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Parul Sharma

।। लघु कथा ।। किसी ने मूर्तिकार से कहा।कि से क्या बना रहे हो मूर्तिकार बोला इधर कन्हैया, ये गणेश,शिव और ये हनुमानजी और ये दुर्गा मईया और लक्ष्मी मैया।फिर वह व्यक्ति अट्टाहस भरे शब्दों में बोला-- जिस परमात्मा ने समस्त ब्राह्मण का निर्माण किया। तुम उसे बना रहे हो? तुम उसे कैसे बना सकते हो? तुम्हारी क्या औकात।इस पर वह मूर्तिकार बोला---सज्जन मैं मूर्ति बनाकर न अपनी औकात दिखा रहा हूँ न ईश्वर की औकात नाप रहा हूँ।मैं तो बस मेरे नयनों में व ह्रदय में बसे ईश्वर के रूप को एक मूर्त रूप दे ने की कोशिश कर रह

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A short story ।। लघु कथा ।।
किसी ने मूर्तिकार से कहा।कि से क्या बना रहे हो मूर्तिकार बोला इधर कन्हैया, ये गणेश,शिव और ये हनुमानजी और ये दुर्गा मईया और लक्ष्मी मैया।फिर वह व्यक्ति अट्टाहस भरे शब्दों में बोला-- जिस परमात्मा ने समस्त ब्राह्मण का निर्माण किया। तुम उसे बना रहे हो? तुम उसे कैसे बना सकते हो? तुम्हारी क्या औकात।इस पर वह मूर्तिकार बोला---सज्जन मैं मूर्ति बनाकर न अपनी औकात दिखा रहा हूँ न ईश्वर की औकात नाप रहा हूँ।मैं तो बस मेरे नयनों में व ह्रदय में बसे ईश्वर के रूप को एक मूर्त रूप दे ने की कोशिश  कर रहा हूँ।कि वह कितना भव्य,सुंदर व मनमोहक हैं।पता नहीं फिर भी क्यूँ उसके उस रूप को  मैं हूबहू नहीं उतार पा रहा। या तो मेरी आस्था में कमी है।या फिर मेरी कला में।जिससे हमेशा ही उसके रूप सौन्दर्यता व भव्यता में  कोई न कोई  कमी रह जाती है।इसलिए मैं निरंतर प्रयासरत रह कर कई और मूर्तियों का निर्माण करता रहता हूँ।कि शायद मेरी मूर्तियों की छवी किसी और के हृदय में बसे ईश्वर के रूप से मेल खा जाये।
पारुल शर्मा #NojotoQuote ।। लघु कथा ।।
किसी ने मूर्तिकार से कहा।कि से क्या बना रहे हो मूर्तिकार बोला इधर कन्हैया, ये गणेश,शिव और ये हनुमानजी और ये दुर्गा मईया और लक्ष्मी मैया।फिर वह व्यक्ति अट्टाहस भरे शब्दों में बोला-- जिस परमात्मा ने समस्त ब्राह्मण का निर्माण किया। तुम उसे बना रहे हो? तुम उसे कैसे बना सकते हो? तुम्हारी क्या औकात।इस पर वह मूर्तिकार बोला---सज्जन मैं मूर्ति बनाकर न अपनी औकात दिखा रहा हूँ न ईश्वर की औकात नाप रहा हूँ।मैं तो बस मेरे नयनों में व ह्रदय में बसे ईश्वर के रूप को एक मूर्त रूप दे ने की कोशिश कर रह

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