरे खाते में भेजती रहूंगी।देव के दोस्त ख़ुद को रोक न सका और रोते हुए-देव तूने क्या कर दिया?वो आम लड़की नहीं है।तुम्हारे साथ नहीं रहते हुए भी तुम्हारी ख़बर है उसे।कैसे तूने जाने दे दिया। देव उदास होकर बोला-उसके ऑफिस से एक दिन फ़ोन आया और उसके और उसके बॉस के साथ नजदीकी होने की बात कहा।गुस्से में देव का कॉलर पकड़ कर-तेरा दिमाग ख़राब हो गया है।क्या पता कोई उसके साथ गलत करने को सोच रहा होगा और जब नहीं कर सका तो उसे बर्बाद करने को सोच लिया होगा।अगर उसे तुझे छोड़ना ही होता तो कभी भी छोड़कर चली जाती।देव रोने लगता है-यार ये तो मैंने सोचा ही नहीं।प्लीज यार चल ढूंढते उसे।अब कभी उसका साथ नहीं छोड़ूंगा।और दोनों रिया को ढूंढने निकल जाते हैं,क्योंकि रिया आवाज और देव साज था फिर अलग-अलग रहना ठीक नहीं था
                          साग़R वो आवाज तो मैं उसका साज था Shilpa Kumari Jha Pallavi Kumari Reyaz Ahmad Sachin Joshi Kamal Joshi

Pavan Rajput

मैं Rohit Prasad Sunita Shaw Shikha Thakur Munesh Kumari

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मन  ये मन बड़ा जिद्दी है 
कभी मानता ही नहीं।
में इसे पहचानना चाहती हूं 
मगर ये पहचानता ही नहीं ।
ख्वाबों,ख़यालो में ये मुझे रोकता है
अगर प्यार करूं तो  मुझे टोकता है 
चाह के भी अलग नहीं हो सकती इस मन से 
क्यूंकि हर गलत वक़्त पर  ये ही मुझे 
रोकता है। मैं  Rohit Prasad Sunita Shaw Shikha Thakur Munesh Kumari

Rahul Mishra

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चाहता हूँ, उस अच्छी सी लड़की को
अपनी दीद-ए-नज़र बना लूँ...
शरीक-ए-हयात, शरीक-ए-सफ़र बना लूँ..
प्यार दूं, खुशी दूं.. रुखसार-ए-तरब दे दूं..
हक दूं, आज़ादी दूं, इज़्ज़त इजाज़त ये सब दे दूं..
हाँ ! वही सब, 
जो उसे उसका  मज़हब नही देता..
कभी राम, कभी रहीम तो कभी रब नही देता..
वो बेदाद मज़हब जो
उसे सवाल  करने से रोकता है..
समाज जो उसे खिलाफत में आगे बढ़ने से रोकता है..
कभी बुर्क़े मे क़ैद, कभी सिंदूर-ओ-सूत्र
लटकते घूँघट मे मुस्तैद...
पाबंदियाँ, कभी  उसके लिबाज पे...
तो कभी  उसके लिहाज़ पे...
हरे रंग से और रंग लाल से...
बचाना चाहता हूँ उसे मज़हबी मकड़ी जाल से...
मगर डरता हूँ.....
कहीं वो  मुस्लिम ना हो..
वरना  लोग कहेंगे मैं "हिंदू कट्टरवादी" हूँ...
और 
कहीं वो  हिंदू निकली,
तो लोग समझ लेंगे कि मैं "लव-जेहादी" हूँ..

Rahul Mishra

चाहता हूँ, उस अच्छी सी लड़की को अपनी दीद-ए-नज़र बना लूँ... शरीक-ए-हयात शरीक-ए-सफ़र बना लूँ.. प्यार दूं, खुशी दूं

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चाहता हूँ,
उस अच्छी सी लड़की को
अपनी
दीद-ए-नज़र बना लूँ...
शरीक-ए-हयात
शरीक-ए-सफ़र बना लूँ..

प्यार दूं, खुशी दूं


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