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Dharmender Bisht
इल्ज़ामात है तुझ पर बेवफाई के ये हमे भी पता था, पर तेरे इश्क़ की ओट में उन्हें ठहराते हम बेकार रहे । कुछ पलो के लिए दूर गई थी ना तू कहकर और तेरे आने का हम पल–पल करते इंतज़ार रहे। मर्ज–ए–रूहानी का हकीम कहा था ना हमने तुझे तो सुन तेरी यादों के साए तले हम हर पल बीमार रहे।। ✍️धर्मेंद्र बिष्ट #इल्ज़ामात है तुझ पर #बेवफाई के ये हमे भी पता था, पर तेरे #इश्क़ की #ओट में उन्हें #ठहराते हम #बेकार रहे । कुछ #पलो के लिए #दूर गई थी ना तू कहकर और तेरे आने का हम #पल–#पल करते #इंतज़ार रहे। #मर्ज–ए–#रूहानी का #हकीम कहा था ना हमने तुझे तो सुन तेरी #यादों के #साए तले हम हर पल #बीमार रहे।।
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read morekamalgupta4445
बहुत अजीब होती है ये यादें भी मोहब्बत की, जिन पलो मे हम रोए थे, उन्हें याद करके हमे हँसी आती है, ओर जिन पलो मे हँसे थे, उन्हे याद करके रोना आता है!! #यादें #रुला #जाती #है
Anysh Jullahe
जिन्दगी में कुछ पलो का खास होना चाहिये उन पलो मे सिर्फ माँ बाप का ही एहसास होना चाहिये #Aneesh#mother#Father#Love#
Writer Rohit
जब तुम लेटे होगे मृत्यु की शैया पर जिंदगी के आखिरी पलो की ढईया पर तब तुम क्या सोच रहे होंगे? : जो कमाया क्या साथ ले जा पाओगे जो निभाया क्या साथ ले जा पाओगे क्या जो गवाया उसके बारे में सोचोगे? या जो भी पा पाए उसके बारे में सोचोगे? : : अपनी गलतियों के लिए मलाल करोगे? खुद से आखिरी पलो में सवाल करोगे? या सोचोगे उन लोगो के बारे में तुम जिन लोगो के दिल को तुमने ठेस पहुंचाई : जिंदगी के बिताये पल याद करोगे... अपनी बीती कहानी आबाद करोगे भुलना चाहोगे जिन पलो ने परेशान किया? या सोचोगे उन पलो को जिन्होंने हैरान किया : : सोचोगे की अब किस सफर पर जाओगे? क्या लौटकर इस सफर को वापस आओगे? उस वक्त क्या आत्म चिंतन होगा? क्या आख़िरी वक्त में भी कुछ मंथन होगा? . . .सोचोगे की आख़िरी चार कंधे किसके होंगे? तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे धंधे किसके होंगे रूपया,ज़ायदाद,गाड़ी, कपड़े कौन संभालेगा तुम्हारे जाने के बाद ये घर कौन खांगलेगा? . . .या सिर्फ सोचोगे की अब शांति होगी जीवन के अंत मे न कोई भ्रांति होगी। मृत्यु के शैया के पास, तुम्हारे शरीर के पास जरूर तुम्हारे अपने, बेगाने विलाप करेंगे। पर तुम स्थिर होंगे और शांत भी। तो बेहतर होगा तुम कुछ न सोचो।। . . .सिर्फ उसके पास विनती करो अपने किये कर्मो की गिनती करो और चले जाओ इस मायाजाल से दूर मन और चित्त को शांत करके क्योंकि शायद तब ख़ुदगी जलती चिता में तुम सत्य को जान लोगे। - रोहित शर्मा #lifeafterdeath
senty_girl_23
जिन पलो में मेरी मां हस रही होती है... वो पल मेरे लिए जन्नत होते है... यू लगता है जैसे इन पलो को बस वही रोक दू मैं और मेरी मा यू ही मुस्कुराती रहे..... shivangi Tiwari #nojoto#quote
nojoto#Quote
read morepintu saini
तेरे जैसा यार कहाँ, जीलो इन पलो को हँस कर ऐ-दोस्त जीलो इन पलो को हँस कर ऐ दोस्त फिर लौट कर दोस्ती के गुजरे जमाने नही आते #myfriend AjAy ShaRma
mrinmay ayush yeshaswai
बस अब इतनी सी है खायश, इन चंद पलो मै, मुझे मेरा अहसास दे जाना, करू जिंदगी भर तुमसे ही प्यार , बस कुछ ऐसी मुलाकात दे जाना, रूह अलग हो भी जाए तो अब क्या, अब ये चंद पल मेरी जिन्दगी बन जायेगी इन चंद पलो के बाद।।।।। #NojotoQuote #alldbest
Charu Joshi
#OpenPoetry कुछ ध्यान नहीं रहता मै सब भूल जाता हूँ एक तेरी यादो के दरियां में मै अक्सर बह सा जाता हूँ तूने छोर दिया मगर तेरी यादो ने साथ निभाया है हसीन पलो को याद कर लबो ने फिर मुस्कुराया हैं तेरे दिए गमो ने तो मौत का रास्ता छोरा था तेरी चंद पलो की यारी ने मझे मरने से फिर रोक था। #OpenPoetry #लव #beparwahishq
#OpenPoetry #लव #beparwahishq #poem
read moreGirish Mishra Syahee
भूल के सारी बंदिश को , आज दिल की बाते सुनते है, कुछ कच्चे-पक्के धागो से, बिखरी यादो को बुनते है || हम नायक भी खलनायक भी, इस खुद की लिखी कहानी के , उन् हसीं पलो को फिर जीने को, चल ना यार फिर मिलते है | उन् हसीं पलो को फिर जीने को, चल ना यार फिर मिलते है || चाय की उस उजरि टपरी पर फिर घूम के आते है, सूना है लोग अब भी वंहा चाय संग मट्ठी ही खाते है | क्या टॉयलेट के बहार, अब भी कतारे लगती होंगी , क्या सरोजनी की लड़किया, अब भी वहां सजती होंगी | क्या कोई फिर से प्लेट में , खाना छोड़ कर जाता होगा | क्या पनिशमेंट में अब भी, खेम चंद पगलाता होगा || याद करो क्या दिन थे वो भी , जब रिंकू मेश चलाता था , सरा गला खाना खा कर भी, तब अपना दिन कट जाता था | बिस्तर पर सोते ही अपने, सरप्राइज वेल बज जाते थे | बिना सेविंग पकडे गए तो , होज कंधे पर सज जाते थे | उस्तादों की उस्तादी भी तब, कहाँ समझ में आती थी , उन् सब को मिल कर बस, अपनी ही मारनी होती थी | किसी के घर से आया खाना, हम खूब लूट कर खाते थे | कभी कभी छोटी बातो पर, तब काजू भी बन जाते थे | कुछ की बनी कहानी थी, कुछ अब तक वंहा बेचारा था , थे हम कवारे बहुत ही तनहा, बस हाथो का बचा सहारा था | कुछ रंग थे जो अपने दामन में, वो चुरा गया बंजारा था , खुला खुला शौचालय भी, तब कितना हमको प्यारा था || स्कोप मीनार से किस वर्कर ने,किसको आँखे मारी थी | इतना खाना क्यों बचा थाल में, किसकी ये अय्यारी थी , वक़्त ने साधा एक नज़र से , एक जंग की तब तैयारी थी वो बड़े जोड़ की लात पेट में, किसने चार्ली को मारी थी || रिंगटोन में किसकी फ़ोन पर, कौन घास घास चिल्लाता था, वो कौन था जो जरा जरा कर के, पूरा खाना खा जाता था , किसने अपनी ड्राइविंग में, गाडी दिवार पर चढ़ाई थी, रेस्क्यू करके खोखहर ने, तब किसकी जान बचाई थी || आयोडेक्स की मालिश थी , कोई घुटनो पर तेल लगता था , उस्तादों की चाट चाट कर , पांडे अच्छे नंबर पाता था | राका का वो सावधान , तब सबका दिल दहलाता था , बेरोजगारी के उस दौर में , भाई साब 17 माल घुमाता था | दिल्ली की सब लड़की राका पर अपनी जान लुटाती थी | मधुवन में सब मिलकर उसे, चिन्गोटी कटा करती थी | हर शनि और रविवार को , जब सब गायब हो जाते थे | तब हम चारो ही बैठ अकेले, मकरा मारा करते थे || उन् सारी यादो को फिर से, दुहराने को दिल करता है, आये बुढ़ापा उससे पहले , जी लेने को दिल करता है | फास्मा की दीवारों पर हमने, मिलकर लिखी कहानी थी , नौ महीने की थी वो ट्रेनिंग, बस उतनी ही मेरी जवानी थी || कैद हुए क्यों हम दीवारों में, चल ना यार निकलते है , उन् हसीं पलो को फिर जीने को, चल ना यार फिर मिलते है || उन् हसीं पलो को फिर जीने को, चल ना यार फिर मिलते है || Chal Na Yaar Fir Milte hai
Chal Na Yaar Fir Milte hai #कविता
read moreBhawana Pandey
कुछ पलो को जीने की चाह जगी हैं बस जीने की तमन्ना जगी हैं कुछ तजुर्बे देदो मुझे उधार उस तजुर्ब से जीने की चाह जगी बस जीने की तमन्ना जगी है आसमा के सितारो से रोशनी चुराकर जिन्दगी के पलो को जगमगाने की चाह जगी है कुछ पलो को जीने की चाह जगी है बस जीने की तमन्ना जगी हैं