बचपन का वो प्यार भी निराला लड़ते झगड़ते प्यार कर डाला न पता था मंज़िल का न पता था तक़दीर का बिन बोले इज़हार कर डाला बचपन का वो प्यार भी निराला कभी रूठना था तो कभी मनाना उसका मेरे घर मेरा उसके घर रोज़ होता था आना जाना साथ पढ़ना साथ खेलना यह तो था एक बहाना हमें तो साथ हर लम्हे था बिताना बचपन का वो प्यार भी निराला sanam bachpan ka pyar