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दिल में जागी ये उम्मीद मारना चाहता हूँ , जाने क्यो

दिल में जागी ये उम्मीद मारना चाहता हूँ ,
जाने क्यों मैं फिर तुझसे हारना चाहता हूँ ,
मुझे मालुम है कि तू जवाब फिर नहीं देगा ,
एक बार आखिरी फिर पुकारना चाहता हूँ ।
हर संग सजदे से है यहाँ होता नहीं ख़ुदा ,
ये तजुर्बा खाके ठोकर स्वीकारना चाहता हूँ ,
और न हो यकीन तो मुड़ के देख लेना तू ,
मैं अब भी न तुझको नकारना चाहता हूँ ।।

©Dinesh Paliwal #Phir
दिल में जागी ये उम्मीद मारना चाहता हूँ ,
जाने क्यों मैं फिर तुझसे हारना चाहता हूँ ,
मुझे मालुम है कि तू जवाब फिर नहीं देगा ,
एक बार आखिरी फिर पुकारना चाहता हूँ ।
हर संग सजदे से है यहाँ होता नहीं ख़ुदा ,
ये तजुर्बा खाके ठोकर स्वीकारना चाहता हूँ ,
और न हो यकीन तो मुड़ के देख लेना तू ,
मैं अब भी न तुझको नकारना चाहता हूँ ।।

©Dinesh Paliwal #Phir