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kumaarkikalamse

बातचीत हुई एक रोज़ रवि की सोम से
क्यों शनि भाता है, क्यों  तू रुलाता है?

सोम बोला, शुक्र  ने डाली है ये  आदत
हँसने लगा गुरु और करने लगा शरारत!

बातों  में  बातें होने लगी मंगल बुध की
ध्वनि थी काम की, या  किसी युद्ध की!

कोई किसी का नहीं दिख रहा था वहाँ
इस तरह एक हफ्ता बिक रहा था वहाँ!  #सप्ताह #kumaarsthought #kumaar2020 #kumaar2020_63_366 #सोमवार #रविवार #शनिवार

Pankaj Singh Chawla

दिल ने कहा आज रात दिल थाम के बैठना,
आज वो अपना दिदार कराने आएंगे,
सप्ताह की आखरी शाम रूहानी बनाने आएंगे,
कुछ तुम्हारी सुनकर कुछ अपनी सुनाकर जाएंगे,
जाते-जाते तुमको प्यारी सी जफ्फी देकर जायेंगे।। #Weekend #वीकेंड 
#dil #night #today #hug #सप्ताह #week #chat #listen #talk #hindi #हिंदी #hinglish

#Yqbaba #yqpaaji #yq #yourquotes #yqdidi #yqpowrimo #writing #writer

Vibha Katare

सोमवार की सुबह सुबह
अलार्म घड़ी मुझसे कहे,
उठो लाल अब आंखें खोलो,
आलस छोड़ो और मुँह धोलो,
बच्चों का तुम टिफ़िन बना दो,
स्कूल यूनिफार्म में उन्हें सजा दो,
फुर्ती से तुम दौड़ लगाओ,
देखो...बस छूटी जाए उसे मिलाओ,

शनिवार रविवार आते जैसे मेहमान,
कामों की ये बाढ़ सी लाते
होता सोमवार परेशान...
बोलो 
ॐ नमः शिवाय 


 #yqbaba 
#yqdidi 
#yqdidichallenge 
#सप्ताह 
#yqtales
#hindiwriters

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 11 – अभय गंगोत्तरी से गंगाजी नहीं निकली हैं, यह बात वे सब लोग जानते हैं जो वहाँ गये हैं अथवा जानेवालों से मिले हैं, उनके विवरण पढे हैं। गंगाजी गोमुख से प्रकट हुई हैं। वैसे वे निकली तो हैं नारायण के चरणों से - भौतिकरूप में भी उनका हिमस्त्रोत (ग्लेशियर) नारायण पर्वत के चरणों से चलकर शिवलिंगी शिखर के ऊपर होता गोमुख तक आया है। गंगोत्तरी में तो गंगाजी की मूर्ति है। गोमुख गंगोत्तरी से गत वर्ष 18 मील दूर था। कुछ वर्ष पूर्व यह दूरी 12 मील थी। हिम

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
11 – अभय

गंगोत्तरी से गंगाजी नहीं निकली हैं, यह बात वे सब लोग जानते हैं जो वहाँ गये हैं अथवा जानेवालों से मिले हैं, उनके विवरण पढे हैं। गंगाजी गोमुख से प्रकट हुई हैं। वैसे वे निकली तो हैं नारायण के चरणों से - भौतिकरूप में भी उनका हिमस्त्रोत (ग्लेशियर) नारायण पर्वत के चरणों से चलकर शिवलिंगी शिखर के ऊपर होता गोमुख तक आया है। गंगोत्तरी में तो गंगाजी की मूर्ति है।

गोमुख गंगोत्तरी से गत वर्ष 18 मील दूर था। कुछ वर्ष पूर्व यह दूरी 12 मील थी। हिम

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

Renu

|| लम्हा-लम्हा ज़िन्दगी ||

ज़िन्दगी से साल, महीने, सप्ताह नदारद हैं...
मन घड़ी-घड़ी, पल-पल में जीता है...

लेकिन उन्हें जोड़ के भी 
कोई तारीख़ पूरी नहीं होती

याद नहीं कब एक लम्हें के लिए भी
दिल को तन्हाइयों का साथ हुआ हो
ज़िन्दगी मुस्ससल दौड़ रही है
रफ़्तार के साथ
कभी रिक्शा, कभी ऑटो 
और कभी दो कदमों के सहारे ही
खोजती है अपनी मौजूदगी

कॉफ़ी में बने दिल की तरह 
दिल का मौसम भी 
एक गर्माहट तलाश रहा है 
ठंडी पड़ी हथेलियों में
गर्म कॉफ़ी का मग लिए
वह इंतज़ार में है, एक सुकून के
और हां, सुकून भी चाहिए उसको
सिर्फ चंद लम्हों का

इतना कि ज़िन्दगी केवल झाग ना लगे
बल्कि जिये हुए वो पूरे साल महीने सप्ताह लगे
जिसका स्वाद, जिसका अरोमा, जिसकी तासीर
दिल, ज़ुबाँ और एहसासों में इस तरह घुला हो
कि कोई मौसम अजनबी ना लगे
कोई कहानी अधूरी ना लगे
कोई शहर अनजाना ना लगे
#RenuMishra #Poetry #LamhaLamhaZindagi #Hindi #RenuMishra #Nojoto #Coffee #Life

Amit Singh Chauhan (सागर)

कदर करें नाकदरी की बस इसी बात से डरता हूँ, मेरी कलम भी जान गई मैं किस लड़की पर मरता हूँ, जब उसपे नजरें पड़ती थी साँसें थम सी जाती थी, माँ की मदद करने के बहाने वो मेरे घर आ जाती थी, मैं भी कम शैतान नहीं मैं खूब इशारे करता था, वो हल्का-हल्का मुस्काती मैं आँखें मारा करता था, मैं अक्सर उसकी याद में ये सब सोचा करता हूँ, #Poetry

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 कदर करें नाकदरी की बस इसी बात से डरता हूँ,
मेरी कलम भी जान गई मैं किस लड़की पर मरता हूँ,

जब उसपे नजरें पड़ती थी साँसें थम सी जाती थी,
माँ की मदद करने के बहाने वो मेरे घर आ जाती थी,
मैं भी कम शैतान नहीं मैं खूब इशारे करता था,
वो हल्का-हल्का मुस्काती मैं आँखें मारा करता था,
मैं अक्सर उसकी याद में ये सब सोचा करता हूँ,

KD

एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको एक आंख नहीं भाता। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आजाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता। मिस के डाँटने पर वह चौंक कर उन् #Books

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 एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं।
उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं।
कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको एक आंख नहीं भाता। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आजाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता।
मिस के डाँटने पर वह चौंक कर उन्


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