मैं बादल कल के सावन का तू मेरी चाँदनी बारहमासी मैं पथिक भोर का प्यारा तू साँझ-उषा की आँगन।।। मैं निज मृग-सा मन तू पतझड़ छाया-सी आँचल मैं कण,रण में ओझल-सा तू अजेय-विजयी पताखा।।। मैं नदियों की कलकल तू रिमझिम-सी हलचल मैं शोर समंदर का तू शीतल-मन अम्बर की।।। मैं एक छोर आदि-अनंत का तू रक्षक रवि-शशि सी मैं अर्पित बालक तेरे हर उद्भव का तू प्रकृति-माँ मेरी हर जनम की।।। #मैऔरतू(५) #poetry #naturediariesbyarpit #love#nature #yqdidi#yqbaba #mothertongue_verse