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मेरी जिंदगी भी क्या अजीब है न चाहकर भी तेरे कितना

मेरी जिंदगी भी क्या अजीब है 
न चाहकर भी तेरे कितना करीब है
ढूंढ़ता रहा बन बेगाना जमाने में
तुम ऐसी ही मिल गई ये मेरा नशीब है।।

©रसिक उमेश दिल से#चाहत#
मेरी जिंदगी भी क्या अजीब है 
न चाहकर भी तेरे कितना करीब है
ढूंढ़ता रहा बन बेगाना जमाने में
तुम ऐसी ही मिल गई ये मेरा नशीब है।।

©रसिक उमेश दिल से#चाहत#

दिल सेचाहत# #शायरी