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Balram Gupta
लोग लोग एक शब्द नहीं है,यह पहचान है समूह की , समूह जिसमे गुम हो जाती है पहचान अकेले की , बन जाते हैं सब साथी एक साथ चलने वाले, एक दूसरे के सुख दुख में शामिल तो क्या मैं खो दूँ अपने आप को लोगों के बीच और कर दूं अपने फैसलों को समूह के हवाले या बनाऊं एक नया रास्ता जो मेरी पहचान को गुम न होने दे मैं लोगों जैसा होकर भी भीड़ का हिस्सा नही हूँ।।। #लोग
Jay Shankar Singh Bhadauriya
भदौरिया दर्पण ________ समूह के नियम 3: किसी भी तरह के फूहड़, अश्लील, अफवाह ,एवम भगवान और शैतान से संबंधित संदेश नहीं डालें। 4: आपत्तिजनक स्थिति में किसी भी सदस्य को बिना सूचना के समूह से निष्कासित किया जा सकता है। आदेशानुसार समूह प्रशासक
Jay Shankar Singh Bhadauriya
भदौरिया दर्पण ------------- समूह के नियम 1: सभी भदौरिया आमंत्रित हैं। 2: भदौरिया इतिहास, इनकी वर्तमान सामाजिक,आर्थिक स्थिति; महत्त्वपूर्ण उपलब्धि एवम ज्ञानवर्धक,रोचक वो साहित्यिक संदेश ही डालें। 3:किसी भी तरह के फूहड़,अफबाह, अश्लील, भगवान और शैतान से संबंधित संदेश नहीं डालें। 4: आपत्तिजनक स्थिति में किसी भी सदस्य को बिना किसी सूचना के समूह से निष्कासित किया जा सकता है। आदेशानुसार समूह प्रशासक।
Anil Siwach
Anil Siwach
Anil Siwach
Manaswin Manu
Anil Siwach
Vinay Kumar
#nojoto #storytellingday #stars #birds #airpollution #humangreed #doomsday (Caption..) मैं महज़ 10 साल का था। स्कूल की छुट्टियाँ चल रही थी, और वो दिन आ गया था जिसके लिए मैं पुरे साल इंतज़ार करता था क्योंकि मैं दादा के घर जाने वाला था। उनके साथ जब भी मैं होता तो कोई भी मुझे अपनी मन मानी करने से नही रोकता, पुरे दिन मैं उनके साथ घूम सकता था, अपना मन चाह पहन सकता मन चाह खा सकता था । लेकिन उस सब से भी ज्यादा मुझे दो चीज़े प्यारी थी सुबह सुबह पार्क में घूमना और रात को उनके सिरहाने सर रख तारो की बातें करना। दादा के घर सुवह सुबह जल्दी उठना होता। तो घड़ी की सुईयां 5:30 पर पहुची दादा ने मुझे शर
Vikas Rawal
my last day in benaras -A letter to the holy city varanasi☝ प्रिय बनारस, 6 जून, 2017 ये केवल एक तारीख नहीं है। एक तरफ यह वो दिन है जब मैं यहाँ पर आखिरी बार हूँ, वहीं दूसरी तरफ यह एक नई शुरुआत लिए हुए हैं। एक तरफ तीन बरस का सुनहरा अतीत है और एक तरफ बेहतर भविष्य की योजनाएं हैं। जब मैं यहां आया था तो बस अपनी पढ़ाई का एक हिस्सा पूरा करने आया था...और...और ये आज पूरा हो चुका हैं, इसके लिए खुश हूँ। तो फिर ऐसा क्या है जो ये सब लिखनें को मजबूर कर दे रहा??? इसके पीछे कोई एक वजह नहीं बल्कि वजहों का पूरा समूह है और वो समूह है...तुम....बनारस। बनारस तुम मेरे लिए बस एक