सारी उम्र हम तुम्हारे पहलू में रह गए, सुनते और करते रहे तुम हर वो चीज़ जो हम तुमसे कहते रह गए । यूॅं तो दुनिया की नजरों से ओझल हो चुके तुम और इक हम हैं के शीशे में भी खुद की जगह एक तुम्हें देखते रह गए । खफ़ा हुए हम तो मनाते थे तुम मनाते थे हम जब भी तुम थे रूठ गए, था तुम्हारा प्यार एक वृक्ष की तरह और हम उसपे टंगे किसी शीशे की तरह के तुम्हारे टूट कर गिरते ही हम गिर कर टूट गए। आयुषी आकांक्षा । ©Ayushi Akanksha #WOMENSAD