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Mukta Sharma Tripathi
#Pehlealfaaz ।। पट्टी ।। सूत के रेशों को उठना होगा। ताने-बाने संग बुनना होगा। खुद ही पट्टी सी बन कर के नफ़रत के मुँह को सीना होगा। ।। मुक्ता शर्मा त्रिपाठी ।। #muktamusafirparinde #मुक्तामुसाफिरपरिंदे #धर्म #पट्टी #नफ़रत
RV Chittrangad Mishra
"एक प्रेमी की दर्द भरी बेवफाई की कहानी!!" एक अंधी लड़की हमेशा इस सोच में डूबी रहती थी की कोई मुझे प्यार करेगा की नहींमुझे किसी का प्यार मिलेगा की नहीं एक बार राह चलते चलते वह कहीं गिर पड़ी उसे एक लड़के ने उठाया सहारा दिया और उसे लेकर उसकी घर की तरफ चल पड़ा.इस दरम्यान उनके मध्य बहुत सी बातें होती है घर छोड़ते वक्त लड़का लड़की से कहता है अगरमैं तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा बनना चाहूँ तोक्या तुम स्वीकार करोगी मैं तुम्हे बहुत प्यार दूंगाऔर बहुत प्यार से रखूँगा..(22) साल से लड़की जिसदो लफ्ज़ को वो सुनना चाहती थी वो लफ्ज़ इस लड़के से सुन बरबस उसकी आँखों में आंसू आ गएऔर कहा ये जानते हुए भी की मेरी आँखें नहीं हैंफिर भीलड़के ने कहा : हाँ मैं तुम्हेतुम्हारे अस्तित्व चाहने लगा हूँ इस पर लड़की रोने लगी और बोली : काश ! अगर मै तुम्हे देख पाती तो तुम्ही सेशादी करती कुछ साल बीत गए और उसलड़के ने उस लड़की की आँखों का ओपरेशन कराया ओपरेशन कामयाब हुआ। डॉक्टर जब उसकी आँखों से पट्टी उतारने लगते हैतो लड़की कहती है की सबसे पहले मुझे उस इंसान को चेहरा दिखाइये जिसकी वजह से मै अब दुनिया को देखने जा रही हु डॉक्टर उस लड़के को उस लड़की के सामनेलाते है और लड़की की आँखों की पट्टी उतारते है लड़की देखती है की वो लड़का भी अँधा है तब लड़का कहता है क्या तुम मुझसे शादी करोगी लड़की जवाब देती है मैंने मेरी ज़िन्दगी अँधेरे में गुजारी है मुझे पता है अँधापन कैसा होता है मै फिर से मेरी ज़िन्दगी को अंधेपन में नहीं डाल सकती मै तुमसे शादी नहीं कर सकती तब लड़का उस लड़की को एक पत्र देकर चला जाता है। जब लड़की उस पत्र को देखती है तो उसमे लिखा होता है ________ऐ बेवफा ________ तुम अपना ख्याल रखने के साथ साथ मेरी इन आँखों का भी ख्याल रखना" तुम्हारा प्रेमी दर्द भरी दास्तान
shameemchaudhary
किसी🏽 के #जख़्म पर #चाहत से #पट्टी कोन बांधेगा अगर🏽 बहनें👭 नहीं होंगी तो राखी कोन बांधेगा happy Independence Day
RAKESH SINGH (Drishti Coaching Nandganj)
जन्मदिवस पर विशेष दृष्टि कोचिंग क्लासेज नन्दगंज गाजीपुर पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा... भारतीय झंडे को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया ने रेलवे में भी नौकरी की थी. आज उनका जन्मदिन है. पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा... Pingali Venkayya सारे देशों के झंडे संबंधित देश के आन-बान-शान के प्रतीक होते हैं. ऐसा ही हमारे तिरंगे के साथ भी है, मगर ऐसा कम ही लोगों को पता है कि इसे पिंगली वेंकैया नामक शख्स ने डिजाइन किया था. उनका जन्म साल 1876 में 2 अगस्त के रोज हुआ था. जानिए उनके बारे में ऐसी बातें, जो उन्हें आम से खास बनात
रजनीश "स्वच्छंद"
गांधारी, आज भी।। कथा सुनो, मैं तुम्हे सुनाऊं, एक रानी गांधारी की। एक अबला के द्वंद्व की, दुख दर्द और लाचारी की। पतिमोह में पट्टी बांधी, पुत्रमोह ने जकड़ा था। जो झांको उसके मन ने, अंतर्द्वंद्वओं का झगड़ा था। थी अवतार मति की वो, एक अंधे से बांधी गयी। ये कपटी लक्ष्मण रेखा, भीष्म के द्वारा लांघी गयी। पतिमोह या विरोध था, दुनिया से अनजान हुई। अपने पूत को देखा नहीं, जिसकी सौ सौ संतान हुई। पर्दा पड़ा था आंखों पर, धृतराष्ट्र जिसे न देख सका। गांधारी के कहने पर भी, उतार जिसे न फेंक सका। उस अबला की है कहानी, जिसने भगवन को शाप दिया। आदि अनन्त स्वरूप जिसका, उसका कूल तक माप दिया। आंख रही पर देख न पायी, रंग वो उजियारी की। कथा सुनो, मैं तुम्हे सुनाऊं, एक रानी गांधारी की। ये युग तो बदला बहुत पर, वही कहानी जारी है। धृतराष्ट्र अभी भी अंधा है, पट्टी डाले गांधारी है। भीष्म अमर है यहां मगर, वो सत्ता का रखवाला है। अपना वचन निभाने को, घी डाले जहां भी ज्वाला है। सत्ता भोगी बन बैठे कौरव, भारत माँ पट्टी बांध खड़ी। मज़हब शकुनि बन डटा रहा, उसकी संताने निर्बाध लड़ी। शाप भी वो अब दे किसको, कहाँ कृष्ण वो पाती है। हर वाणी में दुर्योधन बैठा, कर्कश तीक्ष्ण वो पाती है। पुत्रों के खोने का दंश, कहो वो कैसे सह पाती। मुख पे भी ताले डाल रखी, सच भी वो कैसे कह पाती। कल भी वही, आज वही है, व्यथा हर नारी की। कथा सुनो, मैं तुम्हे सुनाऊं, एक रानी गांधारी की। ©रजनीश "स्वछंद" गांधारी, आज भी।। कथा सुनो, मैं तुम्हे सुनाऊं, एक रानी गांधारी की। एक अबला के द्वंद्व की, दुख दर्द और लाचारी की। पतिमोह में पट्टी बांधी, पुत्रमोह ने जकड़ा था। जो झांको उसके मन ने,
Bijender Singh
शीर्षक-द्रोपदी द्रोपदी शब्द- शब्द निः शब्द हुए जब चीरहरण के शब्द हुए शर्म- शर्म से शर्मशार हुईं जब सब अपने क्षुब्द हुए आंख पे पट्टी, मुंह पे पट्टी हृदय तल भी जल गया उस नारी का,उन वीरों का
Pranshul Gupta
Rahul Mishra
मुल्क में कबूतर बहुत हैं... मज़हब की, गुफ्तगू करते.. नफ़रत की, आरजू करते.. पंखों मे जहर फैलाए, गुटर-गू ,गुटर-गू करते... कुछ कबूतरों ने, मीनारों पे चढ़ कर, बढ़ा ली हैं दाढियाँ.. कुछ कबूतरों ने, मंदिरों के द्वार पे, पहन रखी हैं भगवा साड़ियाँ.. कोई हाथ लगा के तो दिखाए, साध्वी प्रगया को, ये चोंच मारेंगे... कोई ज़रा सी उंगली उठा दे ज़ाकिर नायक पे, ये नोंच मारेंगे.. बातें अमन की करते हैं कबूतर, मगर मज़हब पे आ जाए तो, नाखूनों से खरोंच मारेंगे.. क्या देखेंगे? और क्या दिखाएँगे? अंधे कबूतर हैं ये आँख वाले, सियासी पट्टी बाँध आँखों पे, चोंच मारेंगे, और मर जाएँगे.. मंच से खड़े होकर भड़काएँगे.. धरना देंगे, अनशन करेंगे, आतंकियों से हमदर्दी जताएंगे.. यही पास की ही दुकान में, मिलती हैं सस्ती मोमबत्तियाँ.. खरीद लाएँगे, जलाएँगे, मगर आँख से , पट्टी नही हटाएँगे.. ये कबूतर , आँख से पट्टी नही हटाएँगे.. #NojotoTMP
Rahul Mishra
मुल्क में कबूतर बहुत हैं... मज़हब की, गुफ्तगू करते.. नफ़रत की, आरजू करते.. पंखों मे जहर फैलाए, गुटर-गू ,गुटर-गू करते... कुछ कबूतरों ने, मीनारों पे चढ़ कर, बढ़ा ली हैं दाढियाँ.. कुछ कबूतरों ने, मंदिरों के द्वार पे, पहन रखी हैं भगवा साड़ियाँ.. कोई हाथ लगा के तो दिखाए, साध्वी प्रगया को, ये चोंच मारेंगे... कोई ज़रा सी उंगली उठा दे ज़ाकिर नायक पे, ये नोंच मारेंगे.. बातें अमन की करते हैं कबूतर, मगर मज़हब पे आ जाए तो, नाखूनों से खरोंच मारेंगे.. क्या देखेंगे? और क्या दिखाएँगे? अंधे कबूतर हैं ये आँख वाले, सियासी पट्टी बाँध आँखों पे, चोंच मारेंगे, और मर जाएँगे.. मंच से खड़े होकर भड़काएँगे.. धरना देंगे, अनशन करेंगे, आतंकियों से हमदर्दी जताएंगे.. यही पास की ही दुकान में, मिलती हैं सस्ती मोमबत्तियाँ.. खरीद लाएँगे, जलाएँगे, मगर आँख से , पट्टी नही हटाएँगे.. ये कबूतर , आँख से पट्टी नही हटाएँगे..
Tejaswita Khidake