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Anand Mohan Jha

#kalakakshNoida जब रुक रुक के तेरी याद आये। जब तन्हा मेरा दिल घबराए।। जब हिचकी वंहा पे तुझको आये। ओर यहां पे मेरा दिल घबराए।। तरस्ती मेरी निगाहे को जब। तुझसे मिलने को दिल चाहे।। तब भूल के सारी बातो को।

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#kalakakshNoida 
जब रुक रुक के तेरी याद आये। 
जब तन्हा मेरा दिल घबराए।।
जब हिचकी वंहा पे तुझको आये।
ओर यहां पे मेरा दिल घबराए।।
तरस्ती मेरी निगाहे को जब।
तुझसे मिलने को दिल चाहे।।
तब भूल के सारी बातो को।

Kiran Bala

थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली

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झाँसी की रानी  थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली
 थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली 
हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली
तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली
लैप्स की आड़ में, झाँसी थी ले ली
 दत्तक पुत्र को ले संग-साथ छबीली
नाना ,ताँत्या, के संग  बना के टोली
बन रण-चण्डी, रक्त की खेली होली
घबराए फिरंगी,फौज वापस थी ले ली
थे धूर्त फिरंगी चाल फिर वापिस खेली
घेरा रानी को तब जब वो थी अकेली
कर वार पर वार बच निकली छबीली
पर दुष्टों ने घोड़े की जान थी ले ली
ले नया घोड़ा वो बढ़ चली अकेली
था नाला सामने जिद घोड़े ने कर ली
घिर चुकी थी अब वो मनु फुर्तीली 
हारी नहीं, अन्त तक लड़ी अलबेली 
घबराए ह्यूरोज ने कटार पीछे से फेंकी
मरते हुए भी प्राण उसके वो ले गई 
है धन्य धरा आज भी तुमसे छबीली
अमिट रहेगी,सदैव यश-गाथा तेरी थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली
 थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली 
हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली
तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली

Anand Mohan Jha

Love never die a natural death जब रुक रुक के तेरी याद आये। जब तन्हा मेरा दिल घबराए।। जब हिचकी वंहा पे तुझको आये। ओर यहां पे मेरा दिल घबराए।। तरस्ती मेरी निगाहे को जब। तुझसे मिलने को दिल चाहे।। तब भूल के सारी बातो को।

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जब रुक रुक के तेरी याद आये। 
जब तन्हा मेरा दिल घबराए।।
जब हिचकी वंहा पे तुझको आये।
ओर यहां पे मेरा दिल घबराए।।
तरस्ती मेरी निगाहे को जब।
तुझसे मिलने को दिल चाहे।।
तब भूल के सारी बातो को।
मेरी ये ख़्वाब सजाओगी।।

तुम छोड़ के तब वो गुस्सा अपना ,
क्या मुझसे मिलने आओगी।। Love never die a natural death
जब रुक रुक के तेरी याद आये। 
जब तन्हा मेरा दिल घबराए।।
जब हिचकी वंहा पे तुझको आये।
ओर यहां पे मेरा दिल घबराए।।
तरस्ती मेरी निगाहे को जब।
तुझसे मिलने को दिल चाहे।।
तब भूल के सारी बातो को।

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